द लीडर : ”हिजाब इस्लाम का ज़रूरी हिस्सा नहीं है.” कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) के इस फ़ैसले से मुस्लिम समुदाय हैरान है. जमीयत उलमा-ए-हिंद से लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, रज़ा एकेडमी के बीच से ये हैरानी सामने भी आई है. एक छात्र निबा नाज़ ने इस फ़ैसले को सुप्रीमकोर्ट में चैलेंज किया है. चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना (CJI NV Ramana) ने कहा-”हमें वक़्त दें. हम देखेंगे. होली की छुट्टियों के बाद इसे सूचिबद्ध किया जाएगा.” (Karnataka Hijab Verdict Impact)
जैसा कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने फ़ैसले में साफ किया है कि, ”कॉलेज अपनी यूनिफॉर्म तय कर सकते हैं. और स्टूडेंट्स इसे पहनने से इनकार नहीं कर सकते है.” उससे स्पष्ट है कि हिजाब प्रतिबंध का दायरा केवल कर्नाटक तक ही सीमित नहीं रहेगा. बल्कि पूरे देश में इस तरह के प्रतिबंध देखने को मिल सकते हैं. गोवा के सीएम प्रमोद सावंत ने कहा भी है कि इससे समानता आएगी. हिजाब विवाद के दरम्यान यूपी के अलीगढ़, मध्यप्रदेश और बिहार से भी विरोध की घटनाएं सामने आ चुकी हैं.
इस फ़ैसले के संदर्भ में कुछ चिंताएं हैं, जो मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलमा-ए-हिंद की तरफ से सामने आई हैं. जमीयत के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि इसका असर मुस्लिम छात्राओं की तालीम के साथ धार्मिक स्वतंत्रता पर भी पड़ेगा. उन्होंने नौजवानों से अपील की है कि इस फ़ैसले के ख़िलाफ किसी तरह का प्रोटेस्ट न करें, न ही सड़कों पर उतरें. (Karnataka Hijab Verdict Impact)
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मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना ख़ालिद सैफ़ुल्ला रहमानी ने कहा कि, इस्लाम में जो फ़र्ज या वाजिब हैं. उन पर अमल करना ज़रूरी है. जो पालन नहीं करते वे इस्लाम के दायरे से बाहर नहीं हैं, लेकिन गुनहगार ज़रूर हैं. ये फ़ैसला संविधान के आर्टिकल 15 के ख़िलाफ है.
इस बीच बैंगलुरू के अमीरे शरीयत सग़ीर अहमद रशीदी ने 17 मार्च को कर्नाटक बंद का ऐलान किया है. स्पष्ट संदेश के साथ कि, बंद में किसी तरह का जुलूस, प्रोटेस्ट या नारेबाज़ी नहीं होगी. फ़ैसले के ख़िलाफ सांकेत विरोध दर्ज़ कराएंगे. हालांकि बुधवार को ही कर्नाटक के भटकल में मुसलमानों ने इस फ़ैसले के विरोध में अपनी दुकानें-प्रतिष्ठान बंद रखकर विरोध दर्ज़ कराया है. (Karnataka Hijab Verdict Impact)
स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑग्रेनाइज़ेशन ऑफ इंडिया (SIO) इस मामले में एक प्रेस कांफ्रेंस की है. जिसमें राज्य सरकार से एजुकेशन एक्ट में संशोधन कर, ड्रेस कोड में सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता बरक़रार रखने की मांग की है. इसके अलावा चालू सत्र में नए ड्रेस कोड से छात्राओं को राहत दिए जाने, विवाद में जिन छात्राओं पर केस दर्ज़ हुआ है-उन्हें निरस्त करने की मांग उठाई है. फ़ैसले को आधार बनाकर छात्राओं का उत्पीड़न रोका जाना सुनिश्चित किया जाए. शैक्षिक संस्थानों को प्रभावित मुस्लिम छात्राओं के लिए मेंटल हेल्थकेयर की व्यवस्था करनी चाहिए.
एसआईओ ने कहा कि कर्नाटक में 2009 से हिजाब को लेकर विवाद पैदा किया जाता रहा है. बंटवाल के एसवीएस कॉलेज में एक छात्रा के हिजाब पहनकर आने के विरोध में बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने प्रोटेस्ट किया था.(Karnataka Hijab Verdict Impact)