अल्पसंख्यकों के लिए ख़ूनी हो गईं लोहिया की सड़कें, नस्लें तबाह करता रहेगा विरोध का ये तरीक़ा

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Indian Muslims Protest Prophet
झारखंड के रांची में प्रदर्शन के दौरान भीड़ पर फायरिंग करते पुलिसकर्मी.
अतीक ख़ान

-कानपुर में बुल्डोज़र चल गया. विकास प्राधिकरण ने मुहम्मद इश्तियाक का कॉम्पलेक्स तोड़ डाला. और प्रयागराज में पैमाइश शुरू हो गई. प्रयागराज डेवलपमेंट अथॉरिटी, राजस्व विभाग की टीमें अटाला इलाके में पहुंची हैं, जहां शुक्रवार को प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी. पैग़ंबर साहब पर टिप्पणी के विरोध में दोनों शहरों में प्रोटेस्ट के दरम्यान बवाल हो गया था. जिस पर गैंगेस्टर एक्ट, प्राॅपर्टी ज़ब्ती और बुल्डोज़र कार्रवाई की तैयारी है. यूपी के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने अपने में बयान में गैंगेस्टर-प्राॅपर्टी ज़ब्त करने और सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई करने की बात कही है. (Indian Muslims Protest Prophet)

झारखंड की राजधानी रांची में पैग़ंबर साहब के अपमान से जुड़ी प्रोटेस्ट में मुदस्सिर और साहिल दो नौजवान पुलिस की गोली से मारे गए हैं. प्रदर्शनकारियों से टकराव पर पुलिस ने भीड़ पर सीधे फायर झोंक दिया था. जिसमें 10-12 लोगों के जख़्मी होने की सूचना है. 12वीं के छात्र आसिफ अंसार रिम्स में भर्ती हैं. उन्हें 6 गोलियां लगी हैं. डॉक्टरों ने 4 गोलियां निकाल दीं, लेकिन दो बुलेट अभी भी अंसार के ज़िस्म में धंसी हैं.

प्रयागराज हिंसा में क़रीब 235 लोगों की गिरफ़्तारी की ख़बर है. और 5000 हज़ार अज्ञात के ख़िलाफ केस है. मतलब, अभी सैकड़ों गिरफ़्तारियां बाकी हैं. इसी बीच पुलिस लॉक में हिंसा के आरोप में गिरफ़्तार मुस्लिम समुदाय के आरोपियों की बेरहमी से पिटाई की एक वीडियो-जिसे भाजपा विधायक शलभ मणि त्रिपाठी ने शेयर किया-वो वायरल हो गई.


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झारखंड में प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग और प्रयागराज की हवालात में आरोपियों की बेरहमी से पिटाई, बुल्डोज़र एक्शन को लेकर सवालों की झड़ी लगी है. ये हिमाकत भी क़ानून और संविधान की बुनियाद पर ही की जा रही है. (Indian Muslims Protest Prophet)

अंदाज़ा लगाइए. नफ़रत की चिंगारी कितनी ख़तरनाक है. नूपुर शर्मा द्वारा फैलाई नफ़रत की आग में कितना कुछ खाक हो गया. मुदस्सिर, साहिल की मौत हो गई. रांची, प्रयागराज, कानपुर में कितनों को चोटें आईं. सैकड़ों जेल में हैं. और अभी न जाने कितनों का जेल जाना बाकी है.

नफ़रत और हिंसा, दोनों का कोई सपोर्ट नहीं किया जा सकता. झारखंड, कानपुर और प्रयागराज की हिंसा बिना लाग लपेट मजम्मत के लायक और दुर्भाग्यपूर्ण है. ये क्यों भड़की, पुलिस-प्रशासन की कितनी चूक है-ये जांच का विषय है. लेकिन उतना ही अफ़सोसनाक ये है कि समाज में नफ़रत और हिंसा का ज़हर घोलने वाली नूपुर शर्मा अब तक क़ानून के शिकंजे से बाहर हैं.

लेकिन ऐसा पहली बार नहीं है, जो नफ़रत की आग भड़काने वाले क़ानूनी कार्रवाई के दायरे से बाहर रहे हैं. CAA प्रोटेस्ट को याद कीजिए. उस दौरान भी कई लोगों ने हिंसा भड़काने वाले बयान दिए थे. हिंसा भड़की भी, लेकिन उन पर कोई आंच नहीं आई.

उसके बाद तो हेट स्पीच का एक बेरोक-टोक सिलसिला चल पड़ा. और बड़ा नेता बनने की चाहत में, जिसने चाहा-नफ़रत की आग फैलाने का काम किया. हरिद्वार धर्म संसद में सामूहिक नरसंहार, दिल्ली प्रोटेस्ट में सामूहिक नरंसहार, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर मुस्लिम लड़कियों की नीलामी से लेकर मस्जिदों पर भगवा झंडा लगाने तक. कितनी घटनाएं हुई हैं, जिन ज़िक्र करने की ज़रूरत नहीं. (Indian Muslims Protest Prophet)

लेकिन सबमें एक कॉमन बात ये है कि नफ़रत के इस घोषित मूवमेंट में शामिल लोग अभी तक अपने मक़सद में डटे हैं. जैसे उनके दिलो दिमाग़ से क़ानून का ख़ौफ ही मिट चुका है. और हर बार मुसलमान उनके उकसावे पर ट्रैप हो जाते हैं.

