द लीडर : सुप्रीमकोर्ट ने नए कृषि कानूनों पर बड़ा फैसला सुनाते हुए इन्हें लागू किए जाने पर रोक लगा दी है. साथ ही कानूनों पर बातचीत के लिए एक कमेटी गठित की है. इसमें हरसिमरत मान, अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी, राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व निदेशश्क डॉ. प्रमोद कुमार जोशी और अनिल धनवत के नाम बतौर सदस्य सुझाए हैं. स्पष्ट है कि कोर्ट के अगले आदेश तक अब ये कानून लागू नहीं होंगे.
सुनवाई के दौरान कोर्ट में मौजूद किसान संगठन के वकील एमएल शर्मा ने कोर्ट को बताया कि किसान समिति गठित करने के पक्ष में नहीं हैं. वे समिति के सामने नहीं जाएंगे. इस पर कोर्ट ने कहा कि ‘अगर किसान सरकार के समक्ष जा सकते हैं तो कमेटी के सामने क्यों नहीं. अगर वो समस्या का हल चाहते हैं तो हम ये नहीं सुनना चाहते कि किसान कमेटी के सामने पेश नहीं होंगे.’
एनडीटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीमकोर्ट ने कहा कि, ‘हमें कमेटी बनाने का हक है. जो लोग वास्त में हल चाहते हैं, वो कमेटी के पास जा सकते हैं. समिति हम अपने लिए बना रहे हैं वो हमें रिपोर्ट देगी.’ सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कुछ और महत्वपूर्ण बातें कही हैं.
सोमवार को दिए थे संकते
इससे पहले सोमवार को कृषि कानूनों पर सुनवाई करते हुए सुप्रीमकोर्ट ने कानून लागू करने पर रोक के संकेत दिए थे. इसके बाद कई किसान नेताओं ने अपने बयान में ये मांग दोहराई थी कि कानूनों को रद किया जाए. किसान नेता मंजीत राय ने मंगलवार को ही कहा कि हम चाहते हैं कि कानून निरस्त हो. कोर्ट से यही हमारी मांग है.
दिल्ली की सीमाओं पर जुटे हैं किसान
कृषि कानूनों को रद किए जाने की मांग को लेकर किसान नेता दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनरत हैं. पिछले 47 दिन से उनका धरना-प्रदर्शन चल रहा है. इस बीच सरकार और किसान नेताओं के बीच 8 दौर की बातचीत हो चुकी है. जिसमें कोई हल नहीं निकला. सोमवार को कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि सरकार ने इस मामले को ठीक से हल नहीं किया.