रामपुर में लोकसभा का चुनाव…आज़म बनाम अखिलेश यादव

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द लीडर हिंदी : सीतापुर जेल से आज़म ख़ान के एलान-ए-बग़ावत पर माना यह जा रहा था कि अखिलेश यादव उन्हें मना लेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ. समाजवादी पार्टी के मुखिया ने अपने राष्ट्रीय महासचिव की रामपुर आकर चुनाव लड़ने की मांग को न सिर्फ ठुकरा दिया. बल्कि रामपुर की सपा के इस फै़सले पर कि वो चुनाव मैदान में नहीं उतरेंगे, अपनी तरफ से उम्मीदवार भी घोषित कर दिया. बता दें रामपुर की लड़ाई बेहद दिलचस्प मोड़ पर खड़ी हो गई है. अगर इसे आज़म ख़ान बनाम अखिलेश यादव कहें तो शायद ग़लत नहीं होगा.

इसलिए कि समाजवादी पार्टी की तरफ से चार नेताओं ने नामांकन कराया है. इसमें पहला नाम सपा मुखिया की तरफ से घोषित किए गए मोहिबुल्लाह नदवी का है. उनके पास पार्टी का सिंबल भी है. यह सिंबल सपा के प्रदेशाध्यक्ष नरेश उत्तम रामपुर लेकर पहुंचे, ऐसा कहा जा रहा है. मोहिबुल्लाह नदवी की बात करें तो वो दिल्ली में पार्लियामेंट वाली मस्जिद के इमाम हैं. रहने वाले रामपुर की तहसील स्वार में रज़ानगर के हैं.

इस चुनावी उठापटक के बीच आसिम राजा शमसी ने बताया कि क्यों पहले बहिष्कार का एलान किया और फिर आख़िरकार पर्चा क्योंकर भर दिया. रामपुर में समाजवादी पार्टी से दो नहीं चार पर्चे दाख़िल हुए हैं. दो नाम ऊपर साफ हो गए. तीसरा नाम हाफ़िज़ अब्दुस्साल और चौथा चंद्रपाल सिंह एडवोकेट है. दोनों भी सपा का टिकट मांग रहे थे. अब्दुस्सलाम और चंद्रपाल सिंह ज़िला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष रहे हैं.

अब अखिलेश यादव बनाम आज़म ख़ान के बीच शुरू हुए इस शीतयुद्ध को ख़त्म कराने का महज़ एक रास्ता बचा है. वो शिवपाल सिंह यादव हैं. उनके बारे में ख़बर आ रही है कि कल सीतापुर जाकर जेल में आज़म ख़ान से मुलाक़ात करेंगे. अब अगर समाजवादी पार्टी के अंदर छिड़ी जंग खत्म नहीं होती तो भाजपा को बग़ैर कुछ किए रामपुर के चुनाव में फ़ायदा होता साफ दिख रहा है. क्योकि अखिलेश यादव आज़म ख़ान से दो-दो हाथ के मूड में दिखाई दे रहे है.

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