सरकार को समझना चाहिए ये किसान हैं, अपराधी नहीं

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द लीडर हिंदी : लोकसभा चुनाव काफी करीब है. केंद्र में मौजूदा मोदी सरकार का दूसरा कार्यकाल पूरा होने के मुकाम पर है. इसके बावजूद किसानों की नाराजगी दूर करने में मोदी सरकार पूरी तरह से विफल रही है.इससे पहले पिछले साल 25 नवंबर 2020 में किसानों का तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को शुरू हुआ था. तब सरकार ने किसानों को बहला फुसलाकर आंदोलन खत्म करा दिया था. लेकिन दो साल के बाद एक बार फिर से देशभर के किसान अपनी मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं.

किसानों के अंदोलन को रोकने के लिए केंद्र सरकार क्रूरता की सारी हदें पार कर रही है. ड्रोन से अश्रू गैसे के गोले दागने और रबर की गोलियां चलाने से भी पुलिस बाज नहीं आ रही है. देश के अन्नदाताओं पर इतना जुल्म किये जाने पर सभी विपक्ष नेताओं की प्रतिक्रिया सामने आ रही है.

वही किसानों पर आतंकियों जैसा व्यवहार किए जाने को लेकर भारत रत्न डॉ. स्वामीनाथन की बेटी मधुरा स्वामीनाथन का कहना है कि एमएस स्वामीनाथन का सम्मान अगर सरकार करती है तो किसानों को साथ लेकर चले. दिल्ली के पूसा में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में मधुरा स्वामीनाथन ने ये बयान दिया.उन्होंने कहा कि किसान हमारे अन्नदाता हैं. उनके साथ अपराधियों की तरह व्यवहार नहीं किया जा सकता. इस दौरान उन्होंने किसानों के विरोध पर हरियाणा सरकार के बयान का जिक्र किया था. मधुरा स्वामीनाथन ने कहा कि पंजाब के किसान दिल्ली की तरफ कूच कर रहे हैं.

मेरा मानना है कि मिली जानकारी के मुताबीक हरियाणा में उनके लिए जेलें तैयार की जा रही हैं, बैरिकेडिंग की जा रही है. उन्हें रोकने के लिए हर तरह की चीजें की जा रही हैं. सरकार को समझना चाहिए कि ये किसान हैं, अपराधी नहीं.बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार ने हरित क्रांति के जनक और कृषि वैज्ञानिक डॉ. एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित करने का एलान किया है. हालांकि, उनकी बेटी मधुरा स्वामीनाथन का कहना है कि एमएस स्वामीनाथन का सम्मान अगर सरकार करती है तो किसानों को साथ लेकर चले.