जब सड़कें सूनी हो जाती हैं तो संसद आवारा हो जाती है…डॉ. राम मनोहर लिया ने जिन सड़कों की तरफ बुलाया था, दरअसल अब वो सड़कें खूनी हो चुकी हैं, जिन पर उतरकर आप ज़ुल्म के ख़िलाफ लड़ना चाहते हैं. CAA और NRC प्रोटेस्ट तक या उसके बाद देश में जहां भी अल्पसंख्यकों के प्रर्दशन हुए हैं. अपवाद के तौर पर कुछ जगहों को छोड़ दें तो अधिकांश जगहों पर ये प्रदर्शन हिंसा का शिकार हो गए. या फिर पुलिस के सख़्त एक्शन का शिकार बनकर ख़त्म हो गए. उसके बाद की कार्रवाईयां और भी ख़तरनाक हैं.

हाल ही में जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी का एक बयान आया था-जिसमें उन्होंने मुसलमानों से सड़कों पर न उतरने की अपील की थी. इस तर्क के साथ कि उनका मक़सद ही मुसलमानों को सड़कों पर लाकर हिंसा फैलाना है. उनकी इस अपील पर दो खेमें नज़र आए. एक पक्ष में और दूसरा विरोध में. मौलाना महमूद मदनी का संपर्क भाजपा के अंदरूनी समर्थन से जोड़ा गया. अब जब कानपुर, प्रयागराज और झारखंड की तस्वीरें सामने हैं-तो अरशद मदनी के बयान पर ग़ौर करके देखिए. (Indian Muslims Protest Prophet)

ज़ाहिर है कि पैग़ंबर-ए-इस्लाम पर जुड़ा कोई भी मुद्​दा मुसलमानों के लिए सबसे ज़्यादा सेंसटिव है. बार-बार इसी को छेड़ा जा रहा है, ताकि आप सड़कों पर आएं. और उसके बाद खेल शुरू हो जाए.

आज की तारीख़ में मुसलमानों के सामने अपनी प्रोटेस्ट को हिंसा की चपेट में आने से बचाना सबसे बड़ा चैलेंज है. अगर सांप्रदायिक टकराव से बच भी जाए तो पुलिस की सख़्ती के बाद हालात बिगड़ सकते हैं. मामला यहीं ख़त्म नहीं होता. उसके बाद चलता है बुल्डोज़र. और इसमें एक पल में नस्लें की ज़िंदगी तबाह हो जाती है. फिल्हाल अभी तक तो कोई मुस्लिम संगठन या मुस्लिम लीडर इस चैलेंज से पार पाने का कोई तरीका नहीं तलाश पाया है. किसी ने सुना हो तो बताएं.(Indian Muslims Protest Prophet)

घटनाक्रमों पर एसआईओ की चिंता

स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑग्रेनाइजेशन ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष सलमान अहमद का बयान आया है. उन्होंने पैग़ंबर साहब पर अपमानजनक टिप्पणी के ख़िलाफ प्रदर्शनों पर पुलिस कार्रवाई पर चिंता जताई है. सलमान अहमद ने कहा कि, रांची और इलाहाबाद में दर्जनों लोगों को गंभीर चोटें आई हैं. और रांची में दो मौतें हुईं. कई राज्य सरकारों की पुलिस द्वारा बर्बरतापूर्ण लाठीचार्ज और प्रदर्शनकारियों पर बेरहमी से गोलियां चलाने की घटना बेहद चिंताजनक है. इन घटनाओं ने एक बार फिर राज्य की संस्थाओं में मौजूद इस्लामोफ़ोबिया, सांप्रदायिकता चेहरे को उजागर किया है.

एक तरफ नफ़रत फैलाने वालों को सुरक्षा दी जा रही है तो दूसरी ओर मुस्लिम समुदाय पर मुक़दमें लिखे जा रहे हैं और गिरफ्तारियां हो रही हैं. उनके घरों को बिना क़ानूनी प्रक्रिया के तोड़ा जा रहा है. इलाहाबाद में जावेद मुहम्मद और उनकी बीवी बच्चों की गिरफ़्तारी काफी हैरान करने वाली है. एसआईओ ने कहा कि जहां हमें अल्पसंख्यकों के जीवन, सम्मान की रक्षा करनी चाहिए और नफ़रत के प्रचार तंत्र से लड़ना चाहिए, वहीं हमें उकसाने के इन प्रयासों से भी स्वयं को अलग करना चाहिए. प्रतिरोध के लिए अनुशासन की आवश्यकता होती है. हमें स्थिर और शांतिपूर्ण रहना चाहिए. हमारे विरोध प्रदर्शनों में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए.

(ये लेखक के निजी विचार हैं-द लीडर हिंदी की इससे सहमति ज़रूरी नहीं.)


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