
द लीडर हिंदी: यूपी के जिला बरेली में फर्जी भूअभिलेखों के जरिये छह संस्थानों ने उप्र खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड से लोन लेकर लाखों-करोड़ों का घपला कर डाला. जिला ग्रामोद्योग कार्यालय में तैनाती के दौरान सहायक विकास अधिकारी अरुण सिंह ने साल 2020 में मामले की शिकायत शासन से की तो एंटी करप्शन टीम को जांच सौंप दी गई थी. अब एंटी करप्शन के इंस्पेक्टर प्रवीन सान्याल ने मामले में नायब तहसीलदार, लेखपाल समेत 28 लोगों पर घोखाधड़ी और सरकारी योजनाओं का अनुचित लाभ लेने का मुकदमा दर्ज कराया है.
एफआईआर के मुताबिक, सुरेश शर्मा नगर स्थित गायत्री सेवा संस्थान, गांव टांडा स्थित सगीर ग्रामोद्योग सेवा संस्थान, सीमा ग्रामोद्योग सेवा संस्थान, रजऊ परसपुर स्थित स्वास्तिक ग्रामोद्योग सेवा संस्थान, फरीदपुर स्थित शुक्ला गुड़ खांडसारी ग्रामोद्योग सेवा संस्थान और नरकुलागंज स्थित जेएमडी ग्रामोद्योग सेवा संस्थान के 22 पदाधिकारियों ने फर्जी भूमि अभिलेख और दस्तावेज लगाकर उप्र खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड से लोन लिया था. लोन की रकम का इन पदाधिकारियों द्वारा दुरुपयोग किया गया. जांच में इस चीज का भी खुलासा हुआ कि नायाब तहसीलदार चौबारी नरेंद्र कुमार, लेखपाल नाजिम मियां, लेखपाल अख्तर हुसैन, लेखपाल शरीक, फरीदपुर नगर पालिका के लिपिक महेंद्र कुमार और रजिस्ट्रार कार्यालय के संपत्ति जांचकर्ता महेश चंद्र ने घोटालेबाजों को गलत तरीके से लाभ पहुंचाने के लिए उनके फर्जी दस्तावेजों को सत्यापित किया था. घोटाला करने वाले पदाधिकारियों के साथ ही छहों सरकारी कर्मचारियों को भी मुकदमे में नामजद किया गया है. हालांकि, एफआईआर में इसका जिक्र नहीं है कि समितियों की ओर से कितनी रकम लोन ली गई थी. सूत्रों की माने तो यह घोटाला लाखों का बताया जा रहा है. एंटी करप्शन टीम के सीअो यशपाल सिंह ने बताया कि मुकदमा काेतवाली में दर्ज कराया गया है. जिसे एंटी करप्शन को ट्रांसफर कराया जाएगा. फिर मामले की विवेचना की जाएगी. मामले में कुछ सरकारी कर्मचारियों पर भी मुकदमा दर्ज हुआ है. उन्हें भी विवेचना में शामिल किया जाएगा.