बरेली के डीएम रविंद्र कुमार की उपलब्धि पर उपराष्ट्रपति भी कह उठे-बहुत ख़ूब

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THE LEADER. बात अबसे आठ साल पहले की है. स्वच्छ भारत अभियान की जागरूकता के लिए एक दल एवरेस्ट फ़तेह करने निकला था. इसमें IAS रविंद्र कुमार भी शामिल थे, जो इस वक़्त बरेली के डीएम हैं. इस दल को पीएम मोदी ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था. 25 अप्रैल 2015 एवरेस्ट बेस कैंप में भूकंप आया और हिमस्खलन होने लगा. लगने लगा कि सब ख़त्म हो जाएगा. तब इन ख़तरनाक परिस्थितियों में ख़ुद को संभालते हुए रविंद्र कुमार ने जान जोखिम में डालकर कई लोगों को बचा लिया था. कई को प्रकृति छीन भी लिया था.

IAS रविंद्र कुमार ने अपने इसी हैरतअंगेज़ सफ़र को किताब का रूप दिया है. इस किताब मेनी एवरेस्ट-ऐन इंस्पायरिंग जर्नी ऑफ ट्रांसफॉर्मिंग ड्रीम्स इन्टू रियलिटी के साथ जब वो दिल्ली में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से मिले तो वो भी उनकी पीठ थपथपाए बग़ैर नहीं रह सके. उनके मुंह से निकला बहुत ख़ूब. इस मुलाक़ात के दौरान उपराष्ट्रपति के निज़ी सचिव सुजीत कुमार भी मौजूद रहे. डीएम रविंद्र कुमार ने माउंट एवरेस्ट को एक नहीं बल्कि दो बार फ़तेह किया है. एक बार नेपाल दक्षिण से और दूसरी बार तिब्बत उत्तर से. उन्होंने गंगाजल को एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचाकर वहां अर्पित किया और लोगों से जल बचाने की अपील की. ताकि आने वाले पेयजल संकट को टाला जा सके.

अंग्रेज़ी के बाद हिंदी में एवरेस्ट-सपनों की उड़ान, शिखर से सफ़र तक नाम से उनकी किताब प्रकाशित हुई, जिसे 2020 में अमृतलाल नागर और 2021 में सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय‘ पुरस्कार’ से नवाज़ा जा चुका है. उनकी हिंदी कविताओं के भी चार संग्रह अंतरिक अंतरिक्ष और स्वप्न यात्रा, ललक, नई आंखें, इक्कीसवीं सदी भी आ चुके. दूसरी जंग आने वाला है. एवरेस्ट के सफ़र पर दो डाक्यूमेंट्री शिखर से पुकार और गंगा का लाल भी बन चुकी हैं. सिक्किम सरकार ने खेल रत्न पुरस्कार और बिहार सरकार की तरफ़ से विशेष खेल रत्न पुरस्कार भी उन्हें मिल चुका है. वो हरदम कुछ नया करने की दिशा में बढ़ते रहते हैं. कह सकते हैं कि इतना सबकुछ करने के बाद अभी उनसे सर्वश्रेष्ठ आना शेष है.