लोकसभा चुनाव 2024 : रायबरेली सीट से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे राहुल गांधी

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द लीडर हिंदी: पूरे देश में लोकसभा चुनावों को लेकर सियासी तापमान काफी गरम है. इसी बीच उत्तर प्रेदश की रायबरेली सीट पर बना सस्पेंस भी खत्म हो गया.रायबरेली लोकसभा सीट से आखिरकार राहुल गांधी को उम्मीदवार घोषित कर दिया गया है.यूपी की अमेठी और रायबरेली सीटें कांग्रेस का गढ़ मानी जाती रही हैं.वही कांग्रेस ने रायबरेली से राहुल गांधी को चुनावी मैदान में उतारने का ऐलान कर दिया है. यह सीट पहले राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी के पास थी. जबकि अमेठी लोकसभा सीट से गांधी परिवार के वफादार किशोरी लाल शर्मा चुनाव लड़ेंगे.वही रायबरेली को गांधी परिवारा का गढ़ माना जाता है.

1952-57 के दौरान, फिरोज गांधी ने इसका प्रतिनिधित्व किया, और इंदिरा गांधी 1967 से 1984 तक वहां से सांसद रहीं. सोनिया गांधी 2004 से 2024 तक संसद सदस्य रहीं. वहीं अमेठी लोकसभा सीट भी कांग्रेस और गांधी परिवार का गढ़ मानी जाती रही है. इस सीट पर 1980 में संजय गांधी ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद 1984 में राजीव गांधी यहां से चुनावी मैदान में उतरे. 1991 तक वे यहां से सांसद रहे. 1999 में सोनिया गांधी ने अमेठी सीट से चुनावी मैदान में उतर कर जीत दर्ज की. 2004, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर राहुल गांधी ने जीत दर्ज की. हालांकि, 2019 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा.वही राहुल गांधी ने अमेठी सीट पर जीत की हैट्रिक बनाई थी, लेकिन 2019 में बीजेपी सांसद स्मृति ईरानी से हार गए थे.

आपको बतादें परंपरागत रूप से गांधी-नेहरू परिवार के सदस्यों के कब्जे वाली इन दोनों सीट पर दावेदारों के नामों को लेकर पार्टी में गुरुवार से ही विचार-विमर्श चल रहा था.वही बीजेपी ने गुरुवार को दिनेश प्रताप सिंह को रायबरेली से अपना उम्मीदवार घोषित किया था. सिंह को 2019 लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी से हार का सामना करना पड़ा था.रायबरेली सीट सीट का प्रतिनिधित्व सोनिया गांधी ने 2004 से अब तक किया. 2019 में सोनिया गांधी ने डेढ़ लाख से ज्यादा वोटों से बीजेपी के प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह को इस सीट से हराया था.

वह इस बार फिर रायबरेली सीट से बीजेपी के उम्मीदवार हैं, मगर इस बार उनका मुकाबला राहुल गांधी से होगा। बीजेपी ने गुरुवार को ही रायबरेली सीट के लिए दिनेश प्रताप सिंह के नाम पर मुहर लगाई. बीते कई दिनों ने अमेठी और रायबरेली सीटों को लेकर कांग्रेस के भीतर माथापच्ची होती रही. कांग्रेस की यूपी ईकाई ने केंद्रीय चुनाव समिति के सामने प्रस्ताव रखा था कि गांधी परिवार के सदस्य को ही अमेठी और रायबरेली सीटों पर उम्मीदवार बनाया जाए. हालांकि अंतिम फैसला कांग्रेस अध्यक्ष खरगे पर छोड़ा गया था.