#FarmersProtest: अनिल विज के ‘गुप्त एजेंडे’ के बयान पर भड़के किसान, कहा- मर्यादा न लांघें

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दिल्ली की सीमाओं पर 200 दिन पूरे करने जा रहे किसान आंदोलन ने हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज के बयान पर कड़ी आपत्ति जताकर भाजपा नेताओं को यह कहकर नसीहत दी है कि मर्यादा न लांघें, हम भाजपा-आरएसएस और उनके समर्थकों के तमाम निराधार आरोपों के बावजूद अडिग रहे हैं। अनिल विज ने हाल ही में किसान आंदोलन के पीछे गुप्त एजेंडा होने की बयान दिया था।

विज के बयान पर संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा, मंत्री का बयान भड़काऊ और गैरजिम्मेदाराना रवैया निंदनीय है। अनिल विज और अन्य भाजपाइयों की हताशा बढ़ती जा रही है क्योंकि आंदोलन दिन प्रतिदिन मजबूत होता जा रहा है। भाजपा नेता सामान्य शिष्टाचार, मर्यादा और शालीनता को ताक पर रखते जा रहे हैं, जो निश्चित ही अच्छी बात नहीं है। उनको मर्यादा नहीं लांघना चाहिए।

किसान नेताओं ने कहा, मोदी सरकार के मंत्रियों और सलाहकारों ने किसान नेताओं से तीन कृषि कानूनों में कमियों को स्पष्ट करने के लिए कहना गुमराह करने वाला और गलत है। किसान नेताओं ने पहले ही बहुत विस्तार से समझाया है कि कानूनों के मूल उद्देश्य में मूलभूत खामियां हैं, कानूनों मे किसानों के हितों की भीषण हानि और, कॉर्पोरेट के हितों की रक्षा के प्रावधान हैं।

तथ्य यह है भी कि मोदी सरकार ने राज्य सरकारों के संवैधानिक अधिकारों का अतिक्रमण किया है जो स्वीकार्य नही है। 11 दौर की बातचीत का वीडियो फुटेज इस सभी बातों का सबूत है। कानूनों के वापसी से ही वर्तमान गतिरोध का समाधान हो सकता है, ऐसे में अब उन्हीं निराधार तर्कों को सामने लाना जो सरकार ने साढ़े चार महीने पहले पेश किये थें, अस्वीकार्य है और यह स्पष्ट दिखाता है कि सरकार आज भी अपने अहंकार पर खड़ी है।

उन्होंने कहा, लाखों किसान दिल्ली की सीमाओं पर जल्द ही 200 दिन अपने शांतिपूर्ण संघर्ष के पूरे करेंगे, यह संभवत: दुनिया का सबसे लंबा और सबसे बड़ा ऐसा आंदोलन है। इस विरोध प्रदर्शन में अब तक 502 से ज्यादा किसान शहीद हो चुके हैं।

भारत के विभिन्न राज्यों के लाखों किसान चारों ओर कोरोना महामारी होने के बाद भी ऐसे समय में भी स्वेच्छा से विभिन्न कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं, क्योंकि वे यह जानते हैं कि मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन कानून किसान विरोधी और कॉर्पोरेट समर्थक हैं, यह किसानों के अपने अस्तित्व और उनकी आने वाली पीढ़ियों के लिए लड़ाई है।

बीती रात एक बार फिर बारिश के दौरान प्रदर्शन कर रहे किसान अपने तंबू गिरने और पानी में डूबने से भीग गए, लेकिन वे इस संघर्ष को तब तक जारी रखेंगे जब तक मोदी सरकार उनकी सभी जायज मांगों को पूरा नहीं कर देती।

यहां बता दें, किसान लगातार काले झंडे दिखा कर अलग-अलग जगहों पर बीजेपी नेताओं के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। हरियाणा सरकार की महिला एवं बाल विकास मंत्री कमलेश ढांडा को कैथल में काले झंडों और नारों का सामना करना पड़ा। महिलाओं और पुरुष किसान दोनों ने बड़ी संख्या में अपना प्रतिरोध व्यक्त करने के लिए भीषण गर्मी का सामना किया। चरखी दादरी में भाजपा की बबीता फोगाट को भी किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा।

विभिन्न राज्यों से हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन मे शामिल हो रहे हैं, आज उत्तराखंड से तराई किसान संगठन की एक टुकड़ी गाजीपुर बॉर्डर पहुंची। इसी तरह तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और बिहार से एआईकेएमएस के प्रतिनिधिमंडल और समर्थक भी गाजीपुर धरना स्थल पर पहुंचे।


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