द लीडर हिंदी : ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष को तगड़ा झटका लगा है. आज शुक्रवार (13 सितंबर) को वाराणसी कोर्ट ने ज्ञानवापी के व्यास तहखाने की छत पर नमाजियों की एंट्री पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी.राखी सिंह समेत अन्य की तरफ से यह याचिका सिविल जज सीनियर डिवीज़न हितेश अग्रवाल की कोर्ट में दाखिल की गई थी. पिछली सुनवाई में दोनों पक्षों की तरफ से बहार पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट ने तहखाने की मरम्मत कराने का आदेश देने से भी इनकार कर दिया.
बता दें काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर चल रहे कानूनी केस में वाराणसी कोर्ट ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई करते हुए व्यास तहखाने की छत पर नमाज पढ़ने वालों की रोक लगाने संबंधी याचिका को खारिज कर दिया है. मतलब कि नमाज के लिए मुस्लिम इकट्ठा होते रहेंगे.बता दें सिविल जज सीनियर डिवीजन हितेश अग्रवाल की कोर्ट ने ज्ञानवापी मामले में तहखाने में चल रही पूजा को यथावत रखते हुए तहखाने के कस्टोडियन डीएम वाराणसी को किसी भी प्रकार की मरम्मत का आदेश देने से इनकार कर दिया. इसके साथ ही हिंदू पक्ष की याचिका को अस्वीकार कर दिया.
जानिए याचिका में क्या की गई थी मांग?
बतादें जब जनवरी में कोर्ट व्यास जी तहखाने में पूजा-पाठ का अधिकार मिलने के बाद लखनऊ के जन उद्घोष सेवा संस्था ने एक याचिका डाली थी. इस याचिका में व्यासजी के तलगृह की छत पर मुस्लिमों के इकट्ठा होने से रोकने की मांग की गई थी. वादीगण की तरफ से कहा गया था कि व्यासजी के तलगृह की छत जर्जर हो गई. उसके मरम्मत कराने और तलगृह की छत पर मुस्लिमों को इकट्ठा होने से रोकने का आदेश दिया जाए. लेकिन सिविल जज सीनियर डिवीज़न ने इस याचिका को ख़ारिज कर दिया. बता दें कि ऐसा ही एक प्रार्थना पत्र पर जिला जज की अदालत में भी दाखिल की गई है, जिस पर सुनवाई लंबित है.
छत मजबूत है-मुस्लिम पक्ष का जवाब
मुस्लिम पक्ष ने याचिका का विरोध करते हुए कोर्ट में कहा कि छत इतनी कमजोर नहीं है कि किसी के आने-जाने से क्षतिग्रस्त हो जाए. मुस्लिम समुदाय सालों से वहां नमाज अदा करता आ रहा है, और जितनी क्षमता है, उतने ही लोग नमाज पढ़ते हैं. उनका यह भी कहना है कि नमाजियों का छत पर अनावश्यक घूमना या जूते-चप्पल पहनकर तहखाना या मस्जिद के आसपास जाना बिल्कुल नहीं होता.
31 जनवरी 2024 को 31 साल बाद खुला तहखाना
बतादें वाराणसी कोर्ट के आदेश पर 31 जनवरी 2024 को, व्यास तहखाने का ताला 31 साल बाद खोला गया. तहखाने में मूर्तियों की पूजा की गई और धार्मिक चिह्नों का पूजन भी किया गया. पारंपरिक पुजारी परिवार ने इस तहखाने में पूजा की अनुमति के लिए याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने मान लिया था.https://theleaderhindi.com/after-shimla-now-mosque-dispute-in-mandi-hindu-organizations-are-protesting/