गाय को नेशनल पशु और मौलिक अधिकार का दर्जा दे सरकार-संसद में बनाए कानून : इलाहाबाद हाईकोर्ट

द लीडर : गाय (Cow) भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग है. भारत सरकार को चाहिए कि वह गाय की रक्षा का मौलिक अधिकार (Fundamental Right) प्रदान करे. संसद में बिल लाकर एक कानून लाए. और गाय को राष्ट्रीय पशु (National Animal) का दर्जा दे. एक सख्त कानून बनाकर उन लोगों को सजा दे, जो गाय को नुकसान पहुंचाने की बातें करते हैं. ”जब गाय का कल्याण होगा, तभी देश का कल्याण होगा.” गौकशी से जुड़े एक मामले पर सुनवाई के दौरान बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव (Justice Shekhar Kumar Yadav) की सिंगल बेंच ने ऐसा कहा है. (Cow National Animal Fundamental)

अदालत ने कहा कि गौ-संरक्षण किसी एक धर्म की भावनाओं का मुद्​दा नहीं है, बल्कि गाय भारत के कल्चर का हिस्सा रही है. और इसे बचाने की जिम्मेदारी देश के हर एक नागरिक की है. फिर चाहें उनका ताल्लुक किसी भी मजहब से हो.

अदालत ने सरकार के लिए भी कहा है कि वह गाय को नेशनल एनिमिल घोषित करें. और इसके संरक्षण के लिए कठोर से कठोर कानून बनाना सुनिश्चित करे. कोर्ट, गौ-वध अनिधिनियम के अंतर्गत जावेद बनाम राज्य सरकार के मामले पर सुनवाई कर रही थी. और जावेद को जमानत देने से इनकार कर दिया.


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लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक जावेद के खिलाफ गौ-वध अधिनियम की धारा-3,5 और 8 के तहत कार्रवाई की गई थी. जमानत देने से इनकार करते हुए अदालत ने अपनी टिप्पणी में कहा, भारत दुनिया का ऐसा इकलौता देश है, जहां तमाम धर्मों के लोग आबाद हैं.

उनकी पूजा पद्धति अलग हो सकती है. यानी उनकी धार्मिक मान्यताएं भिन्न हो सकती हैं. लेकिन देश के बारे में वे सभी एक जैसी राय रखते हैं. (Cow National Animal Fundamental)

ऐसे हालात में जब हर कोई भारत को एकजुट करने के लिए डटकर खड़ा हुआ है. तब कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिनकी कारनामें देशहित में नहीं है. इन हरकतों से वे सिर्फ देश को कमजोर कर रहे हैं.

इन परिस्थितियों में प्रथम दृष्टया आवेदक के खिलाफ अपराध साबित होता है. अगर जमानत दे दी जाती है तो संभव है कि वह सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाए.

अदालत ने कहा कि आवेदक का ये कोई पहला अपराध नहीं है. इससे पहले भी वह गौवध करके सामाजिक एकता को विखंडित करने की कोशिश कर चुका है. जमानत मिलने पर फिर से वह, वही काम दोहरा सकता है. (Cow National Animal Fundamental)

इस दौरान अदालत ने राज्य की गौशालाओं को लेकर टिप्पणी की है. जिसमें कहा है कि ये काफी हैरान करने वाला है के, जो लोग गौ-संरक्षण को प्रोत्साहित करने की बातें कर रहे हैं. वही गायों के इस हाल के जिम्मेदार भी हैं.


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अदालत ने सरकारी और प्राइवेट गौशालाओं के अंदरूनी हालात को भी आईना दिखाया है. ये कहते हुए कि सरकार ने गौशालाएं तो बनवाई हैं. लेकिन जिन लोगों को इनकी देखभाल की जिम्मेदारी दी गई है.

वह अपना काम ठीक से नहीं कर पा रहे हैं. इसी तरह प्राइवेट गौशालाओं को जो भारी-भरकम अनुदान मिल रहा है. वे उसे गायों पर खर्च करने बजाय अपने निजी हित में उपयोग कर रहे हैं. (Cow National Animal Fundamental)

Ateeq Khan

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