द लीडर : कर्नाटक के शिक्षण संस्थानों में स्टूडेंट्स के हिजाब पहनने पर पाबंदी को लेकर जारी हंगामे के बीच अब टीचर्स भी इसके दायरे में आ गई हैं. सोमवार को न सिर्फ हिजाब पहनने वाली टीचर्स को स्कूल में प्रवेश से रोका गया, बल्कि सार्वजनिक तौर पर उनसे हिजाब और बुर्का उतरवाकर एंट्री दी गई. हिजाब बांधकर पहुंची छोटी बच्चियों के साथ भी यही सुलूक किया गया. (Karnataka Hijab OIC Muslim)
इससे हिजाब का मुद्दा एक बार गरमा गया है. सोमवार को ही कर्नाटक हाईकोर्ट में हिजाब को लेकर सुनवाई हुई, जिस पर बहस जारी है. और इस मामले में मंगलवार को भी एक बेंच सुनवाई करेगी.
इस सबके बीच ऑग्रेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC)ने भारत में अल्पसंख्यक मुसलमानों के साथ हो रहे घटनाक्रमों की निंदा की है. और वैश्विक मंच में ख़ासतौर से संयुक्त राष्ट्र से दख़ल की अपील की.
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ओआइसी के महासचिव ने उत्तराखंड के हरिद्वार की धर्म संसद, जहां मुसलमानों के नरंसहार का आह़वान किया था. उसका जिक्र करते हुए मानवाधिकार संस्थाओं से आवश्यक क़दम उठाने की बात कही है. (Karnataka Hijab OIC Muslim)
ओआइसी ने बुल्ली और सुल्ली डील्स एप पर मुस्लिम महिलाओं की नीलामी और कर्नाटक में जारी हिजाब मामले को चिंताजनक बताया है. उन्होंने भारत सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और उनके मौलिक अधिकारों की रक्षा की अपील की है.
दरअसल, हाल के दिनों में अल्पसंख्यकों के साथ इस तरह की घटनाओं में बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है, जिनमें उन्हें उनकी पहचान के आधार पर निशाना बनाया जा रहा है. फिर चाहें लिंचिंग के मामले हों या फिर मध्यप्रदेश के फेरी-रेहड़ी पटरी वालों को उनकी पहचान के आधार पर निशाना बनाने की घटनाएं. (Karnataka Hijab OIC Muslim)
लेकिन हरिद्वार, बुल्ली बाई एप और हिजाब मामलों ने पूरी दुनिया का ध्यान भारत की तरफ खींचा है. जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को नुकसान पहुंचाने का काम किया है. इस सबके बावजूद भी इस तरह की घटनाओं पर रोक नज़र नहीं आ रही है. बल्कि अल्पसंख्यकों की निजी पहचान और प्रैक्टिस से जुड़े मुद़्दों को लगातार तूल दिया जा रहा है.
दिलचस्प बात यह है कि ये सभी घटनाएं ऐसे समय हो रही हैं, जब देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. इसमें सबसे महत्वपूर्ण यूपी और पंजाब का चुनाव है. यही दोनों चुनावी राज्य ऐसे हैं, जहां से किसान आंदोलन खड़ा हुआ था. या यूं कहें कि यहां किसान आंदोलन का ज़्यादा असर माना जा रहा है. (Karnataka Hijab OIC Muslim)