द लीडर। बर्मिंघम में चल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत का लगातार शानदार प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। लेकिन सेमीफाइनल में भारतीय महिला हॉकी टीम को निराशाजनक हार का सामना करना पड़ा। पेनल्टी शूटआउट में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 3-0 से हराकर स्वर्ण पदक की रेस से बाहर कर दिया। अब कांस्य पदक के लिए भारत का मुकाबला रविवार को न्यूजीलैंड से होगा।
पेनल्टी शूटआउट में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 3-0 से हराया
कॉमनवेल्थ गेम्स के सेमीफाइनल में भारतीय महिला हॉकी टीम का तय समय में यह मुकाबला 1-1 की बराबरी पर समाप्त हुआ था। आखिरी मिनटों में वंदना कटारिया के गोल के दम पर भारतीय टीम ने शानदार वापसी कर ली थी। भारत को पहले क्वार्टर में छह पेनल्टी कॉर्नर मिले लेकिन गोल नहीं हो सका। जिस कारण पेनल्टी शूटआउट में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 3-0 से हरा दिया।
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भारत का मुकाबला रविवार को न्यूजीलैंड से होगा
भारतीय टीम के पहले तीन प्रयासों में विफल रहने के बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम जीत गई। अब महिला हॉकी के फाइनल में ऑस्ट्रेलियाई टीम इंग्लैंड से भिड़ेगी। वहीं, भारतीय महिला टीम के लिए अभी पदक की उम्मीदें खत्म नहीं हुई हैं। टीम इंडिया अब कांस्य पदक के लिए न्यूजीलैंड से रविवार को भिड़ेगी। वहीं, पुरुष हॉकी के सेमीफाइनल में शनिवार को भारत का सामना दक्षिण अफ्रीका से होगा।
पेनल्टी शूटआउट में गोल नहीं कर सकी भारतीय टीम
मैच की बात करें तो दसवें मिनट में ही रेबेका ग्रेइनेर के गोल के दम पर ऑस्ट्रेलिया ने बढ़त बना ली थी। इसके बाद गोलकीपर कप्तान सविता पूनिया की अगुआई में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए भारतीय डिफेंस ने ऑस्ट्रेलिया को बांधे रखा। टोक्यो ओलंपिक में चौथे स्थान पर रही भारतीय टीम के लिए बराबरी का गोल 49वें मिनट में सुशीला के पास पर वंदना कटारिया ने किया।
इसके बाद विवादित पेनल्टी शूटआउट में भारत के लिए नेहा, नवनीत कौर और लालरेम्सियामी गोल नहीं कर सकीं जबकि ऑस्ट्रेलिया के लिए एम्ब्रोसिया मालोन, एमी लॉटन और कैटलीन नोब्स के शॉट निशाने पर लगे।
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अंपायरिंग पर इसलिए विवाद?
कॉमनवेल्थ गेम्स के सेमीफाइनल में भारत की इस हार में कहीं ना कहीं खराब अंपायरिंग का भी बहुत बड़ा हाथ रहा। दरअसल शूटआउट के पहले शॉट में भारतीय कप्तान और गोलकीपर सविता पूनिया ने पहला गोल बचा लिया था। लेकिन इसके बाद फिर पता चला कि क्लॉक शुरू ही नहीं हुई थी।
जिस कारण ऑस्ट्रेलिया को एक और मौका दिया गया और इस मौके में उसने गोल दाग दिया। इसके बाद भारतीय टीम पिछड़ती चली गई। भारत की तरफ से एक शॉट भी गोल में नहीं जा सका।
पूर्व कोच ने भी की आलोचना
इतना ही नहीं मैच के दौरान कमेंटेटर्स ने भी इस फैसले की आलोचना की और कहा कि इसमें टीम इंडिया की क्या गलती है। हालांकि, उससे टीम इंडिया का मनोबल टूटा और भारतीय टीम शूटआउट में 3-0 से हार गई। भारतीय महिला हॉकी टीम के पूर्व कोच जोएर्ड मरिज्ने तक को इस घटना पर यकीन नहीं हुआ। उन्होंने ट्विटर पर रेफरी के फैसले पर निराशा व्यक्त की और लिखा- अविश्वसनीय।
https://twitter.com/Send4Singh/status/1555688816031186945?s=20&t=C1bIUb9CpCIkc0Yc-X-puw
कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय महिला हॉकी टीम का प्रदर्शन
टीम इंडिया की नजर 16 साल बाद फाइनल में जगह बनाने पर थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। भारत पिछली बार 2006 में फाइनल में पहुंचा था तब उसे ऑस्ट्रेलिया ने शिकस्त दी थी। भारतीय महिला हॉकी टीम ने राष्ट्रमंडल खेलों में एक स्वर्ण और एक रजत जीता है।
भारतीय महिला हॉकी टीम 2002 में इंग्लैंड को हराकर चैंपियन बनी थी, जबकि 2006 में भारत ने रजत पदक जीता था। उससे पहले 1998 में चौथे स्थान पर रही थी। पिछली बार 2018 गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय महिला टीम कांस्य पदक के मैच में हारकर चौथे स्थान पर ही रही थी। वहीं, ऑस्ट्रेलियाई टीम अब फाइनल में लगातार पांचवीं बार खिताब जीतने उतरेगी।
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भारतीय महिला हॉकी टीम का ग्रुप स्टेज में प्रदर्शन शानदार रहा था। टीम ने घाना को 5-0 से हराकर अभियान की शुरुआत की थी। इसके बाद हालांकि इंग्लैंड के खिलाफ टीम को 3-1 से हार मिली। लेकिन फिर वेल्स को भारत ने 3-1 और कनाडा को 3-2 से हराकर पांचवीं बार कॉमनवेल्थ गेम्स के फाइनल में जगह बनाई थी।
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