The Leader. ईदमिलादुन्नबी की तरह ही अब जुलूस-ए-ग़ौसिया में भी डीजे नहीं बजेगा. यह जुलूस यूपी के ज़िला बरेली में पुराना शहर के रज़ा चौक से 27 अक्टूबर को निकाला जाएगा. दरगाह आला हज़रत के सज्जादानशीन मुफ़्ती मुहम्मद अहसन रज़ा क़ादरी अहसन मियां की क़यादत वाली बैठक में तय हुआ कि इस जुलूस में भी अंजुमन डीजे के साथ नहीं आएंगी. यह जुलूस दरगाह आला हज़रत के प्रमुख मौलाना सुब्हान रज़ा ख़ान सुब्हानी मियां की सरपरस्ती और सजादानशीन की क़यादत में निकाला जाता है.
अंजुमन ग़ौस-ओ-रज़ा आयोजक अंजुमन है. उसके सदर हाजी शारिक़ नूरी से कहा गया है कि जुलूस में पांबदी का पालन कराने के लिए अंजुमनों को अभी से कह दें कि डीजे बुक नहीं कराएं. डीजे के नाम पर किसी को हुड़दंग की इजाज़त नहीं दी जाएगी. दरगाह आला हज़रत के मीडिया प्रभारी नासिर क़ुरैशी ने बताया कि मुफ़्ती अहसन मियां की कोशिश है कि मुसलमान रोजमर्रा की ज़िंदगी, शादी-ब्याह, त्योहार पर ग़ैर शरई कामों से दूर रहें. इस्लाम सादगी पसंद मज़हब है. लिहाज़ा डीजे को सभी तरह के आयोजनों से दूर कर दें. यह न सिर्फ़ फ़िज़ूलख़र्ची का सबब है बल्कि बीमार लोगों को परेशानी में डाल देता है.
यही वजह है कि चाहे उर्स-ए-रज़वी हो या कोई भी मज़हबी जुलूस उसमें डीजे वाली अंजुमनों को शामिल नहीं किया जाएगा. डीजे वाली 80-90 अंजुमनों के बजाय बग़ैर डीजे वाली 15-20 अंजुमन ही शरई दायरे में रहकर जुलूस के लिए काफ़ी हैं. जुलूस-ए-ग़ौसिया 27 अक्टूबर को शाम 5 बजे शुरू होगा. अपने परंपरागत रास्तों पर घूमकर वापस रज़ा चौक पर ही ख़त्म होगा. इससे पहले पिछले दिनों जुलूस-ए-मुहम्मदी में डीजे पर रोक का आला हज़रत के उर्स से एलान होने के बाद सख़्ती के साथ पालन कराया गया. इसमें पुलिस भी आयोजक अंजुमन के साथ रही. डीजे वाली अंजुमनों के वाहन चौकी और थाने में खड़े करा लिए गए थे. इसे लेकर आयोजक अंजुमनों के पदाधिकारियों को धमकियां भी मिल रही थीं लेकिन उनकी परवाह नहीं की गई.
बरेली में केलाडांडी का माहौल जांचने पहुंचे डीएम-एसएसपी
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