
तेहरान
अमेरिका से तनाव के चलते ईरान ने अब चीन के साथ नजदीकियां बढ़ा ली हैं। तेहरान ने बीजिंग के साथ 25 साल का परस्पर सामरिक समझौता किया है। साथ ही अब व्यापारिक क्षेत्रों में भी चीन का निवेश बढ़ेगा। ईरान को उम्मीद है कि संधि के बाद अब परमाणु समझौते पर चीन उसके साथ खड़ा होगा। इस संधि पर शनिवार को चीन और ईरान के विदेश मंत्रियों ने हस्ताक्षर किए। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि अब दोनों देशों के संबंध स्थाई और सामरिक रूप से और महत्वपूर्ण हो जाएंगे।
ईरान ने कहा है कि वह अन्य देशों से संबंध बनाने का निर्णय स्वतंत्र रूप से करेगा। वो उन देशों में नहीं है, जिनके संबंध एक फोन कॉल के बाद बदल जाते हैं। वांग ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी से भी मिले। ईरानी विदेश मंत्री के प्रवक्ता सईद खातिबजाद ने कहा कि संधि से दोनों देशों के बीच व्यापार, आर्थिक गतिविधियां, परिवहन के क्षेत्र में काम आगे बढ़ेगा। विशेषतौर पर प्राइवेट सेक्टर को गति मिलेगी।
ईरानी प्रवक्ता ने बताया कि इस समझौते के बाद दोनों देशों का आपसी सहयोग 10 गुना बढ़ जाएगा। एक दसक में परस्पर व्यापार 600 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। इस व्यापक समझौते पर 2016 में शी जिनपिंग की ईरान यात्रा के समय से काम हो रहा था। दो दिन के खाड़ी देशों के दौरे पर आये चीनी विदेश मंत्री ने तेहरान के विदेश मंत्रालय में जाकर इस पर दस्तखस्त किये।
इसी सप्ताह चीन और रूस से संयुक्त वक्तव्य से अमेरिका को ईरान पर लगे प्रतिबंध हटाने को कहा था। जिसका जवाब जो बिडेन यह कह कर दिया कि चीन अपनी मनमानी से बाज आये। ट्रम्प प्रशासन में लगी पाबंदियों से ईरान की अर्थव्यवस्था की काफी चोट पहुंची है। बाइडेन ने संबंध सुधारने के संकेत तो दिये हैं लेकिन वह यह भी चाहते हैं कि ईरान पहले अमेरिका की शर्तें माने।