मदरसों के इंतज़ामिया को कितना हौसला देगी दरगाह आला हज़रत की यह सलाह

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Dargah Ala Hazrat PFI Ban

The Leader. दरगाह आला हज़रत पर बेचैनी मुज़फ़्फ़रनगर में मदरसों से 10 हजार रुपये हर दिन वसूली के नोटिस के बाद से महसूस की जा रही थी. आज इसे लेकर बैठक भी कर ली गई. बैठक में मुफ़्ती मुहम्मद सलीम नूरी बरेलवी ने दरगाह प्रमुख मौलाना सुब्हान रज़ा ख़ान सुब्हानी मियां और सज्जादानशीन मुफ़्ती मुहम्मद अहसन रज़ा क़ादरी अहसन मियां की तरफ़ से मदरसों के ज़िम्मेदारों को यह यक़ीन दिलाया कि उनकी परेशानियों पर पूरी नज़र है. घबराने या डरने की ज़रूरत नहीं है. मदरसों में हिसाब-किताब को दुरुस्त रखें. दस्तावेज़ अपडेट रहने चाहिए. जांच का निडरता से सामना करें. चाहे एटीएस ही क्यों न आए.
बैठक में मुफ़्ती सादिक़ मिस्बाही ने बताया कि यूपी में अनुदानित मदरसों की तादाद महज़ 556 है, जबकि ग़ैर अनुदानित हज़ारों में हैं. नवबंर 2022 तक कराए गए सरकार के सर्वे में साफ हुआ था कि साढ़े 8 हज़ार से ज़्यादा मदरसे मान्यता प्राप्त नहीं हैं. मुफ़्ती नुरुल हसन बलरामपुरी का कहना था कि मदरसे मुस्लिम समुदाय के 10, 20, 50 और 100 रुपये के चंदे पर चलते हैं. उन्हें पूरे साल का खर्च जुटाना ही मुश्किल होता है. जिन मदरसों को सरकार अनुदान देती है, उन्हें भी बिल्डिंग और दूसरे इंतज़ाम अपने सोर्सेस से करना होते हैं. इसके बावजूद मदरसे तमाम तरह के इल्ज़ाम का सामना करते हैं. मुफ़्ती वसीम ने बैठक में मांग उठाई कि ग़ैर मान्यता वाले मदरसों को अब मान्यता देने की प्रक्रिया शुरू कर देनी चाहिए. तब जबकि मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. इफ़्तिख़ार अहमद जावेद ऐसा कह भी चुके हैं.
मुफ़्ती स्वालेह का कहना था कि नये मदरसों को अनुदान पर लेने की ज़रूरत बहुत ही शिद्दत के साथ महसूस हो रही है. सरकार ऐसा करती है तो उसका यह क़दम क़ाबिल-ए-स्वागत होगा. आख़िर में मदरसों के इंतज़ामिया को सलाह दी गई कि मान्यता के पेपर भी तैयार रखें और बच्चों को पढ़ाने के लिए ऐसा सिलेबस तैयार करें, जिसकी मौजूदा माहौल को देखते हुए ज़रूरत है. मुफ़्ती सलीम नूरी का यह भी कहना था कि मदरसों पर किसी भी तरह की कार्रवाई सिर्फ़ मदरसा अधिनियम और मदरसा विनियमावली 2016 के तहत जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के माध्यम से अल्पसंख्यक विभाग लखनऊ और उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद लखनऊ के स्तर से हो सकती है. शिक्षा विभाग को ऐसा करने का अधिकार नहीं है. जैसा कि मुज़फ़्फ़रनगर में किया गया.