द लीडर : अफगानिस्तान में मारे गए रॉयटर्स के भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी को दिल्ली की जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा. दानिश के परिवार ने इसकी रजामंदी दे दी है. उनका शव अफगानिस्तान से दिल्ली पहुंच चुका है. (Journalist Danish Siddiqui JMI )
दानिश सिद्दीकी का पार्थिव शरीर उनके घर गफ़्फ़ार मंज़िल पहुंचा
Danish Siddiqui's body reached his house at Ghaffar Manzil pic.twitter.com/f2PIquj22Y
— Zakir Ali Tyagi (@ZakirAliTyagi) July 18, 2021
दानिश सिद्दीकी जामिया के छात्र रहे हैं. उन्होंने 2005 और 2007 के शैक्षिक सत्र में जामिया से मास कम्युनिकेशन की डिग्री हासिल की थी. दूसरा-दानिश के वालिद प्रोफेसर अख्तर सिद्दीकी जामिया यूनिवर्सिटी के एजुकेशन विभाग में डीन रह चुके हैं.
दानिश के इंतकाल पर उन्हें प्रेस क्लब ऑफ इंडिया और जामिया कैंपस के गेट पर श्रद्धांजलि दी गई. जिसमें बड़ी संख्या में पत्रकार, एक्टिविस्ट, छात्र, प्रोफेसर शामिल हुए हैं. Journalist Danish Siddiqui JMI
इसे भी पढ़ें – दानिश सिद्दीकी एक बहादुर पत्रकार, जो इंसानों का इंसानों पर जुल्म दिखाते हुए फना हो गया
जामिया की कुलपति प्रोफेसर नज्मा अख्तर ने दानिश के घर जाकर उनके वालिद से मुलाकात कर उन्हें सांत्वना दी है. दानिश 2010 में बतौर इंटर्न रॉयटर्स के साथ जुड़े थे. महज 8 साल के करियर में ही उन्होंने पत्रकारिता का ऑस्कर माने जाने वाले पुल्तिजर पुरस्कार को हासिल कर लिया था. दानिश ऐसे पहले भारतीय पत्रकार हैं, जिन्हें इस पुरस्कार से नवाजा गया है.
उनके इंतकाल पर देश-दुनिया के पत्रकारों ने दुख जताया है. संयुक्त राष्ट्र संघ और अमेरिका की बाइडन सरकार ने भी दानिश की मौत पर अफसोस जाहिर किया है. इस बीच तालिबान ने भी एक बयान जारी करके दानिश की मौत पर दुख जताते हुए सॉरी बोला है. Journalist Danish Siddiqui JMI
दानिश एक जांबाज पत्रकार थे. वह अफगानिस्तान में सेना और तालिबान के बीच जारी जंग कवर करने गए थे. जहां गोलीबारी में उनकी मौत हो गई. दानिश की मौत के बाद भारत सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया न आने पर सवाल उठ रहे हैं.
जिसमें ये पूछा जा रहा कि आमतौर पर क्रिकेटरों के मामूली सी चोट लगने पर भी जब सरकार के बड़े लोग दुख जताया करते हैं. तब एक बहादुर भारतीय पत्रकार की मौत पर एक ट्वीट क्यों नहीं हो सका?