जानिए क्यों भाजपा के चाणक्य अमित शाह के आस पास ही घूमती है यूपी की सियासत ?

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द लीडर। किसी भी राजनीतिक दल में नंबर एक के बाद नंबर दो कौन है ये बड़ा सवाल होता क्योंकि अक्सर ऐसा होता है कि नम्बर एक और नंबर दो के बीच खास बनती नहीं लेकिन इसके उलट अगर नंबर एक का नंबर दो बेहद खास है तो नंबर दो हैसियत भी नंबर एक से किसी मायने में कम नहीं रहती।

आजकल के समय को मोदी-शाह युग भी कहते है लोग

मौजदा समय में देश की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी में अगर नंबर एक और नंबर दो पूछा जाए तो कोई भी यही जवाब देगा कि पहला नंबर है प्रधानमंत्री मोदी का और दूसरा नंबर गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह का है कुछ लोग तो आजकल के समय को मोदी-शाह युग भी कहते है। और ये देखा भी जाता है पार्टी का चेहरा तो मोदी है लेकिन नीतिगत फैसलों की जिम्मेदारी अमित शाह पर ही है और खासकर उत्तर प्रदेश की राजनीति में तो अमित शाह की ये भूमिका और भी बढ़ जाती है।


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यही कारण है कि हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री दिनेश खटीक का जो मामला देखने को मिला उसमें जब वो प्रदेश के अधिकारियों से नाराज दिखे तो सीधे उन्होंने अमित शाह को पत्र लिखकर पीड़ा सुनाई, अब सवाल वहीं बनता है कि ये चिट्ठी अमित शाह को ही क्यों?

ये सवाल और भी बड़ा हो जाता है जब सिर्फ भाजपा के ही नहीं साहयोगी दलों को भी कोई परेशानी होती है तो वो अमित शाह की तरफ ही रुख करता है। और ऐसा भी देखा जाता है कि अमित शाह के साथ फोटो आने के बाद सब सामान्य हो जाता है। विधानसभा चुनाव के पहले निषाद पार्टी के साथ गठबंधन का फार्मूला सेट नहीं हो पा रहा था लेकिन डॉ संजय निषाद और अमित शाह की मुलाक़ात के बाद हल निकल आया।

वहीं विधानसभा चुनाव के पहले जब टिकटों को लेकर उथल पुथल मची हुई थी और एक ही झटके में तीन मंत्री भाजपा से इस्तीफा देकर समाजवादी पार्टी में चले गए थे तब भी अमित शाह ने ही स्थित संभाली बताया जाता है अंत में टिकटों को लेकर अमित शाह ने ही हल निकाला।

‘मोदी को पीएम बनाना है तो योगी को सीएम बनाना होगा’

इसके साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ के चयन में भी अमित शाह की महत्वपूर्ण भूमिका रही जिसका उन्होंने सार्वजनिक मंचों से जिक्र भी करते है वहीं दूसरे कार्यकाल के पहले भी अमित शाह ने ही आगे आकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम की घोषणा की उन्होंने सीधे शब्दों में कहा कि, ‘अगर मोदी को पीएम बनाना है तो योगी को सीएम बनाना होगा।’

वहीं अभी हाल में ही राष्ट्रपति चुनाव में भी देखा गया जब ओम प्रकाश राजभर ने अमित शाह से मुलकात करने के बाद अपना पाला बदल दिया और उन्होंने अपने विधायकों सहित एनडीए प्रत्याशी द्रोपदी मुर्मू का समर्थन किया।

सवाल हर बार वहीं उठता है कि शाह अब न तो बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और न ही उत्तर प्रदेश के प्रभारी फिर प्रदेश सरकार और संगठन से जुड़े हर सवाल का जवाब उन्हीं के पास जाकर क्यों तलाशा जाता है? जिसका जवाब है कि वो उत्तर प्रदेश की राजनीति की नब्ज को बड़ी बारीकी समझते है जो इस समय भाजपा का अजेय दुर्ग दिखाई पड़ रहा है उसे अमित शाह ने ही तैयार किया है।

यूपी में उनकी एंट्री बतौर प्रभारी 2013 में हुई थी। उस वक्त पार्टी के पास विधानसभा में 47 विधायक और लोकसभा में सिर्फ 10 सांसद ही थे।अलग-अलग खेमों और गुटों को ध्वस्त कर नए सिरे से संगठन का स्वरूप तैयार किया। नए संगठन मंत्री को जिम्मेदारी सौंपी। संगठन में भी नए और युवा चेहरे तैयार किए। पटेलों की अहमियत समझते हुए अपना दल को साथ लिया। सहयोगी दलों के साथ 73 लोकसभा सीटें जीतकर अपना दम दिखाया।

2024 चुनावों में अमित शाह की महत्वपूर्ण रहेगी भूमिका

कहा जाता है कि 2014 में वह भले ही बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए, लेकिन प्रदेश के फैसलों में उनका दखल बरकरार रहा। 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले उनकी पहल पर ही पिछड़ी जाति के केशव मौर्य को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। शाह ने ही सुभासपा से गठबंधन किया। उनकी रणनीति का ही असर था कि विधानसभा चुनावों में बीजेपी को सहयोगियों के साथ 325 सीटें मिलीं। इसके साथ ही 2019 और 2022 में भाजपा की जीत के पीछे अमित शाह की भूमिका ही रही टो इससे उम्मीद लगाई जा सकती है कि 2024 के चुनावों में भी अमित शाह की महत्वपूर्ण रहेगी।


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