द लीडर : रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) की एंटी कोरोना ड्रग 2DG के 10,000 पैकेट की पहली खेप सोमवार को लॉन्च की जाएगी. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के ट्विटर अकाउंट पर जानकारी दी गई कि सुबह 10.30 बजे वे और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दवा का पहला बैच रिलीज करेंगे.
Raksha Mantri Shri @rajnathsingh will release the first batch of Anti Covid drug 2DG via video conferencing facility tomorrow at 10.30 AM. The drug has been developed by DRDO's Institute of Nuclear Medicine & Allied Sciences (INMAS) in collaboration with Dr Reddy's Laboratories.
— रक्षा मंत्री कार्यालय/ RMO India (@DefenceMinIndia) May 16, 2021
लॉन्चिंग के बाद अगले एक-दो दिनों में यह मरीजों को मिलने लग जाएगी. DRDO ने इमरजेंसी यूज के लिए पहला बैच रिलीज किया है. इन्हें सोमवार से मरीजों को दिया जाएगा.
ये दवा एक पाउडर के रूप में है. इस दवा को DRDO के इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड अलाइड साइंसेस ( INMAS ) ने डॉ . रेड्डीज लैबोरेट्रीज के साथ मिलकर तैयार किया है.
क्लीनिकल रिसर्च के दौरान 2 – डीजी दवा के 5.85 ग्राम के पाउच तैयार करने का निर्णय लिया गया. इसके एक – एक पाउच सुबह – शाम पानी में घोलकर मरीजों को दिए जा सकते हैं.
ट्रायल के दौरान इसके रिजल्ट अच्छे रह. जिन मरीजों को दवा दी गई थी , उनमें तेजी से रिकवरी हुई. इसी आधार पर ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने इस दवा के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी है. यह दवा आईएनएमएएस-डीआरडीओ के दो वैज्ञानिकों डॉ. सुधीर चांदना और डॉ. अनंत भट्ट ने तैयार की है.
यह दवा ग्लूकोज का ही एक बदला हुआ रूप है. इसे 2 डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज यानी 2डीजी कहते हैं. यह दवा वायरस की ग्रोथ रोकती है. वायरस से हमारे शरीर में जब कुछ सेल्स संक्रमित हो जाते हैं, तब वे इम्यूनिटी के लिए ज्यादा ग्लूकोज मांगते हैं. मरीज को ग्लूकोज का यह बदला हुआ रूप देने पर वह भी उन सेल्स में जाता है और वायरस की ग्रोथ में रुकावट आ जाती है. तब हमारा सिस्टम वायरस को खत्म करने में मदद करता है.
शोध में ये बात सामने आई कि कोरोना वायरस जब सेल्स में फैलता है, तो इस दवा को देने से इसकी ग्रोथ रुक जाती है. जो क्लिनिकल ट्रायल किए, उनमें सभी पेशेंट अस्पताल में ऑक्सिजन सपोर्ट पर थे.
जो क्लिनिकल ट्रायल हुए हैं, वे सभी पेशेंट 18 साल की उम्र से बड़े थे तो बच्चों को यह दवा दी जाएगी या नहीं, यह ड्रग कंट्रोलर ही तय करेंगे. वैसे यह दवा नुकसान नहीं करती और इसकी बहुत माइल्ड डोज ही दी जाती है.
डॉ. अनंत नारायण भट्ट के मुताबिक इस दवा को लेकर पहले से कई सारी रिपोर्ट्स और स्टडीज हैं. उन स्टडीज में पाया गया कि इसके मॉलिक्यूल्स ने कई तरह के वायरसों की बढ़त रोकी. ये स्टडीज 1959 से लेकर 2018-19 के बीच की थीं.
जब 2020 में कोरोनावायरस का प्रकोप फैलना शुरू हुआ तो डॉ अनंत ने इसके असर की कोरोनावायरस पर स्टडी शुरू कर दी. डॉ. अनंत सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायॉलजी, हैदराबाद गए, जहां कोरोना के कल्चर की स्टडी होती है।