द लीडर। यूपी विधानसभा चुनाव में हर पार्टी जीत दर्ज करने के लिए अपनी ऐड़ी चोटी का जोर लगा रही है। बता दें कि, इस बार यूपी चुनाव में हर किसी की नजरें टिकी हुई है. जिसको लेकर कोई भी पार्टी जनता को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. सत्ताधारी पार्टी बीजेपी हो या समाजवादी पार्टी हो या कांग्रेस हर कोई पूरी तैयारियां कर रहा है। बता दें कि, चुनाव से पहले कई पार्टियां ब्राह्मणों को रिझाने में लगी हैं तो कई मुस्लिमों पर दांव खेल रही है। बात करें सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की तो यूपी विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर कांग्रेस ने नया दांव खेलते हुए प्रयागराज में शुक्रवार को जुमा के चौथे और अंतिम हफ्ते में भी मस्जिदों में अल्पसंख्यकों को अपने संकल्प पत्र बांटे हैं, पार्टी के टारगेट पर मुस्लिम वोट हैं।
एक माह में बीस लाख मुसलमानों को पार्टी से जोड़ने का इरादा
कांग्रेस का इरादा इस तरह से अपने संदेश को पहुंचाकर एक माह में बीस लाख मुसलमानों को पार्टी से जोड़ने का है। कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज आलम के आह्वान पर अल्पसंख्यक कांग्रेस के पदाधिकारियों ने जुमा के चौथे और अन्तिम हफ्ते भी नगर की विभिन्न मस्जिदों में अल्पसंख्यक कांग्रेस द्वारा जारी संकल्प पत्र वितरित करने का काम किया। नगर अध्यक्ष अरशद अली ने बताया कि, संकल्प पत्र के माध्यम से अल्पसंख्यक समाज के घर-घर जाकर कांग्रेस पार्टी की विचारधारा पहुंच रही है। अरशद अली ने बताया कि, कांग्रेस के 16 सूत्रीय संकल्प पत्र से सपा और भाजपा को पेट में दर्द होना शुरू हो गया है। इसलिए इनके प्रवक्ता आलोचना करने लगे हैं।
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उन्होंने बताया कि, सपा नहीं चाहती है कि, अल्पसंख्यकों को उनका हक मिले, वहीं प्रदेश सचिव मुंताज सिद्दिकी ने बताया कि, अल्पसंख्यक कांग्रेस की ओर से प्रस्तावित 16 सूत्रीय संकल्प पत्र का पर्चा लेकर आगामी एक माह में 20 लाख अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों से संवाद करके कांग्रेस का संदेश पहुंचा कर उन्हें पार्टी से जोड़ा जाएगा।
क्या हैं संकल्प पत्र के 16 सूत्रीय बिंदु ?
1. CAA और NRC विरोधी आन्दोलन में दर्ज मुक़दमे वापस होंगे और पीड़ितों को मुआवजा दिया जाएगा।
2. राजस्थान सरकार की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी मॉबलिंचिंग के खिलाफ कानून बनाने के लिए विधानसभा से राष्ट्रपति महोदय को प्रस्ताव भेजा जाएगा।
3. बुनकरों को फ्लैट रेट पर बिजली दी जाएगी और कांग्रेस के शासनकाल में स्थापित किये गए कताई मिलों को जो बन्द पड़ी हैं पुनः चालू किया जाएगा।
4. सरदार मनमोहन सिंह की सरकार में बुनकरों के लिए जारी किए गए 2350 करोड़ को बुनकरों की कल्याणकारी योजनाओ पर खर्च किया जाएगा।
5. सपा सरकार में बंद किये गए सभी स्लेटर हॉउस व टेनरियों (चमड़े के गोदाम) को खोला जाएगा।
6. अम्बेडकर छात्रवास की तर्ज पर हर ज़िले में अल्पसंख्यक छात्रों के लिए मौलाना आजाद हॉस्टल (छात्रवास) खोले जाएंगे।
7. अल्पसंख्यक छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति दी जायेगी।
8. मदरसा आधुनिकीकरण में शिक्षकों का बकाया वेतन को देने के लिए केन्द्र सरकार पर दबाब बनाया जाएगा और उनका स्थाईकरण किया जायेगा।
9. पिछले 30 सालों में उत्तर प्रदेश में वक्फ़ संम्पतियों में हुई धांधली की जांच कराई जाएगी और दोषियों को सजा दी जाएगी।
10. पसमांदा तबकों के विकास के लिए अलग से राज्य पसमांदा आयोग का गठन किया जायेगा।
11. दस्तकार वर्ग की आवाज़ को सदन में स्थाई तौर पर उठाने के लिए उस वर्ग से विधानपरिषद में एक सदस्य नामित किया जाएगा।
