मानवाधिकार दिवस पर बोले राष्ट्रपति कोविंद-इंसान होने का क्या अर्थ है-ये विचार करने की जरूरत

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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद.

द लीडर : राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि, एक इंसान होने का क्या मतलब है और मानवता की बुनियादी गरिमा को बढ़ाने में हमारी क्या जिम्मेवारी है. आज ये विचार करना जरूरी है. (National Human Rights Day)

कोविंद ने कहा कि हमारे अधिकार एक साझा कर्तव्य हैं और मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा उन अधिकारों और स्वतंत्रताओं का एक समूह है, जिनका हकदार हर एक इंसान है। इस बार के मानवाधिकार दिवस की थीम है ‘समानता’ जोकि मानवाधिकार की आत्मा की तरह है. भेदभाव रहित माहौल सम्मानजनक जीवन की पहली शर्त है. दुनिया पूर्वाग्रहों से भरी है. दुख की बात ये है कि वे व्यक्तियों की पूर्ण क्षमता में रुकावटें पैदा करते हैं.

पूरी तरीके से ये समाज के सर्वोत्तम हित में नहीं हैं. मानवाधिकार दिवस हमारे लिए एक साथ सोचने का बेहतरीन मौका है कि, मानवता की तरक्की में अड़ंगा डालने वाले पूर्वाग्रहों को किस तरह से खत्म किया जाए. (National Human Rights Day)


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राष्ट्रपति ने कहा कि ‘स्वस्थ पर्यावरण और जलवायु न्याय के अधिकार’ पर भी समाज में बहस और चर्चाएं होनी चाहिए. “प्रकृति की गिरावट अपरिवर्तनीय जलवायु परिवर्तन का कारण बन रही है. और हम पहले से ही इसके नतीजे देख रहे हैं. लेकिन दुनिया इस अनहोनी हकीकत की तरफ सजग भी हो रही है.

फिर भी खास बदलाव के लिए अभी मजबूत इरादों की जरूरत है. प्रकृति मां की रक्षा करना, हम सबकी जिम्मेवारी है. अपने बच्चों की खातिर. इंडस्ट्रीज के बुरे प्रभावों से हमें, हमारे कल को महफूज करना है. (National Human Rights Day)

शुक्रवार को नेशनल ह्रयूमन राइट्स कमीशन की ओर से दिल्ली में 73वां मानवाधिकार दिवस मनाया गया. जहां एनएचआरसी के अध्यक्ष जस्टिस अरुण कुमार मिश्रा समेत विभिन्न राज्यों के मानवाधिकार संस्थानों के पदाधिकारी मौजूद रहे. आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र की आमसभा ने 1948 में मानवाधिकार दिवस मनाने की घोषणा की थी.

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