पार्बती दास की शादी असम में दरंग जिले के धोलपुर गांव में स्थित शिव मंदिर के पुजारी कार्तिक दास से हुई थी। तब उनकी उम्र 13 वर्ष थी। उनकी मातृभाषा बांग्ला है। धोलपुर गांव में तीन हिंदू परिवार अपने पड़ोसी मुस्लिम परिवारों के साथ प्रेम से रहते थे। उनके दो बच्चे थे। (Horror Story In Darrang)
लगभग 20 साल पहले, कार्तिक दास बीमार हुए और चल बसे। उनके परिवार पर तो जैसे मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। बच्चे छोटे थे, आमदनी का कोई दूसरा जरिया नहीं था। पार्बती दास ने मंदिर समिति से हाथ जोड़कर कहा कि वे पुजारी का काम कर सकती हैं। मंदिर की ट्रस्ट ने इंकार कर दिया। तब उन्होंने कहा कि वे कैसे गुज़ारा करेंगी? ट्रस्ट ने कहा; इसका ठेका उन्होंने नहीं लिया।
पार्बती दास ने अपने पड़ोसी हिंदुओं के घरों में बर्तन मांजने शुरू कर दिए। बड़े बेटे को गुवाहाटी में दिहाड़ी मज़दूरी के लिए भेजना पड़ा। इसी बीच उनका घर बाढ़ में बर्बाद हो गया। तब ही उन्हें याद आया कि उनके पति के पास भी कुछ ज़मीन थी जो उन्होंने मंदिर को दे दी थी। वे मंदिर समिति के पास गईं और कहा हमारे पास घर भी नहीं है, भूखे मरने की नौबत है, आप मेरे पति की ज़मीन ही हमें दे दीजिए या यहीं रहने की इज़ाज़त दे दीजिए। (Horror Story In Darrang)
मंदिर समिति ने कहा, तहसील से ज़मीन की मिल्कियत के कागजात लाओ। वे ज़मीन के कागजात नहीं ला पाई। तब उन्होंने केले के पत्तों से अपने और बच्चे के रहने लायक झोपड़ी बना ली। हिंदू घर कम होने के कारण उन्हें गुज़ारे लायक मज़दूरी नहीं मिलती थी। तब उन्होंने मुस्लिम घरों में जाकर भी बर्तन मांजने शुरू कर दिए।
जब हालात उनके काबू से बाहर हो गए तो पार्बती दास ने शादी करने का फैसला किया। उन्होंने एक मुस्लिम पुरुष से शादी कर ली, लेकिन ये स्पष्ट बोल दिया कि ना वे अपना धर्म बदलेंगी, ना बच्चे धर्म बदलेंगे और ना वो अपना नाम बदलेंगी। जैसे ही उनकी शादी की बात पता चली, उनके पहले पति कार्तिक दास की जगह जो पुजारी आया था, उसने ये ख़बर स्थानीय सांसद दिलीप सैकिया तक पहुंचा दी। (Horror Story In Darrang)
असम में तीन सीटों पर उपचुनाव होने हैं। सांसद ने अपने ट्विटर हैंडल से ये खबर फैलाई कि कार्तिक दास की विधवा और बेटे गणेश दास को मुस्लिमों ने अगवा कर लिया है और उनका ज़बरन धर्म परिवर्तन कर शादी भी कर ली है।
सांसद के ट्विटर के 36 हजार फॉलोअर्स हैं। उनका एक स्थानीय न्यूज़ चैनल भी है। उस पर ये खबर घूमने लगी। इलाक़े में तनाव बढ़ता गया। 23 सितंबर को दंगा भड़का। पुलिस ने गोली चलाई। उसमें दूसरे पति से पार्बती दास का 12 वर्षीय बच्चा मारा गया। दूसरा मृत व्यक्ति मुईन अहमद हैं, जिनकी लाश पर एक दंगाई कूदता पाया गया था। पार्बती दास और उनके बच्चे को घर से खींचकर निकाल दिया गया। पार्बती दास अब फिर बेघर-बेसहारा हैं।
उप चुनाव में भाजपा के जीतने की संभावनाएं हैं।
(साभार: फ्रंटलाइन-Citizen For Justice Report, सामाजिक कार्यकर्ता सत्यवीर सिंह द्वारा भावानुवाद)