फिलिस्तीन- इजराइल फिर बड़े युद्ध की ओर: तुर्की भी गुस्से में, रूस से मांगा सहयोग

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द लीडर डेस्क।

इस्लामी देशों की बैठक में इजराइल की दी गई रस्मी सी चेतावनी के इतर तुर्की के इजराइल के खिलाफ सख्त रुख से फिलिस्तीन में एक बार फिर लंबी जंग के आसार बन रहे हैं। इजराइल और हमास की युद्ध की ललकार के बीच तुर्की ने फिलिस्तीन के पक्ष में रणनीतिक मोर्चा बनाने की पहल की है और इसमें रूस के राष्ट्रपति से भी मदद मांगी है। कोविड के बावजूद बुधवार को इस्तांबूल में हुए उग्र प्रदर्शन से भी जाहिर है कि रमजान के महीने में हुए खूनी खेल से मुस्लिम जगत में भारी आक्रोश है।
तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन से कहा है कि फलस्तीनियों के प्रति इजराइल के रवैये के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ‘उसे कड़ा और कुछ अलग सबक सिखाना’ चाहिए। एर्दोगन के बयान उस वक़्त आया जब संयुक्त राष्ट्र के मध्यपूर्व के दूत ने युद्ध की आशंका जाहिर की । इजराइल के हमलों में गाजा में मरने वाले फिलस्तीनियों की संख्या 43 हो गई है। इनमें 13 बच्चे और तीन महिलाएं शामिल हैं। करीब 300 लोग घायल हुए हैं।
तुर्की में राष्ट्रपति के संचार निदेशालय के मुताबिक, दोनों देशों के नेताओं ने बुधवार को टेलीफोन पर यरूशलम के विवादित क्षेत्र को लेकर तनाव पर चर्चा की। एर्दोआन ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए ताकि इजराइल को स्पष्ट संदेश जाए। बयान में कहा गया कि एर्दोआन ने पुतिन को सुझाव दिया कि फलस्तीनियों की रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा बल पर विचार किया जाना चाहिए।

इस्ताम्बुल में प्रदर्शन

इस्तांबुल में हजारों लोगों ने मंगलवार की शाम देशव्यापी कोरोना वायरस कर्फ्यू का उल्लंघन कर इजराइली हमले के विरोध में प्रदर्शन किया। काफी संख्या में कारों का काफिला तुर्की व फलस्तीनी झंडे लहराते हुए इजराइली दूतावास की तरफ रवाना हुआ।

संयुक्त राष्ट्र दूत का कथन

संयुक्त राष्ट्र के मध्यपूर्व के दूत ने चेतावनी दी है कि इजरायल और फिलिस्तीनियों के बीच हिंसा जारी है और यहां बड़े युद्ध की ओर बढ़ने की स्थिति नजर आ रही है। टॉर वेनेसलैंड संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थिति की जानकारी देंगे। उन्होंने संबंधित नेताओं से तनाव बढ़ने की जिम्मेदारी लेने को कहा है और जो आग लगी है, उसे रोकने की अपील की है।

2014 जैसे हाल

गाजा से आते रॉकेटों और इजराइल के हवाई हमलों ने बुधवार को 2014 के उस संघर्ष की याद दिला दी जो 50 दिनों तक चला था। तब भी इमारतों को निशाना बनाया गया था। अब अंतरराष्ट्रीय अदालत संभावित युद्ध अपराधों के तहत इसकी जांच कर रही है। इजराइल इस अदालत का सदस्य नहीं है और उसने जांच खारिज कर दी है।
गाजा सिटी कमांडर की मौत भी 2014 में फलस्तीनी क्षेत्र में जंग के बाद यह किसी उच्च स्तरीय नेता की पहली मौत है।जुलाई-अगस्त 2014 के युद्ध में में इजरायल ने 6000 हवाई हमले किए थे जिससे भारी तबाही मची थी। फिलिस्तीन और संयुक्त राष्ट्र के आकलन के मुताबिक तब 2250 फिलिस्तीनी, जिनमें 1500 आम नागरिक शामिल थे, मारे गए थे। 11 हजार से ज्यादा घायल हो गए थे। कम से कम 18 हजार फिलिस्तीनियों के घर उजड़ गए थे और 73 मेडिकल फसिलटी तबाह हो गई थीं। इस बार भी जमींदोज होतीं ऊंची-ऊंची इमारतों को देखकर हर किसी के जहन में 2014 का मंजर आ रहा है।

नेतन्याहू और हमास की धमकी

इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि अरब नागरिकों द्वारा व्यापक प्रदर्शनों को रोकने के लिए इज़राइल जरूरत पड़ने पर अधिक ताकत का इस्तेमाल करेगा। नेतन्याहू ने बुधवार को कहा कि हमास और दूसरे छोटे इस्लामिक संगठन अपनी आक्रमकता की भारी कीमत चुकाएंगे। इजरायल के रक्षा मंत्री बेनी गांट्ज ने भी कहा है कि ये हमले सिर्फ शुरुआत हैं। वहीं, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का कहना है कि हमास सुनयोजित तरीके से नागरकों को निशाना बना रहा है और इजरायल उनकी रक्षा करने के लिए कदम उठाएगा। दूसरी और हमास का कहना है कि अगर इजरायल इसे आगे बढ़ाना चाहता है, तो वह तैयार है। हफ्ते भर से जारी हिंसा कम होती नहीं दिख रही है और रॉकेटों से हमले जारी हैं।इजरायल का कहना है कि वह ऐसी जगहों को निशाना बना रहा है जहां हमास के उग्रवादी छिपे हैं।

आयरन डोम बचा रहा इजराइल को

सोमवार से बुधवार के बीच 40 घंटों में हमास की ओर से 1,000 से ज्यादा रॉकेट दागे गए। इजरायल ने आयरन डोम डिफेंस सिस्टम से अपनी बड़ी आबादी को इससे सुरक्षित रखा है लेकिन कुछ रॉकेट इससे बच निकले। आयरन डोम एयर डिफेंस सिस्टम की खासियत है कि ये रॉकेट्स को रेडार से पकड़कर हवा में मार गिराते हैं। सिर्फ उनका मलबा जमीन पर गिरता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इजरायल के आयरन डोम का सक्सेस रेट 80 से 90% है।

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