राजीव-इंदिरा के करीबी रहे पूर्व मंत्री सलीम शेरवानी ने रुहेलखंड में दिखाई ताकत, कांग्रेस-बसपा से जुड़े कई नेता सपा में शामिल

द लीडर : उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं. राजनैतिक दलों के साथ नेता अपनी-अपनी जमीन मजबूत करने में पूरी शिद्दत के साथ जुटे हैं. इस बीच रुहेलखंड में समाजवादी पार्टी को बड़ी ताकत हासलि हुई है. कांग्रेस और बसपा से जुड़े रहे कई नेताओं ने शनिवार को लखनऊ में राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की मौजूदगी में समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया है. इसमें बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर और बदायूं के पूर्व विधायक-मंत्री रहे या फिर विधायकी का चुनाव लड़ने वाले और युवा नेता शामिल हैं. ये पूरा लाव-लश्कर कांग्रेस सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे सलीम इकबाल शेरवानी की अगुवाई में सपा के साथ जुड़ा है.

पूरनपुर से बसपा नेता और पूर्व विधायक अरशद खान भी सपा में शामिल हो गए हैं. वहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में ब्रह्मस्वरूप सागर ने कांग्रेस के टिकट पर शाहजहांपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था. अब वह सपा के साथ आ गए हैं. हालांकि इससे पहले यह सपा में रहे थे और बाद में बसपा के साथ हो लिए. एक तरह से अब सपा में उनकी दोबारा घर वापसी हुई है. जैसा कि अखिलेश यादव ने दोहराया भी कि अधिकांश पुराने चेहरे पार्टी में दोबारा आए हैं. उनका स्वागत है.


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अनीस अहमद इंजीनियर बसपा के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं. अब वह सपा में शामिल हो गए हैं. इसके अलावा कांग्रेस की छात्र इकाई-एनएसयूआइ के प्रदेश उपाध्यक्ष सय्यद फरहान अली, एनएसयूआइ बदायूं के जिलाध्यक्ष जाहिद गाजी, निखिल कुमार-एनएसयूआइ बरेली, जसपाल सिंह-एनएसयूआइ पीलीभीत समेत छात्र इकाई के कई युवा चेहरे सपा की साईकिल पर सवार हो गए हैं.

बुलंदशहर से पूर्व मंत्री राकेश त्यागी, ठाकुर रणवीर जी, पूर्व विधायक अरशद खां,अश्वनी शर्मा, विमलेश कुमारी-चंदौसी, बच्चू सिंह निषाद, हेमंत निषाद, रविंद्र कश्यप, अय्याज शेरवानी, मुहम्मद खालिद, टीटू मेंबर, अनिल ठाकुर, जीतेंद्र पाल सिंह सोनकर-बरेली, लल्लन खान मुस्तफा-बरेली, बसपा में अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के मंडल प्रभारी रहे अली अब्बास जैदी, व‍िशाल पटेल-बरेली, सुशील शर्मा-फरीदपुर आदि नेताओं ने सपा की सदस्यता ली है.

रुहेलखंड की राजनीति में सलीम इकबाल शेरवानी का एक पुराना और बड़ा चेहरा हैं. वह पांच बार बदायूं से सांसद रहे हैं और कांग्रेस की राजीव गांधी सरकार में मंत्री रहे. वह गांधी परिवार में इंदिरा गांधी और राजीव गांधी दोनों के बेहद करीबियों में शुमार रहे हैं.


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बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय शेरवानी ने कांग्रेस छोड़कर समाजवादी पार्टी ज्वॉइन कर ली थी. हालांकि 2009 के लोकसभा चुनाव में सपा ने उन्हें बदायूं से टिकट देने से इनकार कर दिया था. और इस पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव को बदायूं की राजनीति की बागडोर सौंपी थी. इसलिए शेरवानी वापस कांग्रेस में चले गए.

पिछले दिनों उनके बेटे को शाह शेरवानी को सपा ने राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया था और उसके बाद सलीम शेरवानी भी सपा में शामिल हो गए थे. रुहेलखंड की सियासत में जिस तरह से शेरवानी फिर से सक्रिय हुए हैं. और शनिवार को उन्होंने अपने कई साथियों को सपा में शामिल कराया है. यकीनन इस परिक्षेत्र के साथ सपा में भी उनका कद ऊंचा होता नजर आ रहा है.

शनिवार को जब शेरवानी अपने साथियों को सपा में शामिल कराने के समय परिचित करा रहे थे, तब उनकी शैली बेहद आत्मीय थी. वह अपने हर साथी को-हमारे कहकर संबोधित कर रहे थे.

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