द लीडर। जहांगीरपुरी में हुई हिंसा का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में हनुमान जयंती के पर्व पर 16 अप्रैल को हुई हिंसा पर फैक्ट फाइंडिंग टीम की रिपोर्ट सामने आ चुकी है।
इस रिपोर्ट को बुद्धिजीवियों और शिक्षाविदों के समूह (GIA) द्वारा बनाया गया है। वर्ष 2015 में इस समूह की स्थापना की गई थी। GIA, पेशेवर महिलाओं, उद्यमियों, मीडियाकर्मियों और शिक्षाविदों का एक समूह है, जो सामाजिक न्याय और राष्ट्र निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है।
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बताया जा रहा है कि, इस समूह ने हिंसा के अगले तीन दिनों तक जहाँगीरपुरी में रहकर वहाँ की जमीनी हकीकत और हिंसा से संबंधित तथ्यों का पता लगाया है।
जनसांख्यिकीय परिवर्तन और कट्टरता अपने चरम पर
उन्होंने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि, जब हम मौके पर पहुंचे, तो हमें कई ऐसी जानकारियां मिली, जो आज तक किसी के सबके सामने नहीं आई है। हमने देखा कि इस क्षेत्र में अवैध गतिविधियाँ, जनसांख्यिकीय परिवर्तन और कट्टरता अपने चरम पर है।
सार्वजनिक भूमि पर अवैध कब्जा कर लिया गया है। यहाँ अवैध तरीके से निर्माण किए जा रहे हैं। अतिक्रमण को नियंत्रित करने के लिए कोई भी कोशिश नहीं की जा रहीं हैं।
रिपोर्ट में इन पांच मुख्य बिंदुओं पर जताई चिंता
GIA ने अपनी रिपोर्ट में पांच मुख्य बिंदुओं पर चिंता जताई है, जिसमे सार्वजनिक भूमि का अतिक्रमण, कबाड़ इकट्ठा करना और उसे बेचना, अवैध पार्किंग, अवैध निर्माण कार्य और जनसांख्यिकीय परिवर्तन, मदरसों की तादाद में इजाफा शामिल है।
GIA ने अपनी रिपोर्ट में एक तस्वीर भी साझा की है, जिसमें जहांगीरपुरी के डीसी ब्लॉक की रोड पर अवैध पार्किंग नज़र आ रही है। यहाँ वाहन चालकों से पार्किंग के लिए काफी अधिक पैसा वसूला जाता है, जिसके कारण यहाँ जबरन वसूली और सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा बढ़ा है।
कुछ वर्षों में मदरसों की संख्या में इजाफा हुआ
यह इलाका आम नागरिकों के लिए बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है। बताया जा रहा है कि, इस इलाके में बीते कुछ वर्षों में मदरसों की संख्या में इजाफा हुआ है।
उन्होंने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि, यह जांच का विषय है कि, क्या ये मदरसे ही इस क्षेत्र की महिलाओं और बच्चों को कट्टरपंथी बनाने के लिए जिम्मेदार हैं। 16 अप्रैल 2022 को हुए दंगों की फुटेज में बड़ी तादाद में बच्चों को पथराव में पुलिस और शोभा यात्रा पर पथराव करते हुए देखा गया था।
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