एक प्रखर आवाज़..जो अब मौन हो गई, नारीवादी लेखन कमला भसीन ने दुनिया को कहा अलविदा

द लीडर। नारीवादी लेखिका और दबी कुचली महिलाओं के लिए धरातल पर काम करने वालीं कमला भसीन ने आज दुनिया को अलविदा कह दिया है. बताया जा रहा है कि, लेखिका कमला भसीन ने शनिवार सुबह अंतिम सांस ली. उनके निधन महिलावादी लेखक, संगठन और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं में शोक की लहर है. जन आंदोलनों को आवाज देने वाली कमला ने दक्षिण एशियाई नारीवादी आंदोलन को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी.


यह भी पढ़ें: कांग्रेस का मुस्लिम वोट बैंक पर ज़ोर, जुमे की नमाज़ के बाद मस्जिदों के बाहर बांटेगी संकल्प पत्र


 

…कमला आप हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगी

महिलाओं के उत्थान के लिए काम करने वाली जानी मानी सामाजिक कार्यकर्ता और कवियत्री कमला भसीन कुछ महीने पहले कैंसर की शिकार हुई थीं. सामाजिक कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव ने जानकारी देते हुए ट्विटर पर लिखा कि, हमारी प्रिय मित्र कमला भसीन का आज 25 सितंबर को लगभग 3 बजे निधन हो गया. यह भारत और दक्षिण एशियाई क्षेत्र में महिला आंदोलन के लिए एक बड़ा झटका है. विपरीत परिस्थितियों में उन्होंने जीवन का जश्न मनाया. कमला आप हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगी. एक बहन जो गहरे दुख में है.

कमला भसीन के निधन पर अभिनेत्री और सामाजिक कार्यकर्ता शबाना आजमी ने भी शोक व्यक्त किया है. उन्होंने ट्वीट किया कि, तेजतर्रार कमला भसीन ने अपनी आखिरी लड़ाई, गायन और जीवन को अच्छी तरह से जीने का जश्न मनाया है. उनकी कमी हमेशा खलेगी. उनकी साहसी मौजूदगी हंसी और गीत, उनकी अद्भुत ताकत उनकी विरासत है. हम सब इसे संजो कर रखेंगे जैसा हमने पहले अरुणा रॉय के लिए किया.


यह भी पढ़ें: UPSC Result 2020: मुस्लिम समुदाय के इन 29 उम्मीदवारों का जलवा, यूपी के 11 PSC अफसरों ने मारी बाजी


 

इतिहासकार इरफान हबीब ने कमला भसीन को याद करते हुए लिखा कि, प्रिय मित्र और असाधारण इंसान कमला भसीन के दुखद निधन के बारे में सुनकर बहुत दुख हुआ. हम कल ही उनके स्वास्थ्य के बारे में चर्चा कर रहे थे लेकिन यह कभी नहीं सोचा था कि वह अगले दिन हमें छोड़ देंगी. आप बहुत याद आएंगी.

कौन थीं कमला भसीन ?

कमला भसीन 1970 के दशक से भारत के साथ-साथ अन्य दक्षिण एशियाई देशों में महिला आंदोलन की एक एक प्रमुख आवाज रही हैं. 2002 में उन्होंने नारीवादी नेटवर्क ‘संगत’ की स्थापना की, जो ग्रामीण और आदिवासी समुदायों की वंचित महिलाओं के साथ काम करती है. वे अक्सर नाटकों, गीतों और कला जैसे गैर-साहित्यिक साधनों का उपयोग करके समाज में महिला उत्थान के लिए काम करतीं थीं. भसीन ने नारीवाद और पितृसत्ता को समझने पर कई किताबें लिखी हैं, जिनमें से कई का 30 से अधिक भाषाओं में अनुवाद किया गया.


यह भी पढ़ें: क्या साइकिल पर सवार होंगे BSP के दो दिग्गज नेता लालजी वर्मा और राम अचल राजभर, अखिलेश यादव से की शिष्टाचार भेंट


 

कमला भसीन लैंगिक समानता, शिक्षा, गरीबी-उन्मूलन, मानवाधिकार और दक्षिण एशिया में शांति जैसे मुद्दों पर 1970 से लगातार सक्रिय थीं. कमला भसीन का जन्म 24 अप्रैल, 1946 को वर्तमान पाकिस्तान के मंडी बहाउद्दीन ज़िले में हुआ था. वे ख़ुद को ‘आधी रात की संतान’ कहती हैं, जिसका संदर्भ विभाजन के आसपास पैदा हुई भारतीय उपमहाद्वीप की पीढ़ी से है. उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से मास्टर्स की डिग्री ली थी और पश्चिमी जर्मनी के मंस्टर यूनिवर्सिटी से सोशियोलॉजी ऑफ डेवलपमेंट की पढ़ाई की. 1976-2001 तक उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन के साथ काम किया. इसके बाद उन्होंने ख़ुद को पूरी तरह से ‘संगत’ के कामों और ज़मीनी संघर्षों के लिए समर्पित कर दिया.

