दि लीडर : ‘लव जिहाद का मतलब अगर ये है कि गैर मुस्लिम औरतों से मुहब्बत करके उन्हें इस्लाम में दाखिल किया जाए. तो जाहिर है कि मुहब्बत करने के लिए पहले ताल्लुकात बनते होंगे. हंसी-मजाक या दुनियावी ऐशो-आराम के ख्वाब दिखाये जाते होंगे. और इसी तरह की दूसरी बातें-जिनकी खुद इस्लाम इजाजत नहीं देता है. ये सब गैर मुस्लिम क्या, मुस्लिम-बल्कि, खुद ऐसे खानदान की लड़कियों से भी जो महरम न हो, उनसे बेपर्दा बातचीत करना. उनके साथ तन्हाई में बैठना या हर वो काम, जो इन दोनों के बीच नाजायज संबंध बनने का बहाना हो सकता है. वो सख्त मना है. इस्लाम में तो बिना इजाजत मालिक से उसकी लकड़ी भी लेने से भी मना फरमाया गया है. तो लड़की को भगा ले जाने या कानून के खिलाफ उससे निकाह की इजाजत कैसे हो सकती है, जिससे पूरे खानदान की रुसवाई हो. छल-कपट, मकरो फरेब (धोखाधड़ी) कर गैर मुस्लिम लड़की हो या लड़का, उसे जबरन मजहब बदलने का हुक्म कैसे दे सकता है. (Fatwa Love Jihad Religion)
ये बातें लव जिहाद पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में ‘ सुन्नी-बरेलवी मुसलमानों के मरकज, दरगाह आला हजरत स्थित मरकजे अहले सुन्नत दारूल इफ्ता से जारी एक फतवे में कही गई हैं.
सुन्नी उलमा काउंसिल के अध्यक्ष ने मांगा फतवा
राष्ट्रीय सुन्नी उलमा काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना इंतेजार अहमद कादरी ने दारूल इफ्ता से लव जिहाद के संबंध में सवाल पूछा.
उन्होंने जानना चाहा कि, ‘क्या कोई मुस्लमि लड़का, किसी गैर मुस्लिम लड़की से शादी करने के लिए फरेब यानी धोखाधड़ी व छल करके उसका मजहब बदलवा सकता है? क्या शरीयत में लव-जिहाद का कोई जिक्र है. अपना मकसद हासिल करने के लिए इस्लाम का इस्तेमाल करने वालों के लिए क्या हुक्म है? इसी प्रश्न के जवाब में यह फतवा सामने आया है.
को-एजुकेशन और स्कूल ड्रेस पर भी सवाल
फतवा कहता है, ‘हकीकत ये है कि ये बुराईयां पश्चिमी संस्कृति, को-एजुकेशन, पश्चिमी पहनावे, अश्लील साहित्यिक सामग्री पढ़ने और मोबाइल फोन वगैराह के इस्तेमाल का नतीजा है. कुछ स्कूल व कॉलेज में लड़कों से ज्यादा लड़कियों का ऐसा लिबास लागू किया गया है, जिससे लड़कों की गलत ख्वाहिशों को बढ़ावा मिलता है. जरूरत इस बात की है कि हर ऐसी चीज पर पाबंदी लगाई जाए, जो बेहयाई, बेगैरती का जरिया बनती है. इस्लाम ने यकीनन इन बातों की हिदायत फरमाई है.’
दरअसल, पिछले कुछ समय से लव जिहाद काफी चर्चा में है. इस पर रोक के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार बीते 24 नवंबर को ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिशोध अध्यादेश-2020 ‘ लेकर आई है. 28 नवंबर को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के हस्ताक्षर के बाद ये अध्यादेश अब कानूनी शक्ल ले चुका है. इसका मकसद, विवाह के लिए जबरन धर्म परिवर्तन की घटनाओं पर रोक लगाना है. खास बात ये है कि इस नए कानून के अंतर्गत पहला मामला भी बरेली में ही दर्ज हुआ है. जिसमें पीड़ित पक्ष ने शादी के लिए धर्म परिवर्तन कराने के दबाव का आरोप लगाते हुए थाने में शिकायत दर्ज कराई है. (Fatwa Love Jihad Religion)
क्या कहते हैं मुफ्ती
फतवा मांगने वाले मुफ्ती इंतेजार अहमद कादरी कहते हैं कि दूसरे धर्म की तो छोड़िए, अपने धर्म में भी ऐसी शादी की अनुमति नहीं है, न ही हमारा संविधान और कानून इसकी इजाजत देता है. दूसरा-इस्लाम में लव जिहाद के लिए कोई स्थान नहीं है. ये सामाजिक बुराई है, जो चश्चिमी सभ्यता से फैली है. इस पर अंकुश लगाने के लिए जरूरी है कि हम अपने बच्चों को अच्छे संस्कार, शिक्षा दें. उन्हें समाज के बारे में समझाएं और सिखाएं. ताकि जो समाज में जो बेहयाई फैली है, वो दूर हो सके. (Fatwa Love Jihad Religion)
फैजान मुस्तफा का दावा साबित
-उत्तर प्रदेश में ये अध्यादेश लागू होने के बाद एक न्यूज चैनल से बातचीत में विधि विशेषज्ञ प्रोफेसर फैजान मुस्तफा ने कहा था कि इस कानून का उलमा भी समर्थन करेंगे. क्योंकि वे भी अंतरधार्मिक विवाह नहीं चाहते.
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