द लीडर हिंदी : यूपी के बरेली ज़िला अस्पताल में गुज़रे दिन बड़ा हादसा हो गया था. महिला अस्पताल के स्पेशल न्यूबार्न केयर यूनिट SNCU वार्ड के शार्ट सर्किट से आग लग गई थी.
वायरिंग में धमाकों से बच्चों के मां-बाप में खौफ़ज़दा दौड़ गया. हायर सेंटर शिफ़्ट किए जाने के दौरान एक बच्चे की मौत भी हो गई. इस लापरवाही के हिसाब-किताब को आज डीएम रविंद्र कुमार ज़िला अस्पताल पहुंचे.
SNCU वार्ड को देखा. जायज़ा लिया कि दुर्घटना कैसे हुई. बारीकी से देखने से बाद उन्हें अंदाज़ा हो गया कि नवजात की सुरक्षा के साथ चूक हुई है.
डीएम ने फिलहाल कहा तो कुछ नहीं लेकिन भांप गए कि विद्युत सुरक्षा के लिए जो इंतज़ाम किए जाने थे, वो किए नहीं गए. यही वजह रही कि उन्होंने अस्पताल के स्तर से जांच के लिए बनी कमेटी को भंग कराकर नई कमेटी बना दी.
सीएमओ डॉ. विश्राम सिंह से कहा कि इस कमेटी में एक्ज़ीक्यूटिव इंजीनियर लोकनिर्माण विभाग, एक्ज़ीक्यूटिव इंजीनियर विद्युत विभाग, अपर निदेशक विद्युत सुरक्षा के साथ एसीएमओ को रखें. एसीएमओ का काम दस्तावेज़ जुटाने तक रहेगा. दो दिन में जांच के बाद रिपोर्ट पेश करें.
हादसे के बाद उठ रहे कई सवाल
अब हम आपको बताते हैं कि चूक कहां हुई. वर्ष 2018 में ज़िला महिला अस्पताल परिसर में सौ बेड के मैटरनल एंड चाइल्ड हेल्थ (MCH) विंग की शुरुआत की गई थी.
विंग के निर्माण के दौरान ऑपरेशन थिएटर और SNCU वार्ड के लिए एमसीबी पैनल ही नहीं लगाया गया. इसी कारण मंगलवार को शॉर्ट सर्किट होने के बाद धमाके होते रहे और चिंगारियां निकलती रहीं.
एक्सपर्ट का मानना है कि एमसीबी लगी होती ताे बिजली सप्लाई ट्रिप हो जाती और आग नहीं लगती. वहीं, आग लगने के बाद मरम्मत का काम शुरू किया गया तो पता चला कि जहां शॉर्ट सर्किट हुआ, वहां सीलिंग में सीलन थी.
वायरिंग के तारों को ढंकने के लिए लगा सेफ्टी पाइप भी गल चुका था. ज़ाहिर सी बात है, यह लापरवाही ज़िम्मेदारों पर शिकंजा कसने के लिए पर्याप्त है.
बच्चों की ज़िंदगी के साथ खिलवाड़ पर सज़ा क्या मुक़र्रर की जाती है, उसके लिए दो दिन इंतज़ार करना होगा. उससे पहले डीएम अस्पताल में निरीक्षण करके अफसरों में करंट ज़रूर दौड़ा आए हैं.