द लीडर | पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पेगासस से जासूसी के मुद्दे पर केंद्र की बीजेपी नेतृत्व वाली सरकार को घेरा। विधानसभा में ममता ने दावा किया कि उनका फोन भी टैप किया जा रहा है और उन्हें भी स्पाइवेयर खरीदने का प्रस्ताव मिला था लेकिन उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया था। ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि उसने इस पेगासस स्पाईवेयर के बदले 25 करोड़ रुपये मांगे गए थे। उन्होंने कहा कि उन्होंने पेगासस नहीं खरीदा लेकिन बीजेपी शासित कई राज्यों ने इसकी खरीद की।
लोकतंत्र को कुचलने का लगाया आरोप
ममता ने कहा कि आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू जब मुख्यमंत्री थे, तब वहां पेगासस स्पाइवेयर की सेवाएं ली गई थीं। उन्होंने कहा कि मौजूदा केंद्र सरकार भी इसके जरिए तमाम नेताओं, जजों, अधिकारियों, पत्रकारों, आदि के निजी जीवन में ताक-झांक कर रही है। विधानसभा में पेगासस का मामला तब उठा जब बीजेपी विधायकों ने ममता पर ‘लोकतंत्र को कुचलने’ का आरोप लगाया। बीजेपी सदस्य दो पार्षदों की हाल में हुई हत्या पर सरकार से जवाब मांग रहे थे। इस पर ममता ने कहा, ‘पुलिस मामलों की जांच कर रही है और दोषियों के राजनीतिक जुड़ाव पर विचार किए बिना कड़ी कार्रवाई की जाएगी।’
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‘मांगे गए 25 करोड़ रुपये’
ममता बनर्जी ने कहा, ‘वे हमारे पुलिस विभाग में आए। उन्होंने 25 करोड़ रुपये की मांग की। मैंने कहा, हम ऐसी चीज नहीं खरीदना चाहते हैं। अगर यह देश विरोधी गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए और सुरक्षा के लिए होता, तो यह अलग होता। लेकिन यह है राजनीतिक कारणों से इस्तेमाल किया जाता है, इसका इस्तेमाल अधिकारियों और न्यायाधीशों के खिलाफ किया जाता है, जो स्वीकार्य नहीं है।’
जांच में पता चला था किन किन लोगों पर हुई थी जासूसी
मीडिया समूहों के एक वैश्विक संघ ने जुलाई 2021 में खुलासा किया था कि दुनिया भर की कई सरकारों द्वारा राजनीतिक विरोधियों, पत्रकारों, कारोबारियों आदि की जासूसी करने के लिए स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया गया था। इसको लेकर द वायर की जांच की एक रिपोर्ट में बताया कि निगरानी होने की सूची में संभावित रूप से कांग्रेस नेता राहुल गांधी, राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर, तत्कालीन चुनाव आयुक्त अशोक लवासा, अब सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव के नाम थे।