भसीन ने पितृसत्ता और जेंडर पर काफी विस्तार से लिखा है. उनकी प्रकाशित रचनाओं का करीब 30 भाषाओं में अनुवाद हुआ है. उनकी प्रमुख रचनाओं में लाफिंग मैटर्स (2005; बिंदिया थापर के साथ सहलेखन), एक्सप्लोरिंग मैस्कुलैनिटी (2004), बॉर्डर्स एंड बाउंड्रीज: वुमेन इन इंडियाज़ पार्टिशन (1998, ऋतु मेनन के साथ सहलेखन), ह्वॉट इज़ पैट्रियार्की? (1993) और फेमिनिज़्म एंड इट्स रिलेवेंस इन साउथ एशिया (1986, निघत सईद खान के साथ सहलेखन) शामिल हैं. अपने लेखन और एक्टिविज़्म में भसीन एक ऐसे नारीवादी आंदोलन का सपना बुनती हैं, जो वर्गों, सरहदों और दूसरे सभी सामाजिक और राजनीतिक बंटवारों को लांघ जाए. उन्होंने कई बार विभिन्न मंचों पर महिलाओं के बलात्कार को लेकर प्रयुक्त होने वाली शब्दावली पर भी सवाल उठाए थे. उनका कहना था कि बलात्कार होता है ‘तब इज्जत मर्द की लुटती है औरत की नहीं.’

पितृसत्ता और बलात्कार पर ये बोलीं थी कमला भसीन

क्या आपको लगता है कि स्त्री का रेप करनेवाला पुरुष इंसान है? उसे कहा गया है कि उसे दूसरे समुदाय की औरत का रेप करना है- कि वह एक लड़ाका है, और वह एक बड़े मकसद के लिए रेप कर रहा है. वह अपने शरीर को औरतों के ख़िलाफ़ एक हथियार में बदल देता है. क्या वह हथियार तब प्रेम का औजार बन सकता है? बांग्लादेश में पाकिस्तानी सैनिक, वियतनाम में अमेरिकी सैनिक, या भारत में हिंदू दक्षिणपंथी व्यक्ति- जब वे किसी ऐसे समुदाय की औरत से रेप करते हैं, जिससे वे नफरत करते हैं, तब वे अपना बच्चा उसी औरत के गर्भ में डाल देते हैं, जो उनकी नफरत का निशाना बनती हैं. उनकी संतति के साथ उनका क्या रिश्ता है?


यह भी पढ़ें:  मुख्तार अंसारी को योगी सरकार से जान का खतरा, कहा- खाने में जहर देकर मरवा देंगे


 

जब लोग कहते हैं कि, किसी समुदाय की औरत का रेप होने से उस समुदाय की इज्जत मिट्टी में मिल गई, तो मैं यह पूछती हूं कि आख़िर वे अपना सम्मान किसी औरत के शरीर में क्यों रखते हैं? इस दुनिया में जो कुछ भी खराब है, उसके पीछे मैं वर्चस्ववादी मर्दानगी, जहरीली मर्दानगी का हाथ देखती हूं. कमला भसीन के निधन पर सामाजिक कार्यकर्ताओं, खासकर महिला कार्यकर्ताओं ने गहरा दुख व्यक्त किया है. माकपा पोलित ब्यूरो की सदस्य और ऐपवा सचिव कविता कृष्णन ने उन्हें याद करते हुए उनकी एक कविता भी साझा की.

https://www.facebook.com/watch/?v=757234124765764

कमला भसीन ने एक बार कहा था कि, सोचकर देखिए कि, आज अगर महिलाएं कह दें कि या तो हमारे साथ सही से व्यवहार करें नहीं तो हम बच्चा पैदा नहीं करेंगे. क्या होगा? होगा ये कि सेनाएं ठप हो जाएंगी. मानव संसाधन कहां से लाएंगे आप?” वह कई बार भाषणों में कह चुकी थी कि ‘जब बच्चा पैदा होता है तो वह केवल इंसान होता है, मगर समाज उसे धर्म, भेद, पंथ, जाति आदि में बांट कर उसकी पहचान को छोटा बना देता है. प्रकृति इंसानों में भेद करती है लेकिन भेदभाव नहीं करती. भेदभाव करना समाज ही सिखाता है. इस भेदभाव से ही लोगों में एक दूसरे के प्रति नफरत बढ़ रही है और हिंसा में बढ़ोतरी हो रही है.


यह भी पढ़ें:  UP Election : निषाद पार्टी के साथ 2022 का चुनाव पूरी ताकत से लड़ेगी BJP, गठबंधन से पूर्वांचल में बीजेपी को मिलेगा फायदा


 

indra yadav

Related Posts

बरेली में केलाडांडी का माहौल जांचने पहुंचे डीएम-एसएसपी

द लीडर हिंदी: यूपी के ज़िला बरेली में जुमे के दिन जिस केलाडांडी गांव में मस्जिद बनाम विवादित स्थल का तनाज़ा खड़ा हुआ, वहां माहौल का जायज़ा लेने के लिए…

बरेली में बिना रंजिश क्यों क़त्ल किए गए सेना के रिटायर्ड माली

द लीडर हिंदी: यूपी के ज़िला बरेली में कैंट के मिलिट्री डेयरी फॉर्म के पास झोंपड़ीनुमा कमरा बनाकर रहने वाले बुज़ुर्ग रिटायर्ड माली की लाश मिली है. तब जबकि उन्हें…