द लीडर | अपने तीखे बयानों के चलते सुर्खियों में रहे मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और किसान आंदोलन को लेकर एक बार फिर बयान दिया। सत्यपाल मलिक ने इस बार खुद की गलती मानते हुए 300 करोड़ रुपए की रिश्वत ऑफर किए जाने के मामले में आरएसएस से माफी चाही है। मलिक ने कहा है कि, “मुझे आरएसएस का नाम नहीं लेना चाहिए था।
मुझे आरएसएस की तरफ से कोई धमकी नहीं दी गई। और..मेरे जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल रहने के दौरान 300 करोड़ रुपए की रिश्वत ऑफर किए जाने के मामले का आरएसएस से कोई मतलब नहीं है। चूंकि, व्यक्तिगत तौर पर लोग व्यापार करते ही रहे हैं। उसमें आरएसएस कहीं नहीं हैं। अगर, कोई शख्स आरएसएस से जुड़ा हो और अपने फायदे के लिए कोई डील करे तो उसमें आरएसएस की कोई गलती नहीं है।”
मेघालय के राज्यपाल ने अब क्या-क्या कहा?
सत्यपाल ने किसान आंदोलन को लेकर कहा कि, “मेरा आज भी यही मानना है कि, सरकार किसानों से बात करे। किसानों के साथ पिछले 70 सालों से अन्याय ही हो रहा है। उनको आज तक फसलों का सही दाम नहीं मिला है। मैं चाहता हूं कि, ये सरकार एमएसपी वाले कानून को मान्यता दे। मगर मैं देख रहा हूं कि सरकार अभी एमएसपी को कानूनी मान्यता देने को राजी नहीं है।
जहां तक तीन कृषि कानून वापस लेने की बात है, तो उन कानूनों पर तो अदालत ने पहले ही 2 साल के लिए इन पर रोक लगा दी है।” मलिक बोले, “यह मामला सरकार और किसानों के लिए बहुत करीब और बहुत दूर, दोनों है। सरकार एमएसपी की गारंटी दे तो मामला हल हो जाएगा। क्योंकि, किसान भी अब थक चुके हैं और सरकार का नुकसान हो रहा है। ऐसे में इसे खत्म कर लेना चाहिए।”
RSS का इससे कोई मतलब नहीं
सत्यपाल मलिक ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं संघ (RSS) से माफी मांग ली है। बता दें कि पिछले दिनों मलिक ने राजस्थान के झुंझनू में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था-कश्मीर में मेरे सामने दो फाइलें मंजूरी के लिए लाई गईं। एक अंबानी और दूसरी RSS पदाधिकारी की थी, जो महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली (पीडीपी-भाजपा) सरकार में मंत्री थे।
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इसके लिए 150-150 करोड़ की घूस का ऑफर मिला। यह मामला तब का है, जब मलिक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे। अब मलिक का कहना है कि RSS से कोई मतलब नहीं। उनसे गलती हो गई और वे माफी चाहते हैं। क्योंकि अगर वो आदमी RSS से जुड़ा है, तो इसमें RSS की कोई गलती नहीं है। मलिक ने यह भी जोड़ा कि इसी मामले में अंबानी ने खुद प्रस्ताव नहीं दिया था, उनकी तरफ से काम करने वाली एक कंपनी थी।
महबूबा को मुझे नोटिस देने की जरूरत नहीं
जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल के पद पर रहते हुए उन्होंने पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती, फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला पर रोशनी एक्ट के तहत सरकारी जमीन हड़पने का आरोप लगाया था। इस मुद्दे पर पीडीपी की ओर से अवमानना का लीगल नोटिस मिलने की बात पर उन्होंने कहा कि मुझे आज तक कोई नोटिस नहीं मिला है।
नियम के मुताबिक मौजूदा राज्यपाल को किसी कानूनी प्रक्रिया में नहीं घसीटा जा सकता है। महबूबा को मुझे नोटिस देने की जरूरत नहीं है। वो तो मेरे दोस्त की बेटी हैं। मुझे फोन कर सकती हैं। जहां तक रोशनी एक्ट की बात है तो मैं अपने बयान पर कायम हूं। इनके लोगों ने रोशनी एक्ट का बहुत फायदा उठाया। बहुत से प्लॉट हासिल किए।
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यूपी चुनाव पर होगा किसान आंदोलन का असर
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन का असर उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में आंशिक होगा। लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 में बहुत ज्यादा असर पड़ेगा। मैंने ये सब बातें प्रधानमंत्री से मुलाकात के दौरान बता भी कही थी। लखीमपुर खीरी हत्याकांड पर मेरा बोलना ठीक नहीं है। लोग तो कह ही रहे हैं कि मंत्री जी को अपने पद से त्यागपत्र देना चाहिए।
अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला सही
उन्होंने आगे कहा कि “केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर से धारा 370 ( Article 370 ) हटाने फैसला सही था। मैं, उसके बाद वहां एक साल तक राज्यपाल रहा। एक गोली भी नहीं चलानी पड़ी थी। कहीं कोई दंगा नहीं हुआ था। तीन-तीन पूर्व मुख्यमंत्री गिरफ्तार हुए, लेकिन किसी ने कोई विरोध नहीं किया था।”
इस्तीफा देने की पेशकश
इधर, मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन का समर्थन करके भी धारा के विपरीत चलने की अपनी पुरानी छवि दोहराई है और यहां तक ऐलान कर दिया कि यदि किसानों का प्रदर्शन जारी रहा तो वह अपने पद से इस्तीफा देकर उनके साथ खड़े होने के लिए तैयार हैं।
कौन हैं सत्यपाल मलिक
उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के हिसावदा गांव में 24 जुलाई, 1946 को सत्यपाल मलिक का जन्म हुआ। उनके पिता बुध सिंह किसान थे और सत्यपाल जब दो वर्ष के थे तभी पिता का निधन हो गया। पड़ोस के प्राथमिक विद्यालय से उनकी पढ़ाई शुरू हुई और इसके बाद ढिकौली गांव के इंटर कालेज से माध्यमिक शिक्षा पूरी कर वह मेरठ कॉलेज पहुंचे।
मलिक के मुताबिक जब वह दो साल के थे तो पिता का देहांत हो गया और बाद में वह खुद खेती करके पढ़ने जाते थे। उनकी राजनीतिक रुचि के बारे में पुनिया ने बताया कि डॉक्टर राम मनोहर लोहिया के विचारों से प्रभावित सत्यपाल छात्र राजनीति में सक्रिय हुए और 1968 में मेरठ कॉलेज में छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गये। तेज तर्रार और बिना लाग लपेट अपनी बात कहने वाले सत्यपाल मलिक पर भारतीय क्रांति दल के चौधरी चरण सिंह की नजर पड़ी और उन्होंने सत्यपाल को राजनीति की मुख्यधारा से जोड़ दिया।
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