ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ के कुल पर देशभर में छाई अकीदत की बहार, दरगाह आला हज़रत पर सजी महफिल

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Khawaja Gareeb Nawaz Ajmer
ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ के कुल के मौके पर बरेली में लंगर में तबर्रुक बांटते अकीदतमंद.

द लीडर : अजमेर शरीफ में ख़्वाजा मोईनुद्​दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह, जो ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ के तौर पर जाने जाते हैं-उनका 810वां सालाना उर्स शानो शौकत के साथ मनाया जा रहा है. आज यानी मंगलवार को छठी शरीफ है. अजेमर से लेकर देश के तमाम हिस्सों में मस्जिद, दरगाह, खानकाह और घर-घर नियाज का एहतमाम किया गया. 11 फरवरी को आख़िरी कुल शरीफ होगा. (Khawaja Gareeb Nawaz Ajmer)

ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ के उर्स में बड़ी संख्या में जायरीन की भीड़ उमड़ी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी के अलावा तमाम राजनीतिक दलों ने अपनी चादरेें पेश की हैं. बरेली की दरगाह आला हज़रत और दरगाह ताजुश्शरिया के साथ विभिन्न दरगाह और खानकाहों से भी यहां चादर पेश की गईं.

मंगलवार को बरेली में दरगाह आला हज़रत पर दरगाह प्रमुख मौलाना सुब्हान रज़ा खां-सुब्हानी मियां की सरपस्ती और सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी-अहसन मियां की सदारत में कुल की रस्म अदा की गई. हाजी गुलाम सुब्हानी ने कुरान की तिलावत से महफिल का आगाज किया. मौलाना सैफ मियां ने ख़्वाजा की शान में कलाम पेश किए. और मुफ्ती अख़्तर ने तकरीर की. इस दौरान इमाम रिज़वान, मौलाना आकिल, मुफ्ती सलीम नूरी, शाहिद नूरी, परवेज नूरी, औरंगजेब नूरी, मंजूर ख़ान आदि मौजूद रहे. (Khawaja Gareeb Nawaz Ajmer)


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दरगाह ताजुश्शरिया के सज्जादानशीन और काजी-ए-हिंदुस्तान मुफ्ती असजद रज़ा क़ादरी-असजज मियां, जमात रज़ा-ए-मुस्तफा के उपाध्यक्ष सलमान हसन खां, प्रवक्ता समरान ख़ान ने उर्स में दरगाह पर हाजिरी लगाई है.

वहीं, खानकाह नियाज़िया पर भी उर्स की महफिल सजी. उलमा-ए-कराम ने ख़्वाजा की जिंदगी पर रौशनी डाली. और उनकी तालिमात पर अमल का पैगाम दिया. (Khawaja Gareeb Nawaz Ajmer)

हालांकि तमाम बंदिशों को देखते हुए बहुत से अकीदतमंद उर्स में हाजिर नहीं हो पाए हैं. इसलिए उन्होंने अपने घरों या दरगाह-खानकाहों पर आयोजित कुल की रस्म में शिरकत कर दुआएं मांगी हैं. लंगर लगाकर तबर्रुक तकसीम किया गया.

आपको बता दें कि ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ के उर्स का आगाज 29 जनवरी को परचम कुशाई के साथ हुआ था. चूंकि इस बार भी कोविड का संकट बना है. लेकिन कोविड के नियमों का पालन करते हुए उर्स की रस्में अदा की गई हैं. (Khawaja Gareeb Nawaz Ajmer)


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