12. अखिलेश यादव सरकार में हुए छोटे बड़े दंगों की न्यायिक जांच कराकर दोषियों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जाएगी एवं सजा दिलाई जाएगी।
13. वर्ष 1992 में कानपुर में हुए दंगे की जांच के लिए गठित माथुर कमीशन की रिपोर्ट पर सपा बसपा सरकारों ने कोई कार्यवाही नहीं की। माथुर कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक कार्यवाही करके दोषियों को सजा दिलायी जाएगी। याद रहे इस दंगे में 254 लोग मारे गए थे और 23 दिसम्बर 1994 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने दोषियों पर से मुकदमा हटाने का आदेश दिया था।
14. हर मण्डल में एक यूनानी मेडिकल कॉलेज खोला जाएगा।
15. अल्पसंख्यक वर्ग में आत्मविश्वास विकसित करने के लिए अल्पसंख्यक बाहुल्य इलाकों में राज्य पुलिस बल में भर्ती हेतु विशेष कैम्प लगाए जाएंगे।
16. गौ अधिनियम के तहत बेगुनाह लोगों पर लादे गए मुकदमे जिन्हें हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है सभी बेगुनाहों को मुआवजा दिया जाएगा वहीं अल्पसंख्यक कांग्रेस के जिला युमना पार अध्यक्ष परवेज़ सिद्दीकी ने कहा कि, जनता अब सपा बसपा के बहकावे मे नहीं आने वाली है, जनता ने तय कर लिया है 2022 में प्रियंका गांधी की अगुवाई में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनना तय हो चुका है।
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बता दें कि, इस मौके पर नगर अध्यक्ष नफीस अनवर, पूर्व प्रवक्ता जावेद उर्फी, तालिब अहमद, महफूज, अहमद,नूरुल कुरैशी, हाजी सरताज, मुस्तकीन कुरेशी, नाज खान अरमान कुरेशी, जाहिद नेता, शाबाज आलम, गुलाम वारिस, नेहाल उद्दीन, अब्दूल हमीद, आदि मौजूद रहे।
यूपी में मुस्लिम सियासत
बता दें कि, कांग्रेस उत्तर प्रदेश में करीब 20 फीसदी मुस्लिम वोटरों को साधने में लगी है। 20 फीसदी मुसलमानों का सूबे की कुल 143 सीटों पर असर है। इनमें से 70 सीटों पर मुस्लिम आबादी बीस से तीस फीसद के बीच है। 73 सीटें ऐसी हैं जहां मुसलमान तीस फीसद से ज्यादा है। सूबे की करीब तीन दर्जन ऐसी विधानसभा सीटें हैं, जहां मुस्लिम उम्मीदवार अपने दम पर जीत दर्ज कर सकते हैं जबकि करीब 107 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां अल्पसंख्यक मतदाता चुनावी नतीजों को खासा प्रभावित करते हैं। इनमें ज्यादातर सीटें पश्चिमी उत्तर प्रदेश, तराई वाले इलाके और पूर्वी उत्तर प्रदेश की हैं। इसीलिए कांग्रेस मुस्लिमों को अपने साथ जोड़ने के लिए खुलकर सपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और आरपार के मूड में है.
यूपी की सियासत में मुसलमान मतदाताओं का वोट महत्वपूर्ण क्यों है?
उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण वोटों को लुभाने के बाद अब सियासी पार्टियों की नजर 20 फीसदी मुसलमानों पर है। बीएसपी, सपा, कांग्रेस और ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम (AIMIM) से लेकर पीस पार्टी और उलेमा काउंसिल जैसी पार्टियों की नजर मुस्लिम वोटर्स पर है। इस कवायद में बीजेपी भी पीछे नहीं है। लेकिन मुस्लिम मतदाता इस बार किसके पाले में जाएंगे इसको लेकर कंफ्यूजन की स्थिति बरकरार है। सूबे में दो दर्जन से ज्यादा ऐसी सीटे हैं जहां मुस्लिम उम्मीदवार अपने दम पर चुनाव जीत सकते हैं और 100 से ज्यादा सीटों पर उनका सीधा असर है। इसलिए यूपी के तराई, वेस्ट और ईस्ट यूपी की कई सीटों पर मुस्लिम वोटों का सीधा असर दिखाई पड़ता रहा है। पिछले तीस सालों में मुस्लिम मतदाता एसपी और बीएसपी के लिए वोट डालते रहे हैं। जबकि उससे पहले वो कांग्रेस के परंपरागत मतदाता रहे हैं। लेकिन राम मंदिर आंदोलन के बाद मुस्लिम मतदाताओं ने कांग्रेस से नाता तोड़ लिया और तब से कांग्रेस यूपी से लगभग उखड़ चुकी है। फिलहाल देखना ये होगा कि, जनता यूपी चुनाव में किस पार्टी पर अपना भरोसा जताती है।
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