द लीडर : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के शोध छात्र शरजील इमाम की जमानत एक बार फिर नामंजूर हो गई है. नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ 2019 की प्रोटेस्ट में इमाम के खिलाफ देशद्रोह का केस दर्ज किया गया था. जिसमें दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को शरजील को जमानत देने से इनकार कर दिया. (Sharjeel Imam Bail Rejected)
अदालत ने 13 दिसंबर 2019 को जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में शरीजल के भाषण को सांप्रदायिक-बंटवारे की तर्ज पर माना है, जो समाज की शांति और सद्भाव पर असर डालता है.
इमाम 2019 से ही जेल में बंद हैं. उन्हें फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों की साजिश का भी आरोपी बनाया गया है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनुज अग्रवाल ने कहा कि शरजील के भाषण को सरसरी निगाह से पढ़ने पर साफतौर पर लगता है कि, ये सांप्रदायिक और विभाजनकारी अंदाज में है. (Sharjeel Imam Bail Rejected)
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कोर्ट ने कहा-अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार को संविधान में काफी ऊंचा स्थान हासिल है. लेकिन इसका इस्तेमाल समाज की सांप्रदायिक शांति और सद्भाव की कीमत पर नहीं किया जा सकता.
मूल रूप से बिहार के रहने वाले शरजील इमाम आइआइटी से पासआउट हैं. मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़कर वह जेएनयू से पढ़ाई कर रहे थे. इसी बीच 2019 में सीएए कानून आया. जिसके विरोध में देशव्यापी आंदोलन हुए. दिल्ली का शाहीन बाग इस आंदोलन का प्रमुख चेहरा बनकर उभरा. (Sharjeel Imam Bail Rejected)
इस आंदोलन को खत्म करने के लिए क्या-क्या जतन किए गए. सब कुछ हाजिर-नाजिर है. यहां तक कि जामिया यूनिवर्सिटी के अंदर घुसकर छात्रों पर लाठियां भांजी गईं. बंदूक की नोक पर निहत्थे छात्रों को हाथ उठाकर बाहर निकाला गया. फायरिंग हुई थी. ये सब आंदोलन के विरोध में हो रहा था.
फरवरी 2020 में ही भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने आंदोलन खत्म करने की चेतावनी भी दी थी. वो भी पुलिस की मौजूदगी में. जिसके बाद ही पूर्वी दिल्ली में दंगे भड़के थे. और इसमें 53 लोग मारे गए थे.
इस दंगें में जामिया, डीयू और जेएनयू के कई छात्रों और छात्रनेताओं व एक्टिविस्टों को हिरासत में लिया गया था. जिसमें कईयों को जमानत मिल चुकी है. जेएनयू के छात्रनेता उमर खालिद, शरजील समेत कई अभी भी जेल में हैं. (Sharjeel Imam Bail Rejected )