आला हजरत की दरगाह से उठी साबिया के इंसाफ की आवाज, बरेली में टीटीएस का प्रोटेस्ट

द लीडर : जस्टिस फॉर साबिया. ये मुहिम हर रोज तेज होती जा रही है. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के बाद दरगाह आला हजरत से साबिया को इंसाफ दिलाने की आवाज उठी है. दरगाह के संगठन तहफ्फुज-ए-तहरीके सुन्नियत (TTS) ने शुक्रवार को बरेली में विरोध-प्रदर्शन किया. और राष्ट्रपति को संबोधित मांग पत्र प्रशासन को सौंपा है. (Justice For Sabiya Ala Hazrat)

दिल्ली सिविल डिफेंस की कर्मचारी साबिया सैफी (काल्पनिक नाम) जोकि, लाजपतनगर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के ऑफिस में तैनात थीं. 26 अगस्त को हरियाणा के फरीदाबाद स्थित सुरजकुंड से उनकी लाश बरामद हुई.

साबिया 21 साल की थीं. उनका पूरा बदन धारदार हथियारों से चाक था. करीब 50 से ज्यादा वार किए गए थे. परिवार का आरोप है कि सामूहिक बलात्कार करके साबिया को मौत के घाट उतारा गया है. और वह सीबीआज जांच चाहते हैं.

साबिया कांड इस वक्त देश का सबसे बड़ा मर्डर मिस्ट्री केस बन चुका है. इसमें कई चौंकाने वाले पहलू सामने आए हैं. मसलन, साबिया के कत्ल का इल्जाम, उनके ही ऑफिस के एक दोस्त निजामुद्​दीन ने कबूल किया है. जिसने साबिया के शौहर यानी पति होने का दावा किया है. दूसरी तरफ परिवार ने साबिया की शादी से साफ इनकार किया है.


इसे भी पढ़ें –असल उताड़’ गांव को ‘पाकिस्तानी पैटन टैंकों’ की कब्रगाह बनाने वाले वीर का आज शहादत दिवस है


 

टीटीएस ने राष्ट्रपति को भेजे मांग पत्र में आरोप का हवाला दिया है कि साबिया के साथ 4-5 लोगों ने हैवानियत की. इसमें उनके दोस्त भी शामिल हैं, जो इस गुनाह में बराबर के शरीक हैं. उन सभी को कड़ी सजा दी जाए. बलात्कार पर फांसी का सख्त कानून बने. बहन-बेटियों की रक्षा के लिए कानूनी सख्ती जरूरी है. (Justice For Sabiya Ala Hazrat)

बरेली के ही बज्मे-गौस-ए-आजम संस्था ने भी शुक्रवार को जिला प्रशासन को एक मांग पत्र दिया है. जिसमें बलात्कार पर फांसी की सजा का कानून बनाए जाने और साबिया को इंसाफ की आवाज उठाई है.

काबिलेगौर है कि साबिया के कत्ल के 15 दिन बीत चुके हैं. दिल्ली ही नहीं, देश के तमाम मुस्लिम संगठन, सामाजिक कार्यकर्ता और आम लोग साबिया को न्याय दिलाने के लिए सड़कों पर आ रहे हैं. समाज के दूसरे लोगों का साथ भी मिल रहा है.

लेकिन इस मुद्​दे को मैन स्ट्रीम मीडिया में उतनी जगह नहीं मिल पा रही है. जितनी मिलनी चाहिए या उससे पहले की ऐसी घटनाओं पर मिलती रही है. इसको लेकर मुस्लिम समाज से शिकायतें सामने आ रही हैं. (Justice For Sabiya Ala Hazrat)

दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार हो या फिर पुलिस की भूमिका, दोनों पर सवाल उठाए जा रहे हैं. जस्टिस फॉर साबिया की मुहिम को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, जामिया मिल्लिया इस्लामियां यूनिवर्सिटी के अलावा तमाम शैक्षिक संस्थानों के छात्र आगे बढ़ाए हुए हैं.


इसे भी पढ़ें -सांसद आज़म खान की मुश्किलें बढ़ीं : प्रशासन ने वापस ली जौहर यूनिवर्सिटी की 70 हेक्टेयर जमीन


 

इसी का असर है कि अब छोटे शहरों और जिलों से भी साबिया के न्याय की आवाजें गूंजने लगी हैं. और अब देश की दरगाह, खानकाहें भी इस मुहिम में शामिल हो गए हैं.

दरगाह के मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने कहा कि साफिया को इंसाफ दिलाना हर उस शख्स की जिम्मेदारी है, जो महिलाओं की सुरक्षा के पक्षधर हैं. इस दौरान मंजूर खान, यूनुस गद्​दी, इरशाद रजा, जुनैद अजहरी, नफीस खान मुजाहिद रजा, सय्यद फरहत, जोहि रजा आदि रहे. वहीं बज्मे गौस-ए-आजम की ओर से प्रोटेस्ट में अध्यक्ष मो. रजा नूरी, सचिव तमहीद यूसुफजई, मुस्तफा नूरी, फैसल खान, शोएब खान आदि रहे.

Ateeq Khan

Related Posts

बरेली में केलाडांडी का माहौल जांचने पहुंचे डीएम-एसएसपी

द लीडर हिंदी: यूपी के ज़िला बरेली में जुमे के दिन जिस केलाडांडी गांव में मस्जिद बनाम विवादित स्थल का तनाज़ा खड़ा हुआ, वहां माहौल का जायज़ा लेने के लिए…

बरेली में बिना रंजिश क्यों क़त्ल किए गए सेना के रिटायर्ड माली

द लीडर हिंदी: यूपी के ज़िला बरेली में कैंट के मिलिट्री डेयरी फॉर्म के पास झोंपड़ीनुमा कमरा बनाकर रहने वाले बुज़ुर्ग रिटायर्ड माली की लाश मिली है. तब जबकि उन्हें…