द लीडर डेस्क।
मुसलमानों के सबसे पवित्र स्थल मक्का और मदीना जिस देश की धरती में हैं, उस सऊदी अरब की हुकूमत ने मस्जिदों में अज़ान और उपदेश को लेकर एक नई व्यवस्था दी है। सऊदी प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का आदेश है कि मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकर की आवाज एक तिहाई कर दी जाए।
सऊदी अरब के इस्लामी मामलों के मंत्रालय की मार्फत सभी मस्जिदों को जारी आदेश में कहा गया है कि वे अज़ान के वक़्त लाउडस्पीकर की आवाज तिहाई रखें। लाउडस्पीकर से प्रार्थना या उपदेश प्रसारित करने की भी मनाही कर दी गई है। इस सरकारी फरमान में इस्लामी विद्वान शेख मोहम्मद बिन सलेह अल ओथेमीन और सलेह अल फैज़ान के फतवे का भी हवाला दिया गया है जो कहते हैं लाउडस्पीकर का इस्तेमाल सिर्फ अज़ान और इक़ामत के लिए ही होना चाहिए।
विभागीय मंत्री अब्दुल लतीफ अल शेख ने कहा है कि जो लोग नमाज या प्रार्थना करना चाहते हैं, वे अजान की आवाज का इंतज़ार नहीं करेंगे। एक चैनल के साथ इंटरव्यू में उन्होंने कहा कुछ लोग सरकार के फैसले के खिलाफ लोगों को भड़काना चाहते हैं लेकिन वे सफल नहीं होंगे।
मस्जिदों के पास रहने वाले लोगों की शिकायत पर लिए गए इस फैसले का ज्यादातर ने स्वागत किया है। एक समाचार पत्र ने एक नागरिक मोहम्मद अल याह्या के हवाले से लिखा है ‘ ये फैसला कुछ लोगों को परेशान कर सकता है, पर ज्यादातर के लिए बेहतरीन है। उम्मीद है अब रेस्तरां और बाजारों की तेज आवाज से परेशान लोगों की भी सुनी जाएगी।
कैसे शुरू हुई अज़ान
मदीना में जब सामूहिक नमाज़ पढ़ने के मस्जिद बनी तो मसला ये आया कि लोगों को नमाज़ के लिए कैसे सूचित किया जाए। हज़रत मोहम्मद साहब के साथियों ने अलग अलग राय दी। किसी ने कहा कि कोई झंडा बुलंद किया जाए, किसी ने ऊंची जगह पर आग जलाने, बिगुल और घंटियाँ बजाने का प्रस्ताव दिया। मोहम्मद साहब को ये सभी तरीके पसंद नहीं आए।
उसी रात एक अंसारी सहाबी हज़रत अब्दुल्लाह बिन ज़ैद ने सपने में देखा कि किसी ने उन्हें अज़ान और इक़ामत के शब्द सिखाए हैं। उन्होंने सुबह सवेरे पैगंबर साहब को अपना सपना बताया तो उन्होंने उस सपने को अल्लाह की ओर से सच्चा सपना बताया।
पैगंबर साहब ने अब्दुल्लाह बिन ज़ैद से कहा कि तुम हज़रत बिलाल को अज़ान इन शब्दों में पढ़ने की हिदायत कर दो, उनकी आवाज़ बुलंद है इसलिए वह हर नमाज़ के लिए इसी तरह अज़ान दिया करेंगे। इस तरह हज़रत बिलाल रज़ियल्लाहु अन्हु ने इस्लाम की पहली अज़ान कही।
अज़ान के मायने
अज़ान के प्रत्येक बोल के बहुत गहरे मायने हैं। मुअज्जिन अज़ान की शुरुआत करते हुए कहते हैं कि अल्लाहु अकबर। यानि अल्लाह (ईश्वर) महान हैं। अज़ान के आखिर में भी अल्लाहू अकबर कहा जाता है और फिर ला इलाहा इल्लाह के बोल के साथ अज़ान पूरी होती है। यानि अल्लाह के सिवाए कोई माबूद नहीं।
आइए पूरी अज़ान के अर्थ पर एक नज़र डालते हैं।
अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर ( दो बार)
अल्लाह सब से महान है।
अश-हदू अल्ला-इलाहा इल्लल्लाह ( दो बार)
मैं गवाही देता हूं कि अल्लाह के अतिरिक्त कोई दूसरा इबादत के योग्य नहीं।
अश-हदू अन्ना मुहम्मदर रसूलुल्लाह ( दो बार)
मैं गवाही देता हूं कि मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम
अल्लाह के अन्तिम संदेष्टा हैं।
हय्य’अलस्सलाह
आओ नमाज़ की तरफ़।
हय्य ‘अलल फलाह, हय्य ‘अलल फलाह
आओ कामयाबी की तरफ़।
अस्सलातु खैरुन मिनन नउम ( दो बार)
(ये बोल केवल सुबह (फज्र) की अज़ान में कहे जाते हैं)
नमाज़ सोए रहने से उत्तम है।
अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर
अल्लाह सब से महान है।
ला-इलाहा इल्लल्लाह
अल्लाह के सिवाए कोई माबूद नहीं।