इक़बाल महमूद खान लंदन से रामपुर आकर संवारने में लगे छात्रों की जिंदगी

THE LEADER HINDI : लंदन से आकर रामपुर में कोचिंग….. जीवन में नए लोग से मिलते रहते हैं और हर व्यक्ति की अपनी कहानी होती है। कुछ तो ऐसा काम कर रहे होते हैं कि जिसे देखकर फ़ख्र होता है। ज्यादा भूमिका बनाए बगैर आपको मिलवाते हैं ऐसी शख्सियत से जिनकी जितनी तारीफ की जाए कम है।
मेरी वॉल पर मेरे साथ जिन साहब को देख रहे हैं।आप हैं जनाब श्री इक़बाल महमूद खान साहब लंदन वाले। लंदन वही विलायत वाला, आप भी कहेंगे कि लंदन वाले हैं तो रामपुर में क्या काम! पोस्ट में आगे बढ़ेंगे तो सारी स्थिति साफ होती जाएगी। पेशे से इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर इक़बाल साहब का जन्म तो लंदन में हुआ पर शहर के मुहल्ला पंजाबियान में उनके बचपन के कई साल बीते।
उन्होंने बताया कि लंदन में ही पढ़ाई की और इंजीनियर रहे। परिवार की भी जिम्मेदारियाँ उठाई। इस बीच वह रामपुर में भी आते रहे। समाज सेवा के लिए जो बन पड़ता कर देते। बीस साल पहले कुछ अलग करने की सोची तभी मन में आया कि बच्चों को कोचिंग दी जाए। इसके लिए उन्होंने शिक्षकों का खुद चयन किया। हाईस्कूल व इंटर यूपी बोर्ड के बच्चों को गणित, विज्ञान, अंग्रेजी व सोशल स्टडी की कोचिंग शुरू कराई।
यह सिलसिला चल निकला पर कोरोना ने इस पर ब्रेक लगा दिया। वे रामपुर नहीं आ सके। इस बार जब आए तो देखा कि कोचिंग की ऐसी खास आवश्यकता नहीं है। इसकी बजाए बच्चों को राष्ट्रीय छात्रवृत्ति परीक्षा की तैयारी कराई जाए। फिर क्या था जुट गए और इन दिनों वह खुद सरकारी व सहायता प्राप्त विद्यालय जाकर संपर्क कर रहे हैं ताकि गरीब बच्चे उनकी कोचिंग का लाभ उठा सकें। उन्होंने अपने प्रयासों से सौलत पब्लिक लाइब्रेरी में शाम चार बजे से आठ बजे तक कोचिंग की व्यवस्था की है।
उनका कहना है कि यदि कोई बच्चा परीक्षा पास कर लेता है तो उसे जो छात्रवृत्ति मिलेगी, उससे उसको आगे की पढ़ाई में सहूलियत होगी। उन्होंने स्थान उपलब्ध कराने के लिए सौलत पब्लिक लाइब्रेरी कमेटी का भी आभार जताया। कक्षा आठ में पढ़ रहे ऐसे बच्चे जो परीक्षा में बैठ रहे हैं वे उनकी कोचिंग का लाभ उठा सकते हैं।
चूंकि शिक्षक भी इक़बाल साहब ने चयनित किये हैं तो बेहतर ही होंगे। कहने की बात है कि आप 76 साल की उम्र में इस काम को अंज़ाम दे रहे हैं।इस उम्र में भी आपका इस तरह समाज सेवा में जुटे रहना हैरत में डालता है। बोले कि उनके बच्चे इस बार उनको रामपुर आने ही नहीं दे रहे थे लेकिन वो जिद करके यहाँ आए हैं।शिक्षा के क्षेत्र में ऐसे प्रयासों की सराहना की ही जानी चाहिए, ऐसे काम को अंज़ाम देने वाले की भी तारीफ़ होना चाहिए।मेरी ओर से उनके प्रयासों को साधुवाद।

Abhinav Rastogi

पत्रकारिता में 2013 से हूं. दैनिक जागरण में बतौर उप संपादक सेवा दे चुका हूं. कंटेंट क्रिएट करने से लेकर डिजिटल की विभिन्न विधाओं में पारंगत हूं.

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