UP : लव जिहाद से ज्यादा असरदार उलमा और इस्लामिक स्कॉलर पर धर्मांतरण का धब्बा

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Love Jihad Muslim Scholar

अतीक खान


 

-अंतर-धार्मिक प्रेम विवाह रोकने के मकसद से लाए उत्तर प्रदेश धर्मांतरण विरोधी कानून-2020 (Love Jihad Law) की तपिश उलमा के दामन तक जा पहुंची है. मौलाना उमर गौतम के बाद मशहूर इस्लामिक स्कॉलर मौलाना कलीम सिद्दीकी इसकी जद में हैं. उनकी गिरफ्तारी को लेकर देश में हंगामा बरपा है. मुस्लिम बुद्धिजीवी, छात्र, एक्टिविस्ट और धार्मिक संगठन एक सुर में मौलाना कलीम की गिरफ्तारी पर विरोध दर्ज करा रहे हैं. कई सवाल भी हैं, जिनके जवाब मांगे जा रहे हैं. (Love Jihad Muslim Scholar)

मंगलवार की रात को यूपी के आतंक निरोधी दस्ता (ATS) ने मौलाना को मेरठ के रास्ते से गिरफ्तार किया था. उनके साथ पकड़े गए दो लोगों को रिहा कर दिया गया है. बुधवार को पुलिस ने मौलाना को एटीएस की स्पेशल कोर्ट में पेश किया था. अदालत ने उन्हें पुलिस रिमांड पर देने की मांग खारिज कर दी.

एडवोकेट अबूबकर सब्बाक मौलाना की पैरवी कर रहे हैं. उनकी दलील पर कोर्ट ने मौलाना को 5 अक्टूबर तक, न्यायिक हिरासत में भेजा है. उधर जमीयत उलमा-ए-हिंद ने मौलाना का केस लड़ने का ऐलान किया है.

मुजफ्फरनगर के फुलत गांव के रहने वाले मौलाना कलीम धार्मिक और शैक्षिक कामकाज से जुड़े हैं. उन्हें मेरठ के रास्ते गिरफ्तार किया गया. ये वो क्षेत्र है, जहां से लव जिहाद कानून के वजूद में आने के बाद से इस साल जून तक सर्वाधिक 16 मामले दर्ज किए गए. मतलब, मेरठ जोन पहले से शासन की नजर में है. (Love Jihad Muslim Scholar)

यूपी में लव जिहाद के 63 केस

यूपी सरकार ने पिछले साल लव जिहाद पर कानून बनाया था. जिसके अंतर्गत इस साल जून तक करीब 63 केस दर्ज किए गए. जिनमें मेरठ जोन से सबसे ज्यादा 16 और बरेली जोन से सर्वाधिक 15 मामले पंजीकृत हुए.

राज्य में इस कानून के तहत 162 लोगों को गिरफ्तार किया गया. जिनमें 100 लोगों को जेल हुई. और 21 को जमानत मिल चुकी है. ये आंकड़े इस साल जून तक के हैं. जून से सितंबर के अंतराल में कुछ और भी शिकायतें पंजीकृत हुई होंगी.

खास बात ये है कि इनमें 7 मामलों को पुलिस ने खुद ही बंद कर दिया. इसलिए क्योंकि पुलिस आरोप ही साबित नहीं कर पाई. इससे एक बात और भी साफ होती है कि लव जिहाद उतना प्रभावी नहीं है, जितने की उम्मीद की जा रही थी. पंजीकृत केसों की संख्या भी अपेक्षाकृत कम है.

बहराहल, इसी साल जून में नोएडा से मौलाना उमर गौतम को गिरफ्तार किया गया था. जिन पर लालच और भ्रमित करके धर्मांतरण कराने वाला गिरोह चलाने का आरोप है. मौलाना गौतम अभी जेल में ही हैं.


इसे भी पढ़ें –UP : कथित धर्मांतरण मामले में गिरफ्तार मौलाना कलीम सिद्​दीकी को पुलिस रिमांड पर भेजने की अर्जी खारिज


अब 21 सितंबर की रात को मौलाना कलीम सिद्​दीकी गिरफ्तार कर लिए गए. जिन्हें धर्मांतरण रैकेट चलाने का सरगना बताया जा रहा है. इस आरोप पर मीडिया उन्हें धर्म बदलवाने वाला खलनायक बना चुका है.

मौलाना कलीम की गिरफ्तारी पर एटीएस ने दो पन्नों का प्रेसनोट जारी किया. जिसमें मौलाना के यू-ट्यूब चैनल के वीडियो लिंक दिए गए हैं. मौलाना कलीम के वकील अबू बकर सब्बाक ने कहा कि, ”एटीएस ने मौलाना के यू-ट्यूब चैनल को अटैच किया है, जोकि पहले से ही सार्वजनिक हैं. सबूत के तौर पर इससे खुद ही उनके खिलाफ लगे आरोपों की गंभीरता समझी जा सकती है. इन वीडियोज में राष्ट्र के खिलाफ ऐसा कुछ भी बरामद नहीं होता है.”

मौलाना कलीम देश-दुनिया के धार्मिक-शैक्षिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेते रहे हैं. इसी साल 7 सितंबर को वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत से भी मिले थे. (Love Jihad Muslim Scholar)

जैसा कि उनका काम ही दीन और शिक्षा का प्रचार है, तो वह मदरसों की मदद भी करते हैं. समाजिक सौहार्द की कोशिशों में भी लगे रहते हैं. लेकिन उनकी ये सारी कोशिशों धर्मांतरण गिरोह चलाने की आड़ बताई गई हैं.

संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुंबई के कार्यक्रम में मुलाकात करते मौलाना कलीम सिद्​दीकी.

मौलाना की गिरफ्तारी के साथ ट्वीटर पर हंगामा है. सरकार से सवाल पूछे जा रहे हैं. इस आरोप के साथ कि यूपी में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं. इसलिए सरकार मुस्लिम समाज के बुद्धिजीवी, छात्र और नौजवानों को निशाना बना रही है.

बहरहाल, मौलाना न्यायिक हिरासत में हैं. और ये केस अब देश के प्रमुख मामलों में से एक में शामिल हो चुका है. एटीएस और पुलिस जैसा दावा कर रही है. उससे स्पष्ट है कि आगे कुछ और लोगों को भी हिरासत में लिया जा सकता है. (Love Jihad Muslim Scholar)

महाराष्ट्र कैडर के पूर्व आईपीएस अब्दुर्रहमान यूपी चुनाव के मद्​देनजर ये आशंका जताते हैं कि आने वाले दिनों में एजेंसियों का दुरुपयोग बढ़ेगा. इसलिए क्योंकि चुनाव जीतने के लिए मुसलानों पर जुल्म करने और नीच दिखाने के सिवाय कोई दूसरा रास्ता नहीं है.

 

(लेखक पत्रकार हैं. यहां व्यक्त विचार उनके निजी हैं. )

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