द लीडर हिन्दी: उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण लागू किए जाने की याचिकाओं में इलाहबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अगली सुनवाई बुधवार को करने का निर्णय लिया है। साथ ही कोर्ट ने अधिसूचना जारी करने की बुधवार तक रोक लगा दी है। प्रदेश सरकार की ओर से कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल किया गया है। मामले में कोर्ट में मंगलवार को बहस हुई पर कोई फैसला नहीं दिया गया है। बहस बुधवार को जारी रहेगी।
ये भी पढ़े:
उत्तर प्रदेश सरकार के हलफनामे पर ओबीसी आरक्षण पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच का फैसला आज
इस मामले में प्रदेश सरकार ने कहा है कि 2017 में हुए ओबीसी सर्वे को आरक्षण का आधार माना जाए। हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं में पक्षकारों को सोमवार को उपलब्ध कराए गए जवाबी हलफनामे में सरकार ने कहा है कि इसी सर्वे को ट्रिपल टेस्ट माना जाए। शहरी विकास विभाग के सचिव रंजन कुमार ने हलफनामे में कहा है कि ट्रांसजेंडर्स को चुनाव में आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने पहले स्थानीय निकाय चुनाव की अंतिम अधिसूचना जारी करने पर 20 दिसंबर तक रोक लगा दी थी।
साथ ही राज्य सरकार को आदेश दिया था कि 20 दिसंबर तक बीते 5 दिसंबर को जारी अनंतिम आरक्षण की अधिसूचना के तहत आदेश जारी न करे। कोर्ट ने ओबीसी को उचित आरक्षण का लाभ दिए जाने व सीटों के रोटेशन के मुद्दों को लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया था। न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की खंडपीठ ने यह आदेश रायबरेली निवासी सामाजिक कार्यकर्ता वैभव पांडेय व अन्य की जनहित याचिकाओं पर दिया था।
कोर्ट ने ओबीसी को उचित आरक्षण का लाभ दिए जाने व सीटों के रोटेशन के मुद्दों को लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया था। न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की खंडपीठ ने यह आदेश रायबरेली निवासी सामाजिक कार्यकर्ता वैभव पांडेय व अन्य की जनहित याचिकाओं पर दिया था।