द लीडर डेस्क।
इसरायली संसद यानी नेसेट में सिर्फ एक वोट कम पड़ने से बेंजामिन नेतन्याहू को 12 साल बाद प्रवधानमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी। आठ छोटे छोटे और भिन्न विचारधाराओं वाले दलों के समर्थन से सबसे कट्टर यहूदी नेता और अमीर कारोबारी नफ़्ताली बेनेट ने 27 सदस्यीय मंत्रिमंडल के साथ रविवार को इजराइल की सत्ता संभाल ली है।
नेतन्याहू के साथ 120 में से 59 सांसद बने रहे। 60 ने नफ़्ताली की गठबंधन सरकार के पक्ष में वोट किया। एक अनुपस्थित सदस्य अगर नेतन्याहू को वोट कर देता तो दो साल में पांचवां आम चुनाव कराना ही पड़ता। अभी भी खेल खत्म नहीं हुआ। अगर बेनेट इन 60 सदस्यों में से एक को भी न संभाल पाए तो बाजी कभी भी पलट सकती है।
दक्षिणपंथी यामिना पार्टी के 49 वर्षीय नेता बेनेट ने रविवार को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। नई सरकार के 27 मंत्रियों में से नौ महिलाएं हैं।
मिकी लेवी बने स्पीकर
नई सरकार के साथ ही नेसेट में दक्षिणपंथी, वाम, मध्यमार्गी के साथ अरब समुदाय का प्रतिनिधित्व पार्टी ने येश एतिद पार्टी के मिकी लेवी को संसद का स्पीकर चुना है। उनके पक्ष में 67 सदस्यों ने मतदान किया। यैर लैपिड की उदारवादी ऐश एटिद इस गठबंधन में 17 सदस्यों वाली सबसे बडी पार्टी है और समझौते के अनुसार दो साल बाद लैपिड प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठेंगे।
सदन में हुआ हंगामा
इससे पहले बेनेट ने संसद में संबोधन के दौरान अपनी सरकार के मंत्रियों के नामों की घोषणा की और इस दौरान 71 वर्षीय नेतन्याहू के समर्थकों ने बाधा भी डाली। प्रतिद्वंद्वी पार्टी के सांसदों के शोर शराबे के बीच बेनेट ने कहा कि उन्हें गर्व है कि वह ”अलग-अलग विचार वाले लोगों के साथ काम करेंगे। बेनेट ने कहा, ‘इस निर्णायक समय हम यह जिम्मेदारी उठा रहे हैं। इस सरकार के अलावा देश के सामने बस यही विकल्प था कि और चुनाव करवाएं जाएं। इससे और नफरत फैलती और देश पर असर पड़ता।
लिकुड पार्टी के सदस्यों ने उनके संबोधन के दौरान हंगामा किया और उनको अपराधी और झूठा बताया। अपने संबोधन में बेनेट ने यह भी कहा कि इजरायल कभी भी ईरान को परमाणु हथियार बनाने की क्षमता हासिल नहीं करने देगा।
जो बाइडेन ने दी बधाई
इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बेनेट को बधाई दी और कहा कि वह उनके साथ काम करने को उत्सुक हैं। बाइडेन ने कहा, ‘अमेरिका के लोगों की ओर से मैं प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट और विदेश मंत्री यैर लेपिड तथा नए मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों को बधाई देता हूं। दोनों देशों के संबंधों को और प्रगाढ़ करने पर हम काम करेंगे।’
कौन हैं नफ़्ताली बेनेट
बेनेट खुद भी पीएम बनने से पहले बेंजामिन नेतन्याहू के सहयोगी रह चुके हैं। वह इजरायल के रक्षा, शिक्षा मंत्री रहने के साथ ही साल 2006 से 2008 के बीच चीफ ऑफ स्टाफ भी रह चुके हैं। उन्होंने नेतन्याहू की लिकुड पार्टी को छोड़ दक्षिणपंथी धार्मिक ज्यूइश होम पार्टी का दामन थाम लिया था और साल 2013 में वह पहली बार संसद पहुंचे थे। साल 2019 तक उन्होंने गठबंधन सरकारों में कई मंत्रालय संभाले। 2020 में वह यामिना पार्टी के मुखिया के तौर पर फिर से संसद पहुंचे।
मिलिट्री कमांडो यूनिट में सेवाएं दे चुके बेनेट का जन्म इजरायल के हाइफा में हुआ था। साल 2013 में ही उन्होंने अमेरिकी नागरिकता छोड़ दी थी और उसके बाद वह इजरायली राजनीति में घुसे। राजनीति में आने से पहले बेनेट एक टेक कंपनी चलाते थे। यह स्टार्टअप उन्होंने सन् 1999 में शुरू किया था, जिसका नाम Cyota था। हालांकि, साल 2005 में बेनेट ने अपनी इस कंपनी को अमेरिकी सिक्योरिटी फर्म RSA को 14.5 करोड़ डॉलर में बेच दिया था। बेनेट ने यरुशलम की हिब्रू यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की है।
सन् 1967 की जंग में इजरायल की ओर से कब्जाए गए वेस्ट बैंक इलाके के विलय के वह पक्षधर रहे हैं। उनके सुझाव पर ही नेतन्याहू ने इस प्रक्रिया की शुरुआत की थी। इसके अलावा ईरान को लेकर भी बेनेट अपने कड़े रुख के लिए जाने जाते हैं।
ईरान फिलिस्तीन पर सख्त रुख
नए बने गठबंधन में विचारधारा के स्तर पर तमाम मतभेद हैं। इसके बाद भी सभी दलों ने विवादित मुद्दों को छोड़कर कॉमन इशूज पर फोकस करने का फैसला लिया है। कोरोना वायरस संकट के चलते पटरी से उतरी अर्थव्यवस्था जैसे मुद्दों पर सभी दलों का फोकस है।
गे राइट्स जैसे कई मसलों पर उनकी राय काफी उदार है। लेकिन ईरान और फलस्तीन जैसे मुद्दों पर वह नेतन्याहू से भी काफी मुखर हैं। वह कहते रहे हैं कि फलस्तीनी अथॉरिटी दुनिया का सबसे बड़ा आतंकी संगठन है। इसके अलावा ईरान के भी वह कटु आलोचक रहे हैं। सत्ता संभालते ही उन्होंने कहा कि ईरान के साथ हुए अंतरराष्ट्रीय परमाणु समझौते को बहाल करना बड़ी भूल होगी। संसद में दिए भाषण में बेनेट ने कहा कि इजराइल, ईरान के खिलाफ कार्रवाई करने को तैयार है।