द लीडर : महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के छात्रनेता शरजील उस्मानी के एक भाषण पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है. फणनवीस ने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा है. जिसमें साफ किया है कि अगर सरकार, उस्मानी के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती है तो ये समझा जाएगा कि ये सब ठाकरे सरकार के संरक्षण में हो रहा है. और भाजपा इसके खिलाफ आंदोलन करेगी. पत्रकारों से बातचीत में फणनवीस बोले कि, ‘महाराष्ट्र में क्या मुगलों का शासन चल रहा है?’
शरजील उस्मानी याने पुणे येथे दि. 30 जानेवारी 2021 रोजी एल्गार परिषदेत समस्त हिंदू समाजाबद्दल केलेले अवमानजनक, आक्षेपार्ह, गंभीर वक्तव्य आणि त्याच्यावर राज्य सरकारतर्फे तातडीने आणि कठोरातील कठोर कारवाई करण्याची गरज, याबाबत मुख्यमंत्री मा. उद्धव ठाकरेजी यांना पत्र @CMOMaharashtra pic.twitter.com/a0jNk6FEq0
— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) February 2, 2021
30 जनवरी को महाराष्ट्र के पुणे में एल्गार परिषद की ओर से एक कार्यक्रम हुआ था. इसमें शरजील उस्मानी भी शामिल हुए थे. आरोप है कि मॉब लिंचिंग की घटनाओं का हवाला देते हुए उस्मानी ने ऐसे लोगों के खिलाफ कथित रूप से अमर्यादित भाषा का उपयोग किया था. पूर्व मुख्यमंत्री का भी यही दावा है.
Is there a Mughal Raj in Maharashtra ?
Act immediately against Sharjeel Usmani.
महाराष्ट्र में क्या मुगलों का राज है?
शरजील उस्मानी पर तुरंत कारवाई की जाए। pic.twitter.com/BDp61MYI3T— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) February 2, 2021
पत्रकारों से बातचीत में फणनवीस ने कहा कि, जब भी एल्गार परिषद होती है. उसमें ऐसी ही बातें की जातीं. सवाल उठाया कि इसे अनुमति ही क्यों दी जाती है. कोई महाराष्ट्र में आकर समाज को सड़ा हुआ कहेगा और हम बर्दाश्त कर लेंगे. ऐसा नहीं होगा.
राजनेताओं को नहीं मालूम संकट का हल, उन्हें देश की हर समस्या के लिए मुसलमानों को बलि का बकरा बनाना है : बजट पर जस्टिस काटजू
अबकी भी ये परिषद केवल इसीलिए आयोजित की गई कि अलग-अलग समाजों में दुर्वभावना पैदा हो. इन समाजों के खिलाफ बोला जाए. और उसके माध्यम से कानून व्यवस्था का प्रश्न बने.
कौन हैं उस्मानी
एएमयू के छात्रनेता शरजील उस्मसानी पिछले साल सीएए-एनआरसी आंदोलन को लेकर चर्चा में आए थे. आंदोलन को लेकर उन्हें जेल जाना पड़ा था.
हर साल परिषद विवाद में आती परिषद
एल्गार परिषद के आयोजन हर साल विवादों में रहते हैं. साल 2018 के एक कार्यक्रम के दौरान भीमा कोरेगांव में हिंसा भड़क गई थी. इसके आरोप में कई बुद्धिजीवी और सामाजिक कार्यकर्ता जेल में बंद हैं. इसमें मशहूर वकील और सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज, गौतम नौवलखा, आनंद तेलतुबंड़े समेत अन्य नाम शामिल हैं.