Lucknow : मैदानी इलाकों में बढ़ी ठिठुरन, रैन-बसेरों की व्यवस्थाओं में जुटा नगर निगम

द लीडर। ठंड का मौसम शुरू हो गया है ऐसे में हर साल की तरह लखनऊ के हर जोनों में रैन बसेरों की व्यवस्थाएं के लिए लखनऊ जिलाधिकारी के साथ नगर निगम के अधिकारियों की बैठक शुरू हो गई है। नगर निगम के तमाम ज़ोनल अधिकारियों को अपने-अपने जोनों में स्थाई रैन-बसेरों की व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के निर्देश दिए गए हैं। और साथ ही साथ अस्थाई रैन-बसेरे कहा लगने है और रैन-बसेरे में क्या व्यवस्थाएं करनी है यह सभी तैयारियां जल्द से जल्द कर सड़क पर सो रहे गरीब मजदूरों को रैन-बसेरों में रहने खाने की व्यवस्था करने के निर्देश दिए है।

गरीब-मजदूरों के लिए बने रैन-बसेरे की व्यवस्था

बता दें कि, हर साल गरीब, मजदूर और असहाय ठंड से मरते हैं। और भीषण ठंड में लखनऊ की सड़कों पर खुले में सोते हुए नजर आते हैं। इसके साथ ही बाहर गांव से आए मजदूर दिनभर मजदूरी करने के बाद सड़क किनारे बने फुटपाथ पर एक कंबल ओढ़ कर सो जाते हैं। वहीं कभी-कभी अत्यधिक ठंड के कारण मजदूरों की मौत हो जाती है। ऐसे में असहाय गरीब मजदूरों के लिए बने रैन-बसेरे जीवन रक्षक के रूप में कार्य करते हैं ।


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हर साल की तरह नगर निगम इस बार भी रैन बसेरों में रूके गरीब मजदूरों के लिए दो वक़्त के खाने की व्यवस्था कर रहा है। इसके साथ ही जोन 1 के जियामऊ स्थित स्थाई रैन-बसेरे में ठंड को देखते हुए तैयारियां शुरू हो गई है। कमरों की रंगाई, पुताई और सफाई का काम भी तेजी से चल रहा है। रैन-बसेरे में खाना बनाने वाली महिलाओं ने बताया कि, अभी लगभग 25 लोग रैन बसेरे में रह रहे हैं। जिसमें मजदूर और सड़क पर सोने वाले बुजुर्ग महिला समेत पुरुष भी शामिल है। जिनको खाने के साथ ओढ़ने के लिए रजाईयां और कम्बल उपलब्ध कराया गया है।

मैदानी इलाकों में बढ़ने लगी ठिठुरन

बता दें कि, उत्तर भारत में सर्दी की रफ्तार धीरे-धीरे बढ़ने लगी है, पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी से मैदानी इलाके ठिठुरने लगे है। बात उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की करें तो यहां बुधवार से मौसम में हुए बदलाव से ठंड बढ़ गई है। ऐसे में बेसहारा और गरीब लोगों के रहने और खाने पीने की व्यवस्था की जिम्मेदारी जिला प्रशासन और नगर निगम की ओर से की जाती है। बढ़ी ठंड से अब रैन बसेरों की लोगों को जरुरत पड़ेगी जिसको लेकर सभी तैयारियां कर बेसहारा और गरीबों की मदद की जा रही है।

 


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दरअसल, गर्मी के महीने में सिर्फ लखनऊ की बात करें तो सैकड़ों लोग आपको खुले आसमान में सड़क के किनारे बनी पटरियों पर सोते हुए मिल जाएंगे। लेकिन जब सर्दी का सितम होता है तो उन्हें ठंड से बचाने के लिए रैन बसेरे की व्यवस्था सरकार की ओर से की जाती है। अब जब ठंड शुरू हो चुकी है तो लखनऊ की सड़कों पर खुले में सोने वाले ऐसे उन तमाम लोगों को छत के नीचे करने की व्यवस्था शुरू हो गई है। अत्यधिक ठंड के कारण बाहर रहने से गरीब, असहाय मजदूरों की मौत हो जाती है। ऐसे में असहायों के लिए बने रैन-बसेरे जीवन रक्षक के रूप में कार्य करते हैं।

indra yadav

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