मैंने बम नहीं बांटा था, न ही विचार: वरवर राव

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       वरवर राव-

रचनाकार प्रसिद्ध तेलुगु कवि हैं और मौजूदा समय में भीमा कोरेगांव हिंसा के आरोप में में लंबे समय तक जेल में रहे और स्वास्थ्य बिगड़ने पर पैरोल पर हैं। बुद्धिजीवियों की ओर इन दिनों यह मुहिम भी चलाई ज रही है कि उनका हश्र भी कहीं स्टेन स्वामी जैसा न हो, जिस लेखक संघ से जुड़े हैं, उसे हाल ही में तेलंगाना सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया है। (Varavara Rao Poem)

उन पर माओवादी गतिविधि में संलिप्त होने का आरोप है। इस मामले में हुई 16 गिरफ्तारी में वरवर राव के अलावा गौतम नवलखा, आनंद तेलतुंबड़े, सुधा भारद्वाज, शोमा सेन जैसे दूसरे मानवअधिकार कार्यकर्ता, शिक्षक, वकील, शोधकर्ता, लोकगायक बंद हैं।

80 वर्ष से ज्यादा उम्र के वरवर राव जनकवि हैं, शिक्षक हैं। उनकी दर्जनों किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। सुरक्षा तंत्र का आरोप है कि वे प्रधानमंत्री की हत्या के साजिश में लिप्त थे। उन्हें यूएपीए के तहत गिरफ्तार कर जेल भेजा गया।

इन तमाम गिरफ्तारियों के जड़ में 8 जनवरी 2018 को आईपीसी की धाराएं 117, 153, 505, में दर्ज की गई एफआईआर है। एफआईआर में कबीर कला मंच के 6 सदस्य सुधीर धावले, सागर गोरखे, हर्षाली पोतदार, रमेश गायचोरे, दीपक धेंगले और ज्योति जगतप का नाम था। इससे 6 दिन पहले 2 जनवरी 2018 को हिंदूवादी संगठन के नेता सांभाजी राव भिड़े और मिलिंद एकबोटे के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज हुई थी। (Varavara Rao Poem)

जन्मदिन पर पढ़िए उनकी यह कविता


मैंने बम नहीं बांटा था, न ही विचार

 

मैंने बम नहीं बांटा था
न ही विचार
तुमने ही रौंदा था
चींटियों के बिल को
नाल जड़े जूतों से।
रौंदी गई धरती से
तब फूटी थी प्रतिहिंसा की धारा
मधुमक्खियों के छत्तों पर
तुमने मारी थी लाठी
अब अपना पीछा करती मधुमक्खियों की गूंज से
कांप रहा है तुम्हारा दिल!
आंखों के आगे अंधेरा है
उग आए हैं तुम्हारे चेहरे पर भय के चकत्ते
जनता के दिलों में बजते हुए
विजय – नगाड़ों को
तुमने समझा था मात्र एक ललकार
और तान दी थी उस तरफ अपनी बंदूकें…
अब दसों दिशाओं से आ रही है
क्रांति की पुकार।
(Varavara Rao Poem)

 


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