मालदीव में ‘इंडिया आउट’ अभियान ने पकड़ी आग : सैंकड़ो की संख्या में लोग सड़को पर उतरे

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द लीडर | भारत के ज्यादातर लाेग घूमने के लिए मालदीव जाते है. भारतीय लाेगाें के लिए मालदीव एक सस्ती जगह मानी जाती है. दाेनाें के रिश्ते भी काफी अच्छे हैं लेकिन इन दिनाें दाेनाें देशाें के रिश्ताें में दूरिया बढ़ती हुई नज़र आ रही है. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्याेंकि मालदीव्स में इन दिनाें भारतीयाें के विराेध में अभियान चलाया जा रहा है. यह कि अब एक बड़ा रुप धारण कर चुका है. आप शायद साेच रहे हाेंगे की आखिर मालदीव्स के लाेग भारत के विराेध में अभियान काे चला रहे हैं. ताे चलिए आपकाें बताते हैं कि आखिर मालदीव्स के लाेग भारतीयाें के विराेध में अभियान क्याें चला रहे है.

मालदीव के सांसद अहमद शियाम ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की प्रेस कॉन्फ़्रेंस का एक वीडियो 19 दिसंबर को ट्वीट करते हुए लिखा है, ”भारत की वर्तमान सरकार से हम ये कभी उम्मीद नहीं कर सकते कि वो हमारे संविधान और आंतरिक मामलों का आदर करेगी क्योंकि वो अपने ही क़ानून और नागरिकों का सम्मान नहीं करती है. ख़ास करके अल्पसंख्यकों का. हम अपनी आज़ादी नहीं खो सकते.”

कहा जा रहा है कि भारत में मुसलमानों को लेकर जो कुछ भी होता है तो उसकी ख़बर से मालदीव के मुसलमान भी प्रभावित होते हैं. मालदीव सुन्नी मुस्लिम बहुल देश है. अहमद शियाम इसी की ओर इशारा कर रहे हैं. इंडिया आउट कैंपेन को बल इससे भी मिलने की बात कही जा रही है.


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हुई थी 5 सालों की जेल 

मालदीव के ‘इंडिया आउट’ आंदोलन का नेतृत्व पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन कर रहे हैं. 2018 में वह चुनाव हार गए थे. बाद में उन्हें हवालेबाजी और एक अरब डॉलर के सरकारी धन का दुरुपयोग करने का दोषी पाया गया. इसके लिए 2019 में यामीन को पांच साल की सजा हुई थी. कोविड-19 के कारण उनकी जेल की सजा को घर में नजरबंदी में तब्दील कर दिया गया.

बीते नवंबर में यामीन के खिलाफ लगे सारे आरोप खारिज कर दिए गए और 30 तारीख को उन्हें रिहा कर दिया गया. इससे उनका दोबारा राजनीति करने का रास्ता भी साफ हो गया.यामीन के रिहा होने के कुछ ही दिन बाद ‘इंडिया आउट’ आंदोलन ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया है. यामीन की ‘प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव (पीपीएम)’ इस आंदोलन का नेतृत्व कर रही है.

क्यों है विवाद?

मालदीव में भारत को लेकर प्रमुख विवाद भारतीय नौसेना के बेड़ों की मौजूदगी को लेकर है. वहां भारतीय नौसेना का एक डोर्नियर विमान और दो हेलीकॉप्टर हैं जो 200 यहां-वहां फैले छोटे द्वीपों से मुख्यतया मरीजों को इलाज के लिए अस्पतालों तक पहुंचाने का काम करते हैं.

इसके अलावा ये विमान मालदीव के विशाल इकॉनमिक जोन को अवैध मछली पकड़ने से भी बचाने के लिए इस्तेमाल होते हैं. लेकिन विपक्षी नेताओं का कहना है कि विदेशी सेना की मौजूदगी मालदीव की संप्रभुता का अपमान है. 2013-2018 में अब्दुल्ला यामीन के कार्यकाल के दौरान भारत और मालदीव के संबंधों में दूरियां बढ़ी थीं. तनाव तब अपने चरम पर पहुंच गया था जब यामीन ने लामू और अड्डू द्वीपों से भारत को अपने हेलिकॉप्टर हटाने का आदेश दे दिया.


चीन के लिए मालदीव सामरिक रूप से काफ़ी अहम ठिकाना है. मालदीव रणनीतिक रूप से जिस समुद्र में बसा है वो काफ़ी अहम है. चीन की मालदीव में मौजूदगी हिंद महासागर में उसकी रणनीति का हिस्सा है. 2016 में मालदीव ने चीनी कंपनी को एक द्वीप 50 सालों की लीज़ महज 40 लाख डॉलर में दे दिया था.

दूसरी तरफ़ भारत के लिए भी मालदीव कम महत्वपूर्ण नहीं है. मालदीव भारत के बिल्कुल पास में है और वहां चीन पैर जमाता है तो भारत के लिए चिंतित होना लाजमी है. भारत के लक्षद्वीप से मालदीव क़रीबी 700 किलोमीटर दूर है और भारत के मुख्य भूभाग से 1200 किलोमीटर.

विपरीत हालात में मालदीव से चीन का भारत पर नज़र रखना आसान हो जाएगा. मालदीव ने चीन के साथ फ़्री ट्रेड अग्रीमेंट किया है. यह भी भारत के लिए हैरान करने वाला क़दम था. इससे साफ़ होता है कि मालदीव भारत से कितना दूर हुआ है और चीन से कितना क़रीब.


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