तमाम राजनीतिक पार्टियों के घोषणा पत्रों से मुसलमान गायब नजर आ रहा है- मुफ्ती शहाबुद्दीन रज़वी

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द लीडर हिंदी : लोकसभा चुनाव सिर पर है ऐसे में ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने बड़ा बयान दिया है. राजनीतिक पार्टियों पर निशाना साधते हुए मुफ्ती शहाबुद्दीन रज़वी ने कहा कि तमाम राजनीतिक पार्टियों ने अपना-अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है. मगर किसी भी पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में मुसलमानों के बुनियादी मसाइल पर बात करना तो दूर की बात है. पूरे तौर पर तमाम राजनीतिक पार्टियों के घोषणा पत्रों से मुसलमान गायब नजर आ रहा है.


राजनीतिक पार्टियों ने अपने घोषणा पत्रों में दूसरे समुदाय के उत्थान और विकास की बातें की है. मगर किसी ने भी मुसलमानों का जिक्र नहीं किया. इससे धर्मनिरपेक्ष का दावा करने वाली पार्टियों की कलाई खुल कर सामने आ जाती है. इसके साथ ही मौलाना ने कहा हैरत और अफसोस की इंतेहा तब हो गई जब समाजवादी पार्टी का घोषणा पत्र पढ़ा. जो पार्टी मुसलमानों के साथ हमदर्दी का इज़हार करती है वो खुद भी अन्य पार्टियों के साथ खड़ी नजर आती है. सपा के घोषणा पत्र से भी मुसलमान गायब है.

इसके साथ ही मौलाना ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों को घोषणा पत्र जारी करने का अधिकार हासिल है. हम इसमें कुछ भी हस्ताक्षेप नहीं करना चाहते. मगर उन से मुसलमानो के मुद्दों पर बातचीत करने और हमदर्दी का इजहार करने की उम्मीद रखते थे. अब इससे मुसलमानों को सख्त मायूसी हुई है. बिना घोषणा पत्र के चुनाव में जनता के सामने जाना और उनको समझाना सम्भव नहीं होता.

वही घोषणा पत्र किसी भी चुनाव चाहे विधानसभा हो चाहे लोकसभा के लिए बहुत जरूरी होता है. जनता ये समझती है कि घोषणा पत्र राजनीतिक पार्टियों का खास विज़न होता है.घोषणा पत्रों के आधार पर ही भारत के मतदाता मतदान के लिए पार्टीयों का चयन करते हैं. ये एक तरह से भविष्य में पार्टीयों को सत्ता हासिल करने या सरकार बनाने का लिखित दस्तावेज होता है. देश और प्रदेश को किस दिशा में ले जाया जाएगा ये तमाम बातें घोषणा पत्र के माध्यम से तय की जाती है.


मौलाना यही नहीं रूके उन्होंने आगे कहा कि दुर्भाग्य पूर्ण बात ये है कि 2024 लोकसभा चुनाव में राजनीतिक पार्टियों ने मुसलमानों को हाशिए पर डाल दिया है. मुसलमानों को शिकायत उन पार्टीयों से नहीं है जिन पार्टीयों को वो वोट नहीं देता है. मुसलमानों को शिकायत और तकलीफ उन पार्टीयों से है जिन को बराबर विधानसभा और लोकसभा में वोट देता आया है.मुसलमानों को अब गम्भीरता पूर्वक ऐसी पार्टीयों के बारे में सोचना होगा. और यही समय फैसला लेने का है और ऐसी पार्टीयों के चेहरों से पर्दा उठाने और आयना दिखाने का है.

 

मौलाना ने मुस्लिम आवाम से कहा कि ऐसे समय में आखिर क्या किया जाए जिससे की पार्टीयों के उपर लगाम लगाई जा सके. और पार्टियां इमानदारी के साथ घोषणा पत्र तैयार करें और उसमें मुसलमानों की बुनियादी समस्याओं के समाधान के लिए घोषणा पत्र में उल्लेख करें. इसका जवाब मौलाना ने खुद ही दिया कि मुस्लिम कौम उन प्रत्याशीयों और पार्टी के नेताओं से सवाल करना शुरू करें जब ये लोग आपके दरवाजों पर जाएं और वोट मांगे तो इनसे सीधे तौर पर सवाल करें, पांच साल का हिसाब मांगों और अपने बुनियादी मुद्दों पर खुलकरके पूछताछ करें. तभी पार्टियां रास्ते पर आ जाएगी.