हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में आठवें दिन सुनवाई, SG बोले- हिजाब इस्लाम का जरूरी हिस्सा नहीं

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प्रतीकात्मक दृश्य
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The leader Hindi: हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को आठवें दिन सुनवाई हुई। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। कुछ ऐसे इस्लामिक देश हैं, जहां हिजाब के खिलाफ विरोध हो रहा है। महिलाएं प्रदर्शन कर रही हैं। इससे साबित होता है कि हिजाब पहनना इस्लाम धर्म में आवश्यक नहीं है।
इससे पहले हिजाब विवाद को लेकर कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि जिन छात्राओं ने हिजाब बैन के खिलाफ याचिका दायर की है वे कट्‌टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के प्रभाव में ऐसा कर रही हैं।
SG ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- PFI संगठन लड़कियों को मोहरा बना रहा है। हिजाब बैन पर दाखिल याचिकाओं की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। इसी दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कर्नाटक सरकार का पक्ष रखते हुए बताया कि PFI संगठन लड़कियों को मोहरा बनाकर सांप्रदायिक सौहार्द्र को भंग करने की साजिश कर रहा है। मेहता बोले- 2021 तक किसी लड़की को हिजाब बैन से परेशानी नहीं हुई।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया की बेंच को बताया कि 29 मार्च 2013 को उडुपी के सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज ने प्रस्ताव पास करके यूनिफॉर्म तय की। तब हिजाब को यूनिफॉर्म का हिस्सा नहीं बनाया गया और उस समय किसी भी लड़की को इस यूनिफॉर्म से परेशानी नहीं हुई। याचिकाकर्ताओं ने भी जब 2021 में इस कॉलेज में एडमिशन लिया तो उन्होंने भी यूनिफॉर्म के नियमों का पालन किया।

15 मार्च को कर्नाटक हाईकोर्ट ने उडुपी के सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज की कुछ मुस्लिम छात्राओं की तरफ से क्लास में हिजाब पहनने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने अपने पुराने आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम की जरूरी प्रैक्टिस का हिस्सा नहीं है। इसे संविधान के आर्टिकल 25 के तहत संरक्षण देने की जरूरत नहीं है। कोर्ट के इसी फैसले को चुनौती देते हुए कुछ लड़कियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिस पर सुनवाई हो रही है।

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