Journalist Raghu Ramakrishna. रघु रामकृष्णा पत्रकार हैं. हैदराबाद के भीड़-भाड़ वाले इलाके में जब वह एक ठेले पर फल खरीद रहे थे. उस वक्त दो लोग उनके पीछे आकर खड़े होते हैं. जिनके चेहरे मास्क से ढके हैं. इस बीच एक गाड़ी आकर रुकती है. दोनों मास्कधारी रामकृष्णा को पीछे से पकड़ते हैं. और उन्हें घसीटकर ले जाते हैं. रामकृष्णा छूटने की कोशिश करते हैं. तब तक गाड़ी से तीसरा आदमी निकलता है. और वो रामकृष्णा को गाड़ी में डालकर चले जाते हैं. लोग ये मंजर देखते रहते हैं. ये घटनाक्रम सीसीटीवी में रिकॉर्ड हो जाता है.
पत्रकार रघु रामकृष्णा को जिस अंदाज में उठाया जाता है, पहली नजर में वीडियो देखकर वो एक अपहरण लगता है. लेकिन ये बाद में पता चलता है कि राम कृष्णा को तेलंगाना पुलिस ने गिरफ्तार किया है. किडनैपिंग की शक्ल में इस गिरफ्तारी का वीडियो वायरल हो गया है. इसको लेकर सरकार और पुलिस दोनों की जमकर आलोचना हो रही है.
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सरकार की आलोचना पर पत्रकारों को निशाना बनाया जाना आम बात है. लेकिन पुलिस ने रामकृष्णा को जिस तरीके से उठाया, उसने तमाम प्रश्न खड़े कर दिए हैं. महिला कांग्रेस की महासचिव और तेलंगाना के मुलुग से विधायक दानासारी अनसुईया ये वीडियो ट्वीट करते हुए पूछा-‘ये अपहरण है या गिरफ्तारी? सरकार से सवाल पूछने पर तेलंगाना सरकार किस तरह पत्रकारों से निपट रही है?’
Is it kidnap or arrest?
🔸This is how Telangana government treat journalists if you raise voice against them. #JournalistRaghu @RahulGandhi @priyankagandhi @manickamtagore @JitendraSAlwar @khanumarfa @sardesairajdeep @AshishSinghLIVE @KotaNeelima @ANI @nistula #COVID19 pic.twitter.com/2Eq19Anq0C— Danasari Seethakka (@seethakkaMLA) June 8, 2021
घटना पिछले सप्ताह, हैदराबाद के मलकाजगिरी इलाके की है. शुरुआत में राम कृष्णा के परिवार को लगा कि वह किडनैप हो गए हैं. बाद में पुलिस ने एक पत्र जारी करके परिवार को गिरफ्तारी की खबर दी.
पत्रकार रामकृष्णा टीआरएस सरकार के कड़े आलोचक माने जाते हैं. वे अपने लेखों में सरकार की नीतियों पर प्रश्न उठाते हैं. मट्टापल्ली पुलिस ने कहा कि उन्हें चार महीने पहले दर्ज एक मामले में गिरफ्तार किया गया है. जिसमें उन पर दंगा भड़काने और सरकारी काम में बाधा पहुंचाने के आरोप में केस दर्ज हैं.
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इस घटना को लेकर रामकृष्णा की पत्नी लक्ष्मी प्रवीणा ने तेलंगाना हाईकार्ट में एक याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने गिरफ्तारी के आधार को चुनौती दी है. प्रवीणा ने अपनी याचिका में गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए सरकार से 25 लाख रुपये मुआवजे की भी मांग की है. याचिका पर जस्टिस लक्ष्मण ने तेलंगाना सरकार को नोटिस जारी किया है.
रामकृष्णा के साथ हुए इस घटनाक्रम ने एक बार इस सवाल पर बहस शुरू कर दी है कि सरकारों पत्रकारों से किस तरह पेश आती हैं. पिछले एक साल में विभिन्न राज्यों में पत्रकारों पर गंभीर मामलों में मुकदमे दर्ज किए गए हैं. इसी साल किसान आंदोलन में ट्रैक्टर रैली में हिंसा की कवरेज को लेकर देश के कई नामचीन पत्रकारों पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था. इसमें राजदीप सरदेसाई, सिद्धार्थ वर्धराजन, जफरआगा समेत अन्य पत्रकारों के नाम शामिल हैं.