रामपुर में आज़म ख़ान के दफ़्तर पर बड़ी कार्रवाई, सील दफ़्तर से हटाया गया बोर्ड

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द लीडर हिंदी : समाजवादी पार्टी के क़द्दावर नेता मुहम्मद आज़म ख़ान जेल में हैं और उनके हाथों क़ायम किए गए दफ़्तर से दारुल अवाम का नाम भी प्रशासन ने हटा दिया है. यहां अब राजकीय ख़ुर्शीद इंटर कॉलेज का बोर्ड लग गया है. यह वही दफ़्तर है, जो आज़म ख़ान के पास बरसों बरस लीज़ पर था लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद उन पर मुक़दमे दर्ज हुए तो दफ़्तर का भी नंबर लग गया. शर्तों के उल्लंघन की शिकायत के बाद जांच हुई और मामला सीएम योगी आदित्यनाथ तक पहुंचा तो कैबिनेट की मीटिंग में सपा के रामपुर दफ़्तर की लीज़ निरस्त कर दी गई. गुज़रे साल 10 नवंबर को प्रशासन ने इस दफ़्तर को सील कर दिया था लेकिन उस पर दारुल अवाम का बोर्ड लगा रहा. अब जब सपा मुखिया अखिलेश यादव के जन्मदिन पर एक जुलाई को सपाइयों ने दारुल अवाम के बाहर सड़क पर खड़े होकर केक काटा और बयानबाज़ी की तो उसके बाद आज यानी बुधवार को प्रशासन ने कार्रवाई कर दी. नगर पालिका परिषद की स्ट्रीट लाइट ठीक करने वाली गाड़ी से तोपख़ाना रोड के दफ़्तर दारुल अवाम का बोर्ड उतार दिया गया.

ख़ुर्शीद इंटर कॉलेज का लगा दिया गया है. पहले आप देखिए कि किस तरह सपाइयों ने केक काटा था और महानगर अध्यक्ष आसिम राजा शमसी ने वहां बड़ी बात कही थी. फिर आपको बताएंगे कि ख़ुर्शीद इंटर कॉलेज अभी कहां है और उसे क्यों शिफ़्ट किया जा रहा है. ..रामपुर में लड़कियों का राजकीय ख़ुर्शीद सबसे बड़ा कॉलेज है. फिलहाल नवाबों के बनाए गए क़िला की एक बिल्डिंग में चल रहा है. दरअसल क़िला को पर्यटन स्थल बनाया जा रहा है. उसी के चलते वहां से सरकारी स्कूल, दफ़्तर और कॉलोनियां शिफ़्ट करने की तैयारी है. ख़ुर्शीद इंटर कॉलेज को पहले रामपुर पब्लिक स्कूल, जिसे आज़म ख़ान ने ही बनवाया था, उसकी भी लीज़ निरस्त हो चुकी है. वो भी प्रशासन के क़ब्ज़े में है, वहां ले जाया जा रहा था लेकिन अब उसे दारुल अवाम में ले जाने की तैयारी है. ख़ैर एक-एक करके वो सारी संपत्तियां आज़म ख़ान से छीनी जा चुकी हैं, जिन्हें उन्होंने समाजवादी पार्टी की सत्ता में ट्रस्ट के नाम कराया था. मौलाना मुहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी में सरकारी ज़मीन को लेकर भी कार्रवाई चल रही है. दूसरी तरफ आज़म ख़ान के साथ उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म भी जेल में हैं.

पत्नी डॉ. तज़ीन फ़ातिमा कुछ दिन पहले ही ज़मानत मंज़ूर होने पर सलाख़ों से बाहर आई हैं. आज़म ख़ान और उनके परिवार को एक मामले में राहत मिलती है तो कुछ नये मामलों में सज़ा हो जाती है. ऐसे में उनका जेल से बाहर आने का इंतज़ार लंबा हो रहा है. सज़ा होने की वजह से चुनाव लड़ने से लेकर वोट डालने का हक़ भी उनसे छिन चुका है. कार्रवाई का एक लंबा सिलसिला है, जो वक़्त के साथ आगे बढ़ रहा है.