फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह का चंडीगढ़ में निधन, पीएम मोदी ने जताया शोक

द लीडर हिंदी।कोरोना संक्रमित होने के बाद करीब एक महीने से जूझ रहे पूर्व ओलंपियन पद्मश्री मिल्खा सिंह (91) का शुक्रवार देर रात पीजीआई चंडीगढ़ में निधन हो गया। फ्लाइंग सिख के नाम से दुनिया भर मे मशहूर मिल्खा सिंह आज से एक महीने पहले 19 मई को कोरोना सक्रमित हुए थे। इसके बाद 24 मई को उन्हें मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तीन जून को अचानक तबीयत बिगड़ने पर उन्हें पीजीआई चंडीगढ़ में भर्ती कराया गया था।

शुक्रवार दोपहर अचानक उनकी तबीयत गंभीर हो गई। बुखार के साथ उनका आक्सीजन स्तर नीचे गिरने लगा। पीजीआई के डॉक्टरों की सीनियर टीम उन पर नजर बनाए हुए थी लेकिन देर रात उनकी हालत बिगड़ गई और रात 11.40 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन के साथ भारतीय खेल के एक युग का अंत हो गया। इस दुखद सूचना से देश और दुनिया के खेल प्रेमियों में शोक की लहर फैल गई।

पांच दिन पहले हुई थी पत्नी की मौत
मिल्खा सिंह के साथ उनकी पत्नी निर्मल कौर भी कोरोना संक्रमित हो गईं थीं। हालत गंभीर होने पर उन्हें मोहाली के निजी अस्पताल में दाखिल कराया गया था। उनकी भी हालत कई दिनों तक स्थिर बनी हुई थी लेकिन 13 जून की शाम को उनका निधन हो गया। मिल्खा सिंह और उनकी पत्नी के बीच काफी जुड़ाव था।

एशियाई खेलों के चार बार गोल्ड मेडल विजेता

मिल्खा सिंह भारत के सबसे सफल एथलीट्स में से एक हैं। साल 1958 में इंग्लैंड में कॉमनवेल्थ गेम्स हुए थे, जिसमें मिल्खा सिंह ने 400 मीटर की रेस में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीता। इन खेलों में उन्होंने भारत की तरफ से पहला व्यक्तिगत गोल्ड मेडल हासिल किया। यह एक ऐसा रिकॉर्ड था, जो लगभग पांच दशक तक नहीं टूट सका। इसी साल हुए एशियाई खेलों में भी मिल्खा सिंह ने जबरदस्त प्रदर्शन किया और दो गोल्ड मेडल हासिल किए। जापान में खेले गए इन गेम्स में 200 मीटर और 400 मीटर की रेस में उन्होंने गोल्ड मेडल अपने नाम किया। इन खेलों के 4 साल बाद जकार्ता में एशियाई खेल हुए, जिसमें मिल्खा ने 200 मीटर की रेस में गोल्ड अपने नाम किया और 400 मीटर की रिले रेस में भी गोल्ड मेडल पर अपनी मुहर लगाई।

रोम ओलंपिक में मामूली अंतर से गंवा दिया कांस्य पदक
मिल्खा सिंह का करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन हालांकि 1960 के रोम ओलंपिक में था, जिसमें वे 400 मीटर फाइनल में चौथे स्थान पर रहे थे। इसके अलावा उन्होंने 1956 और 1964 ओलंपिक में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया। जब भी मिल्खा सिंह का जिक्र होता है रोम ओलंपिक में उनके पदक से चूकने का जिक्र जरूर होता है। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, ‘मेरी आदत थी कि मैं हर दौड़ में एक दफा पीछे मुड़कर देखता था। रोम ओलिंपिक में दौड़ बहुत नजदीकी थी और मैंने जबरदस्त ढंग से शुरुआत की। हालांकि, मैंने एक दफा पीछे मुड़कर देखा और शायद यहीं मैं चूक गया।’ इस दौड़ में कांस्य पदक विजेता का समय 45.5 था और मिल्खा ने 45.6 सेकंड में दौड़ पूरी की थी। साल 1959 में उन्हें बेहतरीन प्रदर्शन के लिए पद्मश्री अवॉर्ड से नवाजा गया था।

पीएम मोदी ने जताया शोक

महान धावक मिल्खा सिंह के निधन की खबर से सोशल मीडिया पर शोक की लहर दौड़ गई। निधन के कुछ ही मिनट बाद मिल्खा सिंह को याद करने वालों व उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों की सुनामी आ गई। कुछ ही मिनट में मिल्खा सिंह ट्रेंड करने लगे। लाखों लोगों ने एक साथ ट्वीट किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह समेत कई केंद्रीय मंत्री, राज्यपाल, खिलाड़ी, अभिनेता से लेकर हर वर्ग के लोगों ने मिल्खा सिंह को श्रद्धाजंलि दी।

Abhinav Rastogi

पत्रकारिता में 2013 से हूं. दैनिक जागरण में बतौर उप संपादक सेवा दे चुका हूं. कंटेंट क्रिएट करने से लेकर डिजिटल की विभिन्न विधाओं में पारंगत हूं.

Related Posts

Bareilly News:  बरेली डीएम मरीज बनकर पहुंचे जिला अस्पताल, लाइन में लगकर जाना अल्ट्रासाउंड का हाल 

बरेली: बरेली के जिलाधिकारी अविनाश कुमार ने बुधवार सुबह जिला अस्पताल का औचक निरीक्षण किया, लेकिन इस बार कुछ हटकर अंदाज में डीएम खुद मरीज बनकर अस्पताल पहुंचे और अपनी पहचान…

Как избежать мошенничества при входе в казино?

Как избежать мошенничества при входе в казино? Вход в онлайн-казино может показаться интересным предложением для многих любителей азартных игр. Однако, в интернете присутствует множество мошеннических сайтов, которые могут навредить вашему…