द लीडर : ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने गुरुवार को कहा कि राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) से बाहर किए गए गैर-मुसलमानों के लिए नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) पिछले दरवाजे रखता है, लेकिन मुसलमानों के लिए कोई विकल्प नहीं है. उन्हें छोड़ देता है. यह किसी अन्य उद्देश्य की पूर्ति नहीं करता है. धर्म के आधार पर नागरिकता देने वाला कोई भी कानून अस्वीकार्य है.
CAA keeps backdoor for non-Muslims excluded from NRC but leaves Muslims out. It serves no other purpose. Any law that gives citizenship on the basis of religion is unacceptable. Bhagwat’s word isn’t worth the paper it’s written on. pic.twitter.com/dZXoQIZKFo
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) July 22, 2021
दरअसल, उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के उस बयान की आलोचना की, जिसमें उन्होंने कहा था कि सीएए और एनआरसी से भारत के किसी मुसलमान को नुकसान नहीं होगा. उन्होंने कहा कि संघ प्रमुख भागवत का शब्द उस कागज के लायक नहीं है जिस पर यह कानून लिखा गया है.
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा- भारत के मुसलमानों को नहीं होगा CAA-NRC से नुकसान
क्या कहा था संघ प्रमुख ने
आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को गुवाहाटी में एक पुस्तक विमोचन समारोह में कहा था कि भारत के मुसलमानों को सीएए और एनआरसी से कोई नुक़सान नहीं होगा. सीएए किसी भारत के नागरिक के विरुद्ध बनाया हुआ कानून नहीं है.
विभाजन के बाद एक आश्वासन दिया गया कि हम अपने देश के अल्पसंख्यकों की चिंता करेंगे. हम आजतक उसका पालन कर रहे हैं. पाकिस्तान ने नहीं किया. नागरिकता संशोधन कानून से भारत के पड़ोसी मुल्कों में अत्याचार के शिकार अल्पसंख्यकों को सुरक्षा मिलेगी.
CAA किसी भारत के नागरिक के विरुद्ध बनाया हुआ कानून नहीं है। भारत के नागरिक मुसलमान को CAA से कुछ नुकसान नहीं पहुंचेगा। विभाजन के बाद एक आश्वासन दिया गया कि हम अपने देश के अल्पसंख्यकों की चिंता करेंगे। हम आजतक उसका पालन कर रहे हैं। पाकिस्तान ने नहीं किया: गुवाहाटी में मोहन भागवत pic.twitter.com/0ISfqT0A9S
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 21, 2021
पाकिस्तान का नाम लेते हुए उन्होंने कहा- 1930 से योजनाबद्ध तरीके से मुस्लमानों की संख्या बढ़ाने के प्रयास हुए, ऐसा विचार था कि जनसंख्या बढ़ाकर अपना वर्चस्व स्थापित करेंगे और फिर इस देश को पाकिस्तान बनाएंगे.
ये विचार पंजाब, सिंध, असम और बंगाल के बारे में था. कुछ मात्रा में ये सत्य हुआ. भारत का विखंडन हुआ और पाकिस्तान बन गया, लेकिन जैसा पूरा चाहिए था वैसा नहीं हुआ.
उन्होंने कहा था कि सीएए और एनआरसी का हिंदू-मुस्लिम से कोई मतलब नहीं है. कुछ लोगों ने राजनीतिक लाभ उठाने के लिए इसे सांप्रदायिक रंग देने की साजिश रची है. उन्होंने आगे कहा कि ये जानने का अधिकार हर देश को है कि कौन उसके नागरिक हैं.