उत्तराखंड में कोरोना के मुफ्त इलाज के लिए घर-घर हुआ धरना, कुछ तो शर्म आयी सरकार को

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द लीडर देहरादून

कोरोना महामारी पर सरकार के कारोबारी नज़रिए के खिलाफ उत्तराखंड में शनिवार को कई जन संगठनों की अपील पर लोगों ने अपने अपने घर के बाहर बैठ कर धरना दिया और मरीजों के मुफ्त इलाज की मांग की। कुछ संगठनों ने सीमित संख्या में सामूहिक धरना भी दिया। इस बीच शाम को खबर मिली कि सरकार ने सभी अधिसूचित अस्पतालों को निर्देश जारी कर दिए हैं कि कोरोना मरीजों का सरकारी योजनाओं के तहत निशुल्क इलाज करें।
उत्तराखंड में निजी अस्पतालों में बेड बेचने से लेकर ऑक्सीजन और दवा की कालाबाज़ारी की खबरें रोज सामने आ रही हैं। इस बारे में कुछ जन सरोकार वाले संगठनों ने मुख्यमंत्री , राज्यपाल के अलावा मुख्य सचिव और डीजीपी तक से शिकायत की। शुक्रवार को मुख्यसचिव और डीजीपी की ओर से चेतावनी भी जारी की गई।
उत्तराखंड लोक वाहिनी, उत्तराखंड महिला मंच , चेतना आंदोलन, जन संवाद समिति,वन अधिकार आंदोलन ,उत्तराखंड विमर्श, परिवर्तनकामी छात्र संगठन ,हिमालय बचाओ आंदोलन,गंगा बचाओ आंदोलन, उत्तराखंड संयुक्त संघर्ष समिति , जिला चाय बागान मज़दूर सभा , नौजवान भारत सभा,युगवाणी देहरादून आदि संगठनों के अलावा किशोर उपाध्याय- पूर्व राज्य अध्यक्ष, कांग्रेस पार्टी , समर भंडारी- राज्य सचिव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी , डॉ  सचान- राज्य अध्यक्ष,समाजवादी पार्टी
पी सी तिवाड़ी- अध्यक्ष, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ,
इंद्रेश मैखुरी- गढ़वाल सचिव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मा – ले)राकेश पंत- राज्य संयोजक, तृणमूल कांग्रेस आदि ने सोशल मीडिया के माध्यम से शनिवार को घर घर धरने का आह्वान किया था। इस पूरी मुहिम का नेतृत्व नैनीताल समाचार के संपादक राजीव लोचन शाह कर रहे थे।

सुबह 8 बजे से ही धरने की तस्वीरें और वीडियो फेसबुक और व्हाट्सएप्प ग्रुप में पड़ने लगे औऱ फिर सिलसिला चलता रहा । हर मरीज़ है, सरकार की ज़िम्मेदारी! बीमारों का इलाज करो, या गद्दी छोड़ो! जैसे नारे लिखी तख्तियों पोस्टरों के साथ इस ऑनलाइन अभियान का थोड़ा असर भी दिखा।

 अब होश आया!

शाम को राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुणेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि ने सभी सूचीबद्ध अस्पतालों को विशेष दिशा-निर्देश जारी किये हैं कि यदि कोविड मरीज अस्पताल में आता है तो हर हाल में योजना के अंतर्गत निर्धारित पैकेज के अनुसार निशुल्क उपचार दिया जाये।
आयुष्मान योजना के अंतर्गत एनएबीएल मान्यता वाले अस्पतालों को आइसोलेशन बेड के लिए 8000, बिना आईसीयू के वेंटिलेटर केअर पर 12 हजार व आईसीयू के साथ वेंटिलेटर केअर के लिए 14400 रुपये प्रति का भुगतान, जबकि गैर एनएबीएल मान्यता वाले अस्पतालों को क्रमशः 6400, 10400 व 12000 का भुगतान किया जाएगा। इसके अलावा लाभार्थियों की जांच, उपचार, भोजन एवं पीपीई किट पर होने वाला व्यय पैकेज में शामिल है। गंभीर कोविड रोगियों को उपचार की दवाएं जैसे रेमडीसीवीर, फेवीपीरवीर, टाकलीज़ुअमब उक्त पैकेज की दरों से अतिरिक्त वास्तविक दर पर ही सूचीबद्ध अस्पताल को उपलब्ध होगी।
उन्होंने बताया कि सभी अस्पतालों को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी रोगी या तीमारदार से धनराशि लेना नियम विरुद्ध है। ऐसी स्थिति में अस्पताल की सूचीबद्धता समाप्त करने की कार्रवाई की जाएगी। साथ ही क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत समुचित प्राधिकारी को भी सूचित किया जा सकता है।

एक अस्पताल को नोटिस

सूचीबद्ध होने के बावजूद कोरोना मरीजों को निशुल्क (कैशलेस) उपचार न देने वाले
अरिहन्त एडवांस सर्जरी एंड फर्टिलिटी सेंटर शास्त्रीनगर देहरादून के चिकित्सक डा. अभिषेक जैन को राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के निदेशक (हास्पिटल मैंनेजमेंट) डा. एके गोयल की ओर से नोटिस जारी किया गया है। अस्पताल की सूचीबद्धता समाप्त करने और अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।

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