इस काम के लिए कल सिंघु और गाजीपुर बॉर्डर पहुंचेगी 150 गांवों की मिट्टी

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किसान आंदोलन के 130 पूरे होने के साथ ही अब दिल्ली की सरहदों पर कुछ खास होने वाला है। तकरीबन 150 गांवों की मिट्टी कल सिंघु और गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंचेगी, जिससे आंदोलन की आंच किसी के दिल में कम न हो। इस मिट्टी को जुटाने के लिए देशभर में मिट्टी सत्याग्रह चल रहा है।

खास बात ये है कि यह उसी दिन यानी 12 मार्च को शुरू हुआ, जिस दिन केंद्र सरकार ने दांडी सत्याग्रह को याद कर अमृत महोत्सव शुरू किया।

संयुक्त किसान मोर्चा के समन्वयक डॉ.दर्शनपाल ने बताया कि छत्तीसगढ़ में तीन अप्रैल को सोनाखान से मिट्टी यात्रा की शुरूआत की गई और राज्य के अलग अलग कोने से मिट्टी एकत्रित की गई। मिट्टी लेकर छत्तीसगढ़ के किसान छह अप्रैल को सिंघु बॉर्डर पहुचेंगे। किसान नेता राकेश टिकैत और युधवीर सिंह के नेतृत्व में किसान मोर्चा के रोड शो का वहां के किसान और आम नागरिक गर्मजोशी से स्वागत कर रहे हैं।

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Farmers Again Rejected Government Proposal

उन्होंने बताया कि आंध्रप्रदेश व तेलंगाना के किसानों ने मिट्टी सत्याग्रह यात्रा में भागीदारी कर अपने क्षेत्र की मिट्टी दिल्ली के बॉर्डरों पर आंदोलनकारियों के पास भेजी है, जहां पर शहीद किसान स्मारक बनाएं जाएंगे। लगभग 150 गावों से इक्कठी की गई मिट्टी को लेकर किसान 6 अप्रैल को गाज़ीपुर बॉर्डर और सिंघु बॉर्डर पर पहुचेंगे।

आज दोपहर संयुक्त किसान मोर्चा, गाजीपुर बार्डर द्वारा जारी एक फोल्डर का इलाहाबाद उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में विमोचन किया गया और हजारों प्रतियां उपस्थित विधि मित्रों के बीच वितरित की गईं। फोल्डर का शीर्षक है – इन तीन कानून में काला क्या है, प्रधानमंत्री मोदी को बताओ।

देशभर में एफसीआई दफ्तरों पर किसानों का प्रदर्शन

डॉ.दर्शनपाल ने बताया कि पांच अप्रैल को देशभर में एफसीआई के दफ्तरों पर किसानों ने प्रदर्शन किया। आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा और ऑंगले में, हरियाणा के ढांड मंडी कैथल, गुड़गांव, सोनीपत, अम्बाला, करनाल, बदोवाल, यूपी के नोएडा, अतरौली, अलीगढ़, बिहार के सीतामढ़ी, राजस्थान के श्रीगंगानगर, गोलूवाला, पंजाब में भवानीगढ़, सुनाम, बरनाला, गुरदासपुर, मानसा, अमृतसर समेत 40 से ज्यादा एफसीआई के दफ्तरों को किसानों ने घेरा व वर्तमान गेहूं की खरीद पर नए नियमों के खिलाफ प्रदर्शन कर ज्ञापन दिए।

डॉ.दर्शनपाल ने कहा, पंजाब के किसान अभी किए गए कुछ बदलावों से जूझ रहे हैं, जो केंद्र सरकार खरीद सीजन में किए हैं। यह पंजाब के किसानों के हितों के खिलाफ हैं, जबकि देश के अन्य हिस्सों में किसान एफसीआई की खराब वित्तीय हालात के प्रभावों से पीड़ित हैं।

उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा और प्रदर्शनकारी किसान इस संकट के बारे में गहराई से जानते हैं कि भारत सरकार ने अपने उपभोक्ताओं और उत्पादकों को विश्व व्यापार संगठन के कठोर ढांचे के भीतर अपनी प्रतिबद्धताओं के चलते ऐसा किया है।

यही वजह है कि सरकार द्वारा बातचीत में रखे गए प्रस्ताव में भोजन के अधिकार, संप्रभुता, खाद्य और पोषण सुरक्षा के ठोस तर्क व प्रस्ताव नहीं है। भारत के खाद्य भंडार कार्यक्रम को विश्व व्यापार संगठन के दबाव में मान लिया गया है। डब्ल्यूटीओ के समझौते ने कृषि मॉडल को आम नागरिकों के खिलाफ कृषि कॉरपोरेट के मुनाफे को बनाया है।

दर्शनपाल ने कहा, एसकेएम स्पष्ट रूप से समझता है कि सुधार के नाम से तीन खेती कानून भारत की पीडीएस प्रणाली को समाप्त करने के इरादे से लाए गए हैं। इसी वजह से प्रदर्शनकारी किसान तीनों कानूनों को रद्द करने और सभी किसानों को कानूनी अधिकार के रूप में एमएसपी को गारंटी देने की मांग कर रहे हैं